बिहार पुलिस ने 15 अक्टूबर को CPI-ML से महागठबंधन कैंडिडेट आफ़ताब आलम को गिरफ़्तार कर लिया. उन्हें मुज़फ्फ़रपुर के औराई विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारी दाखिल करते वक्त गिरफ़्तार किया गया. भाजपा बिहार ने दावा किया कि आफ़ताब आलम पर पटना में पीएम मोदी की रैली में बम धमाका करने का आरोप है. 2014 लोकसभा चुनावों से पहले पटना में 27 अक्टूबर, 2013 को कई बम धमाके हुए थे जिसमें 80 लोग घायल हुए और 6 लोगों की मौत हुई थी. कुछ ही घंटो बाद वहां प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी गांधी मैदान में रैली संबोधित करने वाले थे.

दुष्कर्म के आरोपी,
भगोड़े की पत्नी,
जिन्ना समर्थक,
सबको टिकट दिए,

अब तो पीएम मोदी की रैली में बम धमाकों के आरोपी को भी ‘माले’ से उम्मीदवार बना दिए हो।

Tejashwi Yadav बाबू

#ई_का_किए_हो ?

Posted by BJP Bihar on Sunday, October 18, 2020

न्यूज़18 बिहार ने भी आफ़ताब पर पीएम मोदी की रैली में बम धमाका करने का आरोप लगाया. रिपोर्ट में लिखा था, “पटना में नरेंद्र मोदी की सभा के दौरान हुए सीरीज़ ब्लास्ट के मामले में आफ़ताब आलम को मुज़फ्फ़रपुर से एनआईए ने गिरफ़्तार किया था. इस मामले में वो बेल पर हैं.” बाद में न्यूज़18 ने रिपोर्ट में बिना कोई कारण बताये बदलाव कर दिया.

विश्व हिन्दू परिषद् (VHP) के प्रवक्ता विनोद बंसल ने ट्वीट किया और कहा कि जिन्ना की फ़ोटो लगाने वाले और पटना रैली में ब्लास्ट करने वाले को कांग्रेस ने टिकट दिया है.

कई और लोगों ने भी इस दावे को शेयर किया जिनमें हिन्दू युवा वाहिनी सदस्य योगी देवनाथ, प्रशांत पटेल उमराव, गौरव प्रधान, @Pushpendrakulss और अभिषेक कुमार कुशवाहा शामिल हैं.

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फे़सबुक पेज द चौपाल ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि आफ़ताब आलम की गिरफ़्तारी पटना ब्लास्ट मामले में हुई है. बाद में इसे डिलीट कर लिया गया.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कांग्रेस कैंडिडेट मशकूर उस्मानी के बारे में ग़लत दावे की सच्चाई बताई थी. मशकूर ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर नहीं लगायी थी. ये तस्वीर कैंपस में 1938 से ही लगी हुई है. इसपर ऑल्ट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.

आफ़ताब आलम के बारे में 2013 पटना ब्लास्ट से जुड़ा दावा भी ग़लत है.

आफ़ताब आलम की 15 अक्टूबर को गिरफ़्तारी ज़रूर हुई थी, लेकिन ये मामला सरकार के काम में बाधा डालने से जुड़ा हुआ है. आजतक के अनुसार उनके खिलाफ़ कटरा पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गयी थी.

रिपोर्ट में लिखा है, “आफ़ताब जैसे ही अपनी उम्मीदवारी दर्ज करवाकर बाहर निकले, उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. CPI-ML कार्यकर्ताओं ने इस गिरफ़्तारी का विरोध किया लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी और आफ़ताब को कोर्ट में पेशी के लिए ले गए.” रिपोर्ट में आगे बताया गया है, “पुलिस ने बताया कि आफ़ताब आलम पर 20 अगस्त 2020 को कटरा थाने में सरकारी कार्य में बाधा डालने को लेकर मुकदमा दर्ज हुआ था.” नवभारत टाइम्स ने भी अपनी रिपोर्ट में इसी से मिलती-जुलती बात बताई.

महागठबंधन के प्रत्याशी के खिलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वारंट जारी किया गया था. आफ़ताब आलम ने कहा कि उन्हें कटरा के निवासी दिलीप राय की हत्या के खिलाफ़ प्रदर्शन करने के लिए गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा, “ये सब राजनीतिक साज़िश के तहत किया गया है.”

कटरा के सिंगवारी में 27 अगस्त को दिलीप राय एक पेड़ से लटके पाए गए थे. वो एक तम्बाकू व्यापारी थे. पुलिस ने कहा कि उनकी हत्या कर पेड़ से लटकाया गया था. इस घटना से स्थानीय निवासी आक्रोश में आ गये. उन्होंने पुलिस पर इसके अलावा और भी पिछली कुछ हत्याओं में दोषी को पकड़ने में नाकामी का आरोप लगाया. आफ़ताब आलम ने दोषियों को पकड़ने की मांग करने के लिए प्रदर्शन किया था. उन्होंने 27 अगस्त को इस विरोध प्रदर्शन के बारे में पोस्ट भी किया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि वो 1 साल के अंदर पांचवीं घटना थी और घटनास्थल पर जब तक SP नहीं आयेंगे तब तक वो लोग लाश को उठने नहीं देंगे. इसके साथ ही उन्होंने थानेदार की बर्खास्तगी की भी मांग की.

आफ़ताब आलम को IPC की धारा 143 (गैरकानूनी ढंग से सभा लगाना), 186 (सरकारी अधिकारी को काम करने से रोकना), 188 (एक लोक सेवक द्वारा घोषित आदेश की अवज्ञा), 353 (सरकारी अधिकारी को उनके कर्तव्य निभाने से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल), 504 (सार्वजानिक शांति भंग करने के लिए भड़काना), 506 (आपराधिक धमकी) और 34 (सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत हिरासत में लिया गया. उनपर महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत भी मामला दर्ज किया गया.

कटरा पुलिस ने आफ़ताब की गिरफ़्तारी पर ऑल्ट न्यूज़ को विस्तार से जानकारी दी. इस FIR के मुख्य हिस्से नीचे लगाये गये हैं.

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CPI-ML ने फ़ेसबुक के पब्लिक पॉलिसी मैनेजर विजय मूर्ति के पास भ्रामक सूचना फैलाने के आरोप में न्यूज़18 बिहार और द चौपाल के खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराई.

इस शिकायत में लिखा है, “हम बिहार चुनाव 2020 में औराई क्षेत्र से हमारी पार्टी और हमारे उम्मीदवार, कॉमरेड आफ़ताब आलम के खिलाफ़ कुछ राजनीतिक और मीडिया संगठनों द्वारा फैलाई जा रही दुर्भावनापूर्ण और फ़र्ज़ी खबरों के खिलाफ़ रिपोर्ट करने के लिए लिख रहे हैं… इसके साथ आफ़ताब आलम की उम्मीदवारी दर्ज कराने के दस्तावेज़ (जिसमें प्रत्याशी के खिलाफ़ अगर कोई केस है तो लिखा हुआ है) लगाया गया है जिसमें साफ़-तौर पर बताया गया है कि कॉमरेड आफ़ताब आलम के खिलाफ़ (नॉमिनेशन का पेज नंबर 10) एक ही मामला दर्ज है – प्रदर्शन को लेकर कटरा पुलिस स्टेशन में FIR 192/2020.”

पटना ब्लास्ट मामले के आरोपी कौन थे?

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना रैली में धमाके करने के लिए चार्जशीट में 10 आरोपियों को सूचित किया था. इसमें आफ़ताब आलम का नाम नहीं है.

द हिन्दू ने 24 अगस्त, 2014 की रिपोर्ट में NIA की प्रेस रिलीज़ के बारे लिखा था. इसमें कहा गया है, “जांच में खुलासा हुआ है कि इम्तियाज़ ने पटना रेलवे स्टेशन और गांधी मैदान में बाकियों के साथ मिलकर बम लगाया था जहां पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली होने वाली थी. इम्तियाज़ स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया से जुड़े थे और इंडियन मुजाहिद्दीन के साथ भी उनका करीबी सम्बन्ध था.”

द इकॉनमिक टाइम्स ने 23 अगस्त, 2014 को रिपोर्ट में कहा था, “एनआईए की चार्जशीट में कहा गया है कि इस मामले के दस आरोपी मानते हैं कि मोदी 2002 में गुजरात में हुए दंगों के लिए ज़िम्मेदार थे और पटना में मोदी की रैली से महीने भर पहले होने वाले मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहराया.”

यानी, ठोस शब्दों में ये कहा जा सकता है कि बिहार भाजपा और न्यूज़18 ने ग़लत दावा किया कि CPI-ML के आफ़ताब आलम 2013 पटना ब्लास्ट मामले के आरोपियों में शामिल हैं. आफ़ताब आलम के खिलाफ़ अगस्त 2020 में कटरा के निवासी की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन करने के लिए मामला दर्ज किया गया था. उनका उस ब्लास्ट से कोई लेना-देना नहीं है.

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.