बिहार में 28 अक्टूबर, 2020 से विधानसभा चुनाव होने हैं. राजनितिक पार्टियां ग्राउंड पर प्रचार के साथ-साथ सोशल मीडिया के ज़रिये भी चुनाव प्रचार कर रही हैं. इसी संदर्भ में 21 अक्टूबर को (राष्ट्रीय जनता दल) RJD लखीसराय के ट्विटर हैंडल से एक तस्वीर ट्वीट की गयी. इस तस्वीर में पुलिसवाले के सामने कई लोग कान पकड़कर बैठे हैं. RJD ने ट्वीट में बिहार की जनता से कहा, “भूलना नहीं है बिहारवासियों! यह आपके साथ नहीं हुआ हो, पर आपके दूसरे गरीब बिहारी भाइयों के साथ ज़रूर हुआ है! उनके स्वाभिमान व न्याय की ख़ातिर भूलना नहीं है बिहारवासियों!”

RJD के आधिकारिक हैंडल से भी 21 अक्टूबर को कुछ अन्य तस्वीरों के साथ ये तस्वीर शेयर करते हुए लिखा गया कि ये तिरस्कार और दुर्व्यवहार बिहारी भाइयों के साथ हुआ है.

वहीं कुछ अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स भी ये तस्वीर शेयर कर रहे हैं. उनका दावा है कि ये लॉकडाउन के वक़्त बिहार जाते समय ली तस्वीर है जब यूपी पुलिस ने प्रवासी मजदूरों को मुर्गा बनाया था.

फ़ैक्ट-चेक

इस तस्वीर की पड़ताल ऑल्ट न्यूज़ ने अप्रैल, 2020 में ही की थी. उस वक़्त भी इसे प्रवासी मजदूरों पर पुलिस का अत्याचार बताकर शेयर किया जा रहा था. दरअसल इस तस्वीर में दिख रहे लोगों को लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं करने पर पुलिस सज़ा देती हुई दिखती है. 25 मार्च की द हिंदू, फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस और आउटलुक की कई न्यूज़ रिपोर्ट्स में इस तस्वीर के बारे में बताया गया था.

तस्वीर के डिस्क्रिप्शन में लिखा था, “24 मार्च, 2020 को कोरोना वायरस महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान, नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों को दंडित करती पुलिस.” द हिंदू ने इस फ़ोटो का क्रेडिट न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिया था.

ऑल्ट न्यूज़ ने पीटीआई के फ़ोटोग्राफ़र राहुल शुक्ला से संपर्क किया जिनके साथी ने पुलिस की कार्रवाई की सूचना मिलने के बाद इस तस्वीर को कैमरे में क़ैद किया था. “ये तस्वीर दोपहर लगभग 1:30 बजे खींची गई. लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के 75 ज़िलों में धारा 144 लगी थी.” गौरतलब है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर में 23 मार्च से ही लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. राहुल शुक्ला ने बताया, “ये लोग बिना किसी कारण के बाहर निकले थे. कुछ लोग पैदल थे. बाकी बाइक पर थे. इनमें से कोई भी व्यक्ति ये साबित करने में नाकाम रहा कि वो राशन या दवा लेने के लिए बाहर निकला था.

उन्होंने आगे बताया कि पुलिस ने लॉकडाउन की पाबंदी तोड़ने वालों से पहचान पत्र दिखाने के लिए कहा. “अगर ये लोग दिल्ली या बिहार के प्रवासी मज़दूर होते, तो उन्होंने अपने घर का पता बताने के लिए आधार कार्ड दिखाया होता, और तब पुलिस ने उनको सज़ा नहीं दी होती. लेकिन वो पहचान पत्र भी नहीं दिखा पाए.”

फ़ोटो में कई ऐसे हिंट मिल जाते हैं, जिससे पता चलता है कि ये लोग प्रवासी मज़दूर नहीं थे. जैसे, पीछे दिख रहीं बाइक्स और उनपर नदारद सामान.

ऑल्ट न्यूज़ ने पीटीआई की फ़ोटो गैलरी की भी छानबीन की. हमें पता चला कि तस्वीर 24 मार्च को ही खींची गई थी.

इस तरह इस तस्वीर का बिहार जा रहे प्रवासी मजदूरों के साथ हुए दुर्व्यवहार से कोई से कोई लेना-देना नहीं है. कानपुर पुलिस लॉकडाउन का पालन नहीं करने पर लोगों को यूं मुर्गा बनवाकर उन्हें सज़ा दे रही थी.

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.