कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के पूर्व छात्रनेता मशकूर उस्मानी को मैदान में उतारा है. वो बिहार के दरभंगा ज़िले के जाले की सीट से खड़े हुए हैं. मशकूर के चुनाव में खड़े होने से भाजपा को कांग्रेस की आलोचना करने का मौका मिल गया है. भाजपा ने मशकूर को ‘जिन्ना का समर्थक’ बताया.

न्यूज़ चैनल आज तक ने अपने ब्रॉडकास्ट में कहा कि कांग्रेस चुनाव में जिन्ना के सहारे वोट मांगने जा रही है और विकास, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को पीछे धकेल दिया है. ऐंकर रोहित सरदाना ने अपने शो, ‘दंगल’ में मशकूर की उम्मीदवारी पर चर्चा करने के लिए कुछ पैनलिस्ट बुलाये थे. चैनल ने शो के दौरान कई बार (1:24 मिनट और 6:20 मिनट ) दावा किया कि मशकूर ने 2018 में AMU के भीतर पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगायी थी.

नीचे आज तक की ग्राफ़िक प्लेट लगी है जिसमें ये लिखा हुआ देखा जा सकता है – “मशकूर उस्मानी ने AMU अध्यक्ष रहते जिन्ना की तस्वीर लगायी थी.”

इस ब्रॉडकास्ट में 6 मिनट 20 सेकण्ड पर भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा, “कौन चुनाव जीतता है कौन हारता है ये महत्वपूर्ण नहीं है. आज भारत हार रही है, मेरे देश के अंदर, मेरे देश की मिट्टी में, जिन्ना को बेच करके, एक राष्ट्रीय पार्टी जो देश की सबसे पुरानी पार्टी है, जिसके कारण विभाजन हुआ, वो पुनः वोट लेने की कोशिश कर रही है. मैं हतप्रभ हूं. मैं दुखी हूं.” इसपर रोहित सरदाना कहते हैं, “पात्रा जी, आपने मेरे दिल में तो झांक लिया अब अपने दिल में झांक के बताइए न. क्या वाकई आपको इस बात की तसल्ली नहीं है कि चलो इन्होंने इसको टिकट दे दिया. अब हमें ये मौका मिलेगा बार-बार ये बताने का कि देखो ये कितने बड़े देशद्रोही हैं.”

ये पूरा ब्रॉडकास्ट नीचे देखा जा सकता है.

आज तक ने किया ग़लत दावा

जिन्ना की वो तस्वीर AMU में 1938 से ही टंगी हुई है, ये बात किसी से छिपी नहीं है. ये मुद्दा 2018 में गरमाया था जब हिन्दू युवा वाहिनी के हथियारबंद कार्यकर्ताओं ने पुलिस समर्थन के साथ AMU कैंपस के अंदर प्रवेश किया और इस तस्वीर को उतारने के लिए कहा. कैंपस के अंदर हिंसा हुई और इसमें कई छात्र घायल हुए थे.

मीडिया में इसके विज़ुअल भी दिखाए गये थे जिसमें पुलिसवालों को छात्रों पर लाठीचार्ज करते और आंसू गैस का इस्तेमाल करते देखा गया.

AMU के कुलपति तारिक मंसूर ने जिन्ना की तस्वीर पर कैंपस में हुए विवाद से इनकार करते हुए कहा था कि ये कोई मुद्दा नहीं है. उनसे जब पूछा गया था कि क्या जिन्ना की तस्वीर उतार देनी चाहिए? तब उन्होंने कहा, “जिन्ना की तस्वीर 1938 से ही यहां लगी हुई है. जिन्ना की तस्वीर बॉम्बे हाईकोर्ट और साबरमती आश्रम समेत कई जगह लगी हुई है. अभी से पहले किसी को इसकी कोई चिंता नहीं हुई, ये कोई दिक्कत नहीं है.”

AMU के पूर्व छात्रनेता मशकूर उस्मानी ने द टेलीग्राफ़ से कहा था, “एक देश के इतिहास में काले और सफ़ेद दोनों पन्ने होते हैं. AMU में कोई भी जिन्ना के ‘टू नेशन थ्योरी’ का समर्थन नहीं करता है. लेकिन हमें ये स्वीकार करना होगा कि वो भारत के इतिहास के महत्वपूर्ण भाग हैं.” मशकूर ने कहा कि उन्हें भाजपा के इस तस्वीर को हटाने पर इसलिए आपत्ति है क्योंकि वो पन्ना काला हो या सफ़ेद हमें उसे सहेजना चाहिए.

न्यूज़ नेशन ने 7 आगस्त को एक ब्रॉडकास्ट में उनके 2018 में दिए एक बयान का वीडियो दिखाया जिसमें मशकूर कह रहे हैं, “ये स्टूडेंट यूनियन की ऑटोनोमी है. स्टूडेंट यूनियन फै़सला करे कि इसका क्या करना है. ये बात तो हम पहले से ही कह रहे थे. ये कोई नयी बात नहीं है. हमने पहले भी यही बात कही थी कि स्टूडेंट यूनियन तय करेगी कि तस्वीर रखनी है कि हटानी है. देखिये, बार-बार ये सवाल क्यों आ रहा है? ये सवाल बार-बार इसलिए आ रहा क्यूंकि जिन्ना को 19 (2019) के इलेक्शन के लिए ढाल बनाया जाये. ये इसको एक मुद्दा बनाके लड़ना चाहते हैं…वो सिर्फ़ एक इतिहास है जो वहां पे टेंगा हुआ है. आज से नहीं 80 साल से टंगा हुआ है. बार-बार कह चुके हैं, जिन्ना हमारा इतिहास है. हमारी आस्था नहीं है.”

इसी मुद्दे के बीच 94 वर्षीय रियाज़-उर-शेरवानी ने मीडिया से कहा कि जिन्ना का मुद्दा छात्रों का अपना मामला है. जब 1938 में AMU छात्र यूनियन ने जिन्ना की पेटिंग लगायी थी, रियाज़-उर-शेरवानी वहां मौजूद थे. न्यूज़18 ने 6 मई, 2018 की रिपोर्ट में लिखा था, “शेरवानी को खुले तौर पर जिन्ना और उनकी नीतियों के विरोध के लिए जाना जाता है. जब तस्वीर लगायी गयी थी, उन्होंने कहा था – ‘देश की स्थिति कुछ और थी. और कोई भी बाहरी इसपर दवाब नहीं डाल सकता कि यूनिवर्सिटी हॉल में क्या टांगना चाहिए क्या नहीं.’ ”

द ट्रिब्यून के एक ओपिनियन स्पेस में पत्रकार करण थापर ने इस पर चर्चा की थी कि AMU में जिन्ना की तस्वीर टांगने का फैसला उनकी 20वीं सदी की शुरुआत में की गयी राजनीति के आधार पर था. उन्होंने लिखा, “बीसवीं सदी की शुरुआत के 3 दशकों का जिन्ना उससे बिलकुल अलग था जिसे पाकिस्तान कायद-ए-आज़म कहता है.”

मशकूर उस्मानी ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि जो कहानी मीडिया बता रही है, कि तस्वीर उन्होंने लगवाई, एक ग़लत प्रोपगंडा है. उन्होंने कहा, “मैं ये साफ़-साफ़ कहना चाहूंगा कि मैं किसी भी तरह से जिन्ना के विचारों का समर्थन नहीं करता हूं. AMU में 2018 में जो आन्दोलन हुआ, उसका मुद्दा बिलकुल अलग था. मीडिया ने आन्दोलन भटकाने और संस्थान का और तत्काल छात्रनेता के तौर पर मेरा नाम खराब करने के लिए इसे ग़लत ढंग से पेश करते हुए यूनियन हॉल में टंगी तस्वीर की तरफ फ़ोकस किया.”

उन्होंने आगे कहा, “पहले तो मैं आपको ये पूरा विश्वास दिलाते हुए कहना चाहूंगा कि तस्वीर वाला विवाद सिर्फ़ जनता का ध्यान भटकाने के लिए खड़ा किया गया. दूसरी बात, वो तस्वीर इसलिए नहीं लगी क्योंकि मैंने कही थी. जिन्ना की तस्वीर महान जवाहर लाल नेहरु और महात्मा गांधी के बगल में लगी हुई है. उस समय जब ये मुद्दा उठा था, मैंने पीएम मोदी और राजनाथ सिंह के नाम पत्र लिखकर कहा था कि मुझे या आन्दोलन को जिन्ना की तस्वीर हटाने में कोई समस्या नहीं है.”

कांग्रेस ने पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के पोते ऋषि मिश्रा के बजाय मशकूर को टिकट दिया जबकि उन्होंने (ऋषि मिश्रा) जाले से चुनाव लड़ने के लिए जदयू छोड़ दी थी. मिश्रा ने मशकूर को ‘ऐंटी-नेशनल’ और ‘जिन्ना का भक्त’ कहा और दावा किया कि उनके ऑफ़िस में पाकिस्तान के संस्थापक की तस्वीर लगी है.

मशकूर ने कहा, “कांग्रेस का टिकट पाने के लिए एक व्यक्ति की ये हरकत बेहद शर्मनाक है. अब, जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस पार्टी का नाम खराब करने में लगे हैं. इन सब से पता चलता है कि पार्टी के आगे बढ़ने से वो कितना डरते हैं. मुझे तो लगता है कि आगे ऐसे लोग मुझसे और पार्टी से दुश्मनी निकालने के लिए प्रोपेगेंडा फैलायेंगे ताकि मुझे और पार्टी को जनता की नज़रों में गलत साबित कर सकें.”

कुल मिलाकर, आज तक का ये दावा कि मशकूर उस्मानी ने AMU कैंपस के अंदर जिन्ना की तस्वीर लगायी, बिलकुल गलत और बेबुनियाद है. ये तस्वीर कैंपस में 1938 से, यानी, आज़ादी के पहले से लगी हुई है.

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.