8 फरवरी को अगरतला की एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ”कुछ लोग किस्मत और जीवन बेहतर करने के लिए रत्नों की अंगूठी पहनते हैं. लेकिन यदि आप गलत (‘माणिक’) पहन लें तो इससे दिक्कत हो सकती है. त्रिपुरा में गलत मानिक (सीएम) थे, अब समय आ गया है कि इसे उतार दें और एक हीरा पहने. एच-हाईवे, आई-आईवे, आर-रेलवे, ए-एयरवे.” (अनुवाद)
Some people wear rings of particular gemstones for improving luck & life. But if u wear a wrong (manik) gemstone then it causes trouble. So Tripura had a wrong Manik (CM),time to take it off & wear a HIRA=diamond- H-Highway, I=Iways R=Roads A=Airways: PM Modi in Sonamura, Tripura pic.twitter.com/BF3sEeJi6D
— Smita Prakash (@smitaprakash) February 8, 2018
नामों की शॉर्ट फॉर्म के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्यार जगजाहिर है लेकिन पौराणिक और अस्पष्ट बातों की ओर अक्सर उनके झुकाव के बारे में कम बात हुई है. उनका सबसे नया दावा कि रत्नों से अच्छी किस्मत आ सकती है, इसका विज्ञान में कोई आधार नहीं है.
असल में ना सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी बल्कि उनकी पार्टी के कई प्रमुख सदस्य जो महत्वपूर्ण पदों पर है, उन्होंने भी विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में प्राचीन भारत की सर्वश्रेष्ठता पर जोर देने के लिए ऐसे कई बयान दिए हैं. ऐसा करते हुए वे एकदम गलत बयान से लेकर अजीबोगरीब बयान तक दे डालते हैं.
ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे सभी बयानों और ट्वीट का संकलन एक साथ प्रस्तुत किया है जो राजनीतिक गलियारे से निकले हैं.
1. भगवान गणेश पर हाथी का सिर अवश्य ही प्लास्टिक सर्जरी की वजह से लगा होगा
हिंदू पौराणिक कथाओं का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि भगवान गणेश प्लास्टिक सर्जरी के सबसे पहला उदाहरण थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक से अधिक बार इस बात को दोहराया है. ऊपर बताई गई घटना के अलावा उन्होंने अक्टूबर 2014 को मुंबई में मेडिकल प्रोफेशनल्स की बैठक को संबोधित करते हुए भी इसका हवाला दिया था.
2. कर्ण का जन्म जेनेटिक इंजीनियरिंग की वजह से हुआ था
महाभारत के एक पात्र कर्ण का जन्म जेनेटिक इंजीनियरिंग की वजह से हुआ था, ऐसा दावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “जिन्होंने महाभारत पढ़ा है या सुना है उनको मैं महाभारत की तरफ ले जाना चाहता हूं. और मेरी जो छोटी सी समझ है उसके हिसाब से मुझे लगता है कि कर्ण का जो जन्म हुआ था वो स्टेम सेल का साइंस था टेक्नोलॉजी थी.’’
3. डार्विन गलत था, किसी ने भी बंदर को आदमी में बदलते नहीं देखा
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने यह कहकर विवाद और काफी मनोरंजन पैदा कर दिया कि मानव विकास के बारे में चार्ल्स डार्विन की थ्योरी वैज्ञानिक रूप से गलत है क्योंकि किसी ने भी बंदर को आदमी में बदलते हुए नहीं देखा.
सत्यपाल सिंह का बयान पूरी दुनिया में छा गया और इसका काफी मजाक उड़ाया गया. हालांकि मंत्री को अपने बयान और बाद में इस तर्क के बीच कोई विरोधाभास नहीं दिखा कि वह विज्ञान को मानने वाले व्यक्ति हैं. वह अपने बयान पर डटे रहे.
4. “आईआईटी छात्रों को पुष्पक विमान के बारे में पढ़ाएँ”
डार्विन वाला अपना मशहूर बयान देने से पहले मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह जी ने सितंबर 2017 में कहा कि आईआईटी जैसे प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में प्राचीन भारत की खोजों और आवश्यक आविष्कारों के बारे में अवश्य पढ़ाया जाना चाहिए जैसे पुष्पक विमान जिसका जिक्र रामायण में किया गया है.
सिंह ने यह भी कहा कि राइट बंधुओं द्वारा हवाई जहाज का आविष्कार करने से पहले. एक भारतीय शिवा कर तलपड़े ने राइट बंधुओं से 8 साल पहले इसका आविष्कार कर दिया था. ‘’छात्रों को यह क्यों नहीं पढ़ाया जाता है कि राइट बंधुओं से पहले एक भारतीय शिवाकर बाबूजी तलपडे वह पहला भारतीय था जिसने हवाई जहाज का आविष्कार किया था. इसने राइट बंधुओं से 8 साल पहले हवाई जहाज का आविष्कार किया था. क्या हमारे छात्रों को आईआईटी में ये चीजें पढ़ायी जाती हैं या नहीं? उन्हें पढ़ायी जानी चाहिए.’’ हालांकि भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु ने एक अध्ययन प्रकाशित किया और यह निष्कर्ष दिया कि विमानिका शास्त्र में दी गई अधिकांश थ्योरी अव्यवहारिक थी, जिनके आधार पर कथित रूप से तलपडे ने हवाई जहाज बनाया था.
5. योग से कैंसर ठीक हो सकता है
आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री श्रीपद नायक ने 2016 में कहा कि योग से कैंसर सहित प्रमुख बीमारियाँ ठीक हो सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को एक वर्ष में इसका वैज्ञानिक प्रमाण प्राप्त हो सकता है.
नाइक ने कहा, ‘’यह एक प्रमाणित तथ्य है. हम बेंगलुरु स्थित स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान गए जहां कई लोगों ने हमें बताया कि योग का नियमित अभ्यास करने से उनका कैंसर ठीक हो गया. संस्थान ने कैंसर की रोकथाम और इलाज के लिए योग की एक तकनीक खोजी है.’’ एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है लेकिन ना तो सरकार और ना ही नायक कैंसर ठीक करने में योग के प्रभावी होने का ‘प्रमाण’ प्रस्तुत कर पाए हैं.
6. भारत कई लाख वर्ष पहले परमाणु परीक्षण किया था
हरिद्वार के बीजेपी सांसद और उत्तराखंड के भूतपूर्व CM रमेश पोखरियाल निशंक के अनुसार भारत परमाणु तकनीक से कभी भी अनजान नहीं रहा. असल में एक ऋषि ने कई लाख वर्ष पहले परमाणु परीक्षण किया था.
लोकसभा में एक बहस में भाग लेते हुए रिपोर्ट के अनुसार निशंक ने कहा था, ‘’ आज हम परमाणु परीक्षण की बात कर रहे हैं. लाखों वर्ष पहले एक ऋषि ने परमाणु परीक्षण किया था. हमारी जानकारी और विज्ञान में किसी तरह की कमी नहीं है.’’ उन्होंने भगवान गणेश और प्लास्टिक सर्जरी के बारे में प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी काफी बचाव किया, ‘’जो विज्ञान हमें प्राप्त है वह दुनिया में उपलब्ध नहीं है… एक कटे हुए सिर को प्रत्यारोपण करने का विज्ञान या ज्ञान केवल भारत में मौजूद था.’’
7. गाय एकमात्र ऐसा जीव है जो ऑक्सीजन लेता और छोड़ता भी है
राजस्थान के शिक्षा व पंचायती राज मंत्री वासुदेव देवनानी ने ‘गाय का वैज्ञानिक महत्व’ बताने के लिए एक स्वदेशी सिद्धांत सामने रखा. देवनानी के अनुसार गाय एकमात्र जीव है जो ऑक्सीजन लेता और छोड़ता है. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने यह भी कहा था कि जुकाम और खांसी जैसी बीमारियां तो गाय के निकट जाने से ही ठीक हो सकती हैं.
8. प्राचीन भारत में गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज हुई थी
देवनानी एक बार फिर से गलती करते हुए पकड़े गए जब उन्होंने हाल ही में बयान दिया कि न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज नहीं की थी. असल में यह खोज भारतीय वैज्ञानिक ब्रह्मगुप्त द्वितीय द्वारा न्यूटन से 1000 साल पहले की गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक देवनानी ने कहा ‘’ 3-4 दिन पहले मैं पढ़ रहा था कि गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज किसने की. यह बताया गया कि न्यूटन ने की थी. मैंने ये पढ़ा है, आपने भी पढ़ा होगा. लेकिन यदि आप गहराई में जाएं तो अब जान जाएंगे कि इससे 1000 साल पहले ब्रह्मपुत्र द्वितीय ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की थी. हम इसका संबंध क्यों नहीं स्थापित करते? मैकेनिज्म बाद में विकसित हुआ. आधुनिक विज्ञान ने यह काम किया.’’
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9. यौगिक खेती से कृषि को बढ़ावा मिल सकता है
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि ‘यौगिक खेती’ को अपनाकर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जा सकता है और ‘बीज को ताकतवर’ बनाया जा सकता है.
सिंह ने सितंबर 2015 में कहा, ‘’यौगिक खेती के पीछे विचार यह है कि सकारात्मक सोच की मदद से बीजों को ताकतवर बनाया जाए. हमें परमात्मा शक्ति की किरणों द्वारा बीजों की क्षमता बढ़ानी चाहिए.’’
यह पूछे जाने पर कि क्या यौगिक खेती वैज्ञानिक तरीका है, सिंह ने कहा ‘’ हम जैविक खेती और इसके साथ राजयोग के विचार का समर्थन कर रहे हैं. मेरे मंत्रालय द्वारा स्वीकृत ऐसे तरीके भारतीय किसानों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए है. कई वर्षों के दौरान भारतीय किसानों का आत्मविश्वास खेती की सदियों पुरानी जानकारी में खत्म हो गया है.’’
10. कैंसर जैसी बीमारियां पिछले जन्म के पापों के कारण होती हैं
असम के स्वास्थ्य मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि उन लोगों को कैंसर जैसी प्राणघातक बीमारियां होती है जिन्होंने पिछले जन्म में पाप किए थे.
Assam Health min #HimantaBiswaSarma says people suffer from life-threatening diseases such as cancer because of sins committed in past which he called "divine justice"
— Press Trust of India (@PTI_News) November 22, 2017
शर्मा के मुताबिक इस तरह की बीमारियां होना उन लोगों के लिए ‘ईश्वर का न्याय’ है जिन्होंने अपने पिछले जन्म में पाप किए थे. अपनी टिप्पणी के लिए शर्मा ने बाद में माफी मांगी लेकिन यह स्पष्टीकरण भी दिया की ऐसा उन्होंने कर्म और पुनर्जन्म में अपने विश्वास पर जोर देने के लिए कहा था.
हमारे देश के संस्थापकों ने वैज्ञानिक चेतना व चिंतन की शिक्षा द्वारा तर्कसंगत सिद्धांतों पर आधारित समाज और देश की कल्पना की थी. बीजेपी के प्रमुख सदस्यों और पदाधिकारियों द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले बयानों पर ध्यान देने से ऐसा लगता है कि वैज्ञानिक तथा तार्किक भावनाओं को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य पूरा होने से अभी काफी दूर है. संविधान में बताया गया एक बुनियादी कर्तव्य है, ‘वैज्ञानिक चेतना, मानववाद और जांच तथा सुधार की भावना विकसित करना’. वैज्ञानिक संस्कृति के विस्तार को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार सरकार इसके बजाय ऐसे अजीब, अंधश्रद्धा से भरपूर और झूठी वैज्ञानिक विचारों के पक्ष में खड़ी नजर आती है. इस प्रवृत्ति को विश्वसनीयता खुद प्रधानमंत्री ने प्रदान की है जिन्होंने पौराणिक कथाओं को विज्ञान के समक्ष खड़ा किया और इस प्रक्रिया में राजनीति की वेदी पर विज्ञान को कमजोर बनाया है.
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