फर्जी खबर फ़ैलाने और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वाले शंखनाद ने एक बार फिर सांप्रदायिक नफरत और पूर्वाग्रह को फैलाने के लिए बदनामी का सहारा लिया है. उसने ट्वीट किया कि कोई भी सवाल नहीं उठाता जब वर्दी में एक पुलिस अधिकारी खुलेआम एक कार्यक्रम में इस्लामी संगठन द्वारा शुरू की गई कुरान को बढ़ावा देता है.

अयोध्या में राम मंदिर के लिए एक पुलिस अधिकारी द्वारा ली गई प्रतिज्ञा को इस घटना से जोड़कर, शंखनाद ने पूर्वाग्रह चित्रित करने की कोशिश की.

सुरेश मेंगडे ने इस कार्यक्रम में भाग लिया था, जिसमें कुरान के मराठी संस्करण को लॉन्च किया गया था.

शंखनाद के इस घटना को चित्रित करने की कोशिश के विपरीत, इसमें धार्मिक सद्भाव, एकता और भाईचारे पर बल दिया था. इस कार्यक्रम में हिंदू आध्यात्मिक नेता स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने भी भाग लिया था.

इस कार्यक्रम में मेंगडे ने कहा था, “मुझे ख़ुशी हो रही है कि जो कार्यक्रम आप कर रहे हैं, वो हमारा ही कार्यक्रम है. हम जो चाहते हैं की सारे देश में दुनिया में एकवाक्यता रहे. सारे रिलिजन मिल-जुल के रहे, क्यूंकि हम सब एक ही ऊपरवाले की देन हैं.” नीचे पोस्ट किया गया विडियो उसी कार्यक्रम का है.

अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए डीजी होम गार्ड, यू.पी द्वारा हाल की प्रतिज्ञा को बुक लॉन्च की घटना से तुलना करके शंखनाद ने एक झूठी खबर को फ़ैलाने की कोशिश की और बाद में भी माफ़ी मांगने के बजाय अपनी बातों पर डटा रहा. सूर्य शुक्ला के मंदिर के प्रति निष्ठा की पूरी तरह से आलोचना की गई क्योंकि यह मामला न्यायालय के अधीन और संवेदनशील है. इसे इस तथ्य के लिए भी निंदा की गई कि अपनी पेशेवर क्षमता में एक वरिष्ठ रैंकिंग पुलिस अधिकारी को एक राजनीतिक कारण माना जाने वाला मुद्दा उठाया.

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) एसोसिएशन ने शुक्ला के इस कार्य से खुद को दूर कर दिया और इसे तटस्थता और निष्पक्षता का उल्लंघन बताया जो कि पुलिस अधिकारी से अपेक्षित है.

शंखनाद ने ‘सलाम सेंटर’ के जिहादी सेंटर होने का भी दावा किया. जैसा कि यह पता चला है, इस संगठन में कई राजनेताओं और मशहूर हस्ति आते रहते हैं. निम्नलिखित स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कप्तान राहुल द्रविड़ दोनों ने सलाम सेंटर का दौरा किया था.

हालांकि इस अवसर को अंतर-विश्वास सद्भावना को आगे बढ़ाने के लिए चिह्नित किया गया था, लेकिन शंखनाद जैसे सांप्रदायिक तत्त्व नफरत बढ़ाने के काम में कुछ ज्यादा ही लगे हैं. इनका काम है किसी पुराने वीडियो को निकालकर उसका संदर्भ बदल देना, फिर उन्हें उत्तेजक कैप्शन के साथ सोशल मीडिया पर प्रसारित करना. ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए शंखनाद पर विस्तृत खुलासा किया था. यहां एक तस्वीर को किसी कार्यक्रम से निकाला गया और सांप्रदायिक पूर्वाग्रहों को मजबूत करने के इरादे से एक उत्तेजक शीर्षक देकर इसे प्रसारित किया गया.

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