वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने प्रशांत पी उमराव के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की है, जो दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने के मामले में प्रसिद्ध होने वाले वकील हैं। सरदेसाई ने शिकायत में लिखा है कि उमराव सोशल मीडिया पर नकली खबरों का प्रसार कर रहे हैं।

उमराव ने 28 जुलाई, 2012 को एक ट्वीट किया था जिसमें वरिष्‍ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई का हवाला देकर कहा गया था कि ‘एक हजार हिन्‍दुओं का कत्‍ल करो’। इसी बात को लेकर सरदेसाई ने यह शिकायत दर्ज कराई है।

प्रशांत पी उमराव कौन है? ये एक वकील हैं जो अपनी याचिका के बाद व्यापक रूप से ज्ञात हो गए थे जिसमें आप के विधायकों को लाभ के पद पर बने रहने में अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की और इन्हें सफलता मिली। भ्रष्टाचार और अनौपचारिकता के विरूद्ध धर्मयुद्ध के उदय के उदाहरण के रूप में कुछ वर्गों द्वारा उनके प्रयासों को समर्थन मिला था। वह ट्विटर पर हैंडल @ippatel के नाम से हैं, और उनके ट्विटर का इतिहास नकली समाचारों को प्रसारित करने की उनकी धारणा का प्रमाण है। ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे कई मौके पर उमराव के फर्जी खबर का उजागर किया है। सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट सांप्रदायिक होती है जबकि वह केवल “राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले व्यक्ति” होने का दावा करते हैं, लेकिन उनके पोस्ट में कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी मानसिकता दिखती है।

वास्तव में, चुनाव आयोग द्वारा आप के विधायकों की अयोग्यता को देखते हुए, प्रशांत उमराव का प्रमुख बीजेपी नेताओं ने एक समाजसुधारक के रूप में स्वागत किया।

ऑल्ट न्यूज ने पहले भी सोशल मीडिया पर उमराव के द्वारा जारी कई अफवाह को उजागर किया है जो इस लेख में है।

फर्जी और गुमराह करने वाले खबर फैलाना

1. अक्टूबर 2017 में, एक चौंकाने वाली घटना के रूप में यू.पी. के फतेहपुर सीकरी में एक स्विस पर्यटक दम्पति पर शारीरिक रूप से हमला किया गया था। युगल को गंभीर चोट आई और यह खबर अंतरराष्ट्रीय समाचार में भी रही। प्रशांत उमराव भी उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने फर्जी जानकारी फैलाई थी कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने स्विस दम्पति पर हमला किया था।

लेकिन हमलावरों में अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति नहीं थे, आल्ट न्यूज़ ने इस बारे में लेख भी लिखा था जो यहाँ पढ़ा जा सकता है।

2. जब यह बताया गया कि हरियाणा के भाजपा अध्यक्ष के बेटे विकास बरला ने चंडीगढ़ में एक लड़की को कथित तौर पर पीछा किया था जिसके बाद पुलिस शिकायत दर्ज की गई थी, प्रशांत उमराव भी उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने पीड़ित को शर्मिंदा करने के लिए अफवाह चलाया था। उन्होंने पीड़ित की एक पुरानी तस्वीर पोस्ट कर उसके चरित्र पर सवाल खड़े किये।

इस तस्वीर में पुरुष अभियुक्त विकास बरला नहीं है लेकिन दक्षिणपंथियों के कुछ वर्गों ने इस तस्वीर में विकास बरला के होने का दावा किया था। हालांकि, उमराव ने भी पीड़ित के बारे में ऐसी झूठी और भ्रामक जानकारी साझा करने से संबंधित तत्वों को नहीं रोका।

3. जब अगस्त 2017 में उत्कल एक्सप्रेस यू.पी. के मुजफ्फरनगर में पटरी से उतरा तो उमराव भी उन लोगों में से थे जिन्होंने षडयंत्र और तोड़फोड़ की अफवाह फैलायी। उन्होंने आरोप लगाया कि दुर्घटना वास्तव में आतंकवादियों की चाल थी और दावा किया कि रेल सड़क के क्लिप को हटा दिया गया था। उन्होंने कहा था की यह हिंदू तीर्थयात्रियों को मारने की एक चाल हो सकती है।

दुर्घटना के लिए कोई आतंकवादी दृष्टिकोण नहीं था। एक प्रारंभिक मूल्यांकन ने दुर्घटना का कारण एक भूल बताई। हालांकि, इससे उमराव जैसे अफवाहबाजों को रुकना नहीं था।

4. प्रशांत उमराव उन लोगों में भी शामिल थे जिन्होंने यह अफवाह फैलाई थी कि पत्रकार रवीश कुमार की बहन को भ्रष्टाचार के आरोप में सरकारी सेवा से निलंबित कर दिया गया।

बाद में यह पता चला कि जिस महिला को नामित किया गया था वह रवीश कुमार की बहन नहीं थी। वास्तव में, वह किसी भी रिश्ते से रवीश कुमार से नहीं जुड़ी थी। इसके बावजूद, इस अफवाह को दक्षिणपंथियों द्वारा जारी किया गया, क्यूंकि रवीश कुमार अपनी बेबाक पत्रकारिता के कारण अक्सर सरकार के समर्थकों के निशाने पर रहते हैं।

5. उमराव ने ट्विटर पर यह तस्वीर पोस्ट करते हुए जानकारी दी कि यह 9-12 वर्ष की गर्भवती रोहंग्या लड़की की तस्वीर है जो जल्द ही एक बच्चे को जन्म देने वाली है।

इस अफवाह का भी खुलाशा उमराव के ट्वीट करने के तुरंत बाद ही हो गया। उपरोक्त फोटो मूल रूप से ब्राजील की गेराफाओ दो नोर्ते की है जो एक लीवर समस्या से पीड़ित थी। उमराव ने चुपचाप बिना माफ़ी मांगे अपना ट्वीट हटा लिया।

झूठ के बार-बार पकड़े जाने के बावजूद उमराव अक्सर ऐसी झूठी अफवाह सोशल मीडिया पर फैलाते रहते हैं। उमराव फेसबुक ग्रुप ‘हिंदू डिफेंस लीग’ के सदस्य थे। वह हिंदू सेना के भी सदस्य थे, जो यू.एस. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को ‘मानवता के रक्षक’ के रूप में संबोधित करते हुए उनका जन्मदिन का जश्न मनाने के लिए प्रसिद्ध हुआ था। उनका पोस्ट और संदेश हिंसा से भरा होता है। वह खुले तौर पर अल्पसंख्यकों और महिलाओं के वर्णन के लिए कुछ अजीब भाषा का इस्तेमाल करते हैं।

धार्मिक अल्पसंख्यकों की निंदा करना

उमराव मुसलमानों के लिए तर्कहीन नफरत का खुल कर प्रदर्शन करते हैं। निम्नलिखित ट्वीट में उन्होंने प्रत्येक मुसलमानों को मारने की बात की है।

उनका यह ट्वीट 2013 में हुए सांप्रदायिक हिंसा के बाद का था।

एक अन्य ट्वीट में, वह पुलिस की भूमिका पर अफसोस जताते हुए आरोप लगाते हैं कि पुलिस मुसलमानों के हाथों हिंदुओं की हत्या रोकने में सक्षम नहीं है।

मार्च 2014 के एक अन्य ट्वीट में, वह लोगों को मुजफ्फरनगर और गोधरा में हुए हिंसा की याद दिला रहे हैं।

2014 के एक और ट्वीट में, वह मुसलमानों के लिए अपमानजनक संदर्भ का उपयोग करते हैं और कहते हैं कि वह उनका (मुसलमान) का बलि देखना चाहते हैं।

नीचे दिए गए ट्वीट में, वह एक अजीब संदेश पोस्ट करते है, जिसमें कहा गया है की कानून प्रवर्तन प्राधिकरण को हटा दिया जाना चाहिए ताकि वह “सभी जिहादी मुसलमानों को जन्नत भेज सकें”।

केवल मुसलमान को ही नहीं, उमराव ने अपने ट्वीट्स के माध्यम से सिख समुदाय को भी निशाना बनाया है।

गोडसे और हिटलर के लिए प्यार

उमराव के रवैये और विश्वासों में यह आश्चर्यजनक है कि वह महात्मा गांधी के की हत्या करने वाले नथुराम गोडसे को आदर और सम्मान देते हैं।

वह जर्मन नाजी नेता एडॉल्फ हिटलर के भी प्रशंसक है और अक्सर सोशल मीडिया पर उनकी तारीफ और उनका बचाव करते हुए नजर आते हैं।

महिलाओं के लिए गंदे शब्द

उमराव अपने पक्षपात पूर्ण तरीके की महिलाओं से घृणा करने वाली गन्दी प्रवृत्ति को लेकर बेशुमार हैं। कई अवसरों पर, उन्होंने उत्तेजक और अपमानजनक ट्वीट्स और संदेश पोस्ट किए हैं, महिलाओं का अपमानजनक रूप से उल्लेख करते हुए, शरीर के अंगों के बारे में भड़काऊ भाषा का उपयोग किया है।

उपरोक्त ट्वीट में उन्होंने शाहरुख खान और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक अपमानजनक टिप्पणी के साथ लक्षित किया है। उमराव ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के संबंध में अपनी नीच सोच दोहराया है।

उमराव लगातार अपने ट्वीट्स के माध्यम से हस्तियों को निशाना बनाते हैं और अक्सर अपमानजनक भाषा में ट्वीट करते हैं।

‘सेक्यूलर’ के लिए नफरत

उमराव उन लोगों के लिए घृणा और तिरस्कार व्यक्त करते हैं जो खुद को ‘धर्मनिरपेक्ष’ मानते हैं। नीचे उनके ट्वीट्स के कुछ नमूने पेश है जिसमें उन्होंने निर्देशक महेश भट्ट को निशाना बनाया, जो अक्सर प्रतिष्ठानों के संबंध में खुद के विचार व्यक्त करते हैं।

उमराव की भाषा बहुत जहरीली है। उनका गलत इरादे से दोषारोपण की प्रवृति जिसमे वो विश्वास करते है, छिपा रहना मुश्किल है। अपने विवादास्पद ट्वीट्स से ध्यान आकर्षित होने के बाद वह चुपचाप उसे हटा लेते हैं।

प्रशांत उमराव, हिंदुत्व पारिस्थितिक तंत्र के कट्टर तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह अल्पसंख्यक और महिला के खिलाफ नफरत और हिंसा वाले सन्देश प्रसारित करने के लिए अपनी नई लोकप्रियता का उपयोग करते हैं। उनके पोस्ट हिंसा भड़काने वाले होते हैं। वह नकली और भ्रामक जानकारी नियमित रूप से पोस्ट करते रहते हैं। ऐसे सोच के बावजूद उमराव जैसे लोग सोशल मीडिया पर कामयाब होते हैं और राजनेताओं से उन्हें प्रोत्साहन भी मिलता है। उनके समान सोच वाले व्यक्ति इनके अनुयायी है जो नफरत फ़ैलाने के लिए अधिक उत्सुक होते है और इस तरह ये अपने मकसद को आगे पहुंचाते हैं। इस तरह के तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने की एक तत्काल आवश्यकता है जो खुलेआम कानून का उल्लंघन कर रहे हैं और सामाजिक ढांचे को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं।

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