साजिश की एक नई कहानी गढ़ी जा रही है और सोशल मीडिया पर कुछ तबकों के बीच अब फैलाई जा रही है। इस साजिश का विषय है कि अंकित सक्‍सेना की हत्‍या हिन्दुत्ववादी तत्वों का काम है। 23 वर्षीय, अंकित सक्सेना को उसकी प्रेमिका के परिवार द्वारा झूठी शान के नाम पर मार डाला गया था।

अमरेश मिश्रा जो खुद को उत्तरप्रदेश के एक राजनीतिक दल, किसान क्रांति दल का अध्यक्ष और स्क्रिप्टराइटर कहते हैं, उनके फेसबुक पर लगभग 5 हजार फॉलोअर हैं। वह कई प्रकार के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर लगातार अपनी राय और विचार पोस्ट करते रहते हैं। उनकी ज़्यादातर पोस्ट सत्ताधारी पार्टी और सरकार के खिलाफ होती है।

संक्षेप में बताएँ तो अमरेश मिश्रा बुनियादी रूप से इस घटना के आधिकारिक वर्णन पर शक जता रहे हैं। अमरेश मिश्रा की पोस्ट यहां पढ़ी जा सकती है। उनकी विचार के मुताबिक

1. जिस हाउसिंग सोसायटी में लड़की और उनका परिवार रहता है, वहाँ कोई मुस्लिम परिवार नहीं रहता है।

2. यह संदेहास्पद है कि किस तरह अंकित सक्सेना के माता-पिता ने बहुत जल्दी यह बयान दे दिया कि इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग न दिया जाए। ऐसा लगता है जैसे उन्हें बयान देना सिखाया जा रहा हो।

3. इस मुद्दे ने उस समय राजनीतिक रंग ले लिया जब अंकित का एक दोस्त, जो कथित रूप से बजरंग दल का कार्यकर्ता है, बीजेपी नेता मनोज तिवारी के साथ अंकित के घर आया और केजरीवाल को इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए कहा गया।

4. अंकित सक्सेना की हत्या संघ परिवार की एक व्यापक साजिश है जिसमें अलग-थलग दिखने वाली घटनाओं पर जोर देने की नई रणनीति इस्तेमाल की जाती है जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ता रहे।

यह दावा करते हुए सोशल मीडिया पर काफी यूज़र्स ने अमरेश मिश्रा की पोस्ट को शेयर किया कि यह अपराध दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी तत्वों का काम है। ऑनलाइन पोर्टल सियासत डेली ने भी अंकित सक्सेना हत्याकांड पर अमरेश मिश्रा की पोस्‍ट प्रकाशित की साथ ही मिल्‍ली गेजेट, नेशनल स्‍पीक और केरवां डेली ने भी इसे प्रकाशित किया।

National Speak

अमरेश मिश्रा ने अपनी पोस्ट में दावा किया है कि ‘‘क्षेत्र पर एक निगाह डालने से यह पता चलता है कि पूरे रघुबीर नगर बी ब्लॉक क्षेत्र में कोई मुस्लिम परिवार नहीं रहता है! ऐसा नहीं है कि इस जघन्य घटना के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग वहां से भाग गए! उस इलाके के लोगों को पिछले 20 वर्षों में बी ब्लॉक में किसी मुस्लिम परिवार के रहने की बात याद नहीं है।!‘‘ हिंदुस्‍तान टाइम्‍स ने रघुबीर नगर में लड़की और उसके परिवार के रहने वाली जगह के ठीक सामने वाली इमारत में ही एक अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले दंपत्ति के रहने की खबर दी। ऑल्ट न्यूज ने हिंदुस्तान टाइम्स के रिपोर्टर से बात की जिसने हाउसिंग सोसायटी में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की मौजूदगी की पुष्टि की। वास्तव में, बी-ब्लॉक पार्क के केवल 500 मीटर की दूरी पर एक मस्जिद है।

जैसा कि ऊपर गूगल मैप में देखा जा सकता है, इसमें एक मस्जिद है जो रघुबीर नगर में बी-ब्लॉक पार्क से लगभग 500 मीटर दूर है। बी-ब्लॉक वह जगह है जहाँ लड़की और उसका परिवार रहता है। मैप में ख्याला पुलिस स्टेशन भी दिखाया गया है जहां इस मामले की शिकायत दर्ज कराई गई थी।

रघुबीर नगर के बी ब्लॉक में मुस्लिमों की उपस्थिति की पुष्टि मुख्य चुनाव अधिकारी, दिल्ली की वेबसाइट पर इस इलाके की मतदाता सूची देखने से की जा सकती है। हालांकि यह मतदाता सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है लेकिन ऑल्ट न्यूज ने निजता की रक्षा के लिए इसमें मौजूद नाम प्रकाशित नहीं किये हैं। इस फ़ाइल की मतदाता सूची जिसमें बी ब्लॉक का केवल एक हिस्सा आता है, उसमें मुस्लिम नामों वाले कम से कम 18 घर हैं। इस तरह यह दावा कि रघुबीर नगर के बी ब्लॉक में कोई मुसलमान नहीं रहता, पूरी तरह से झूठा दावा है।

एक और जगह पर, अमरेश मिश्रा ने कहा, ‘‘साथ ही यहां कोई मुसलमान परिवार नहीं है जो ब्यूटी पार्लर चलाता है। ब्लॉक सी में एक खाली पड़ा हुआ ब्यूटी पार्लर है। इसे एक मुसलमान परिवार चलाया करता था। लेकिन वह परिवार कम से कम पांच वर्ष पहले यहां से चला गया था!‘‘ यह दावा भी झूठा है जैसा कि इंडियन एक्‍सप्रेस और टाइम्‍स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में ब्यूटी पार्लर के मकानमालिक और इस परिवार के बयान को उद्धृत किया गया है।

अमरेश मिश्रा ने अपनी पोस्ट में यह भी संकेत दिया है कि अंकित सक्सेना की हत्या संघ परिवार की एक द्वेषपूर्ण योजना में की गई थी। यह दावा भी पूरी तरह झूठ साबित होता है क्योंकि इस बारे में पुष्टि करने वाली रिपोर्ट हैं कि लड़की के परिवार ने हत्या करने की बात कबूल ली है। अंकित सक्सेना की हत्‍या रपट के अनुसार लड़की के पिता और मामा ने की थी। लड़की ने यह कहते हुए बयान जारी किया है कि अंकित की हत्या उसके घर वालों ने की है। इस पोस्ट में अंकित के परिवार द्वारा शांति और सौहार्द बनाए रखने और लोगों से कांट-छांट की गई तस्वीरें और झूठे संदेश फैलाना बंद करने की अपील की भी परवाह नहीं की गई है।

अंकित सक्सेना की हत्या एक गंभीर त्रासदी है जिसकी सामूहिक प्रतिक्रिया काफी परिपक्व और गंभीर रही है। ऐसे परिदृश्य में, यह बात परेशान करने वाली है कि वे लोग जो खुले तौर पर आजादी और सच्चाई के मुद्दों की पैरवी करते हैं, वही लोग जानबूझकर संदेह, अविश्वास और शक के बीज बो रहे हैं और अपने दावों के समर्थन में प्रमाण की मदद लेने के बजाय, अपनी पूर्वनिर्धारित राय के पक्ष में पूर्वाग्रह के साथ चीजों को देखने की प्रवृति का शिकार होते हैं। अमरेश मिश्रा ने अपनी पोस्ट में कहा है, ‘‘बुनियादी तथ्यों की जांच करना पत्रकारिता का आधारभूत नियम है।‘‘ लेकिन मिश्रा जी का लेख तथ्यों के आधार पर नहीं बल्कि बेबुनियाद तर्क के आधार पर गढ़ा गया है।

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.