जनवरी में झूठी खबरों, गुमराह करने वाले बयानों, तथ्यात्मक गड़बड़ियों, सार्वजनिक हस्तियों की ओर से नकली बयानों और टीवी न्यूज़ चैनलों की गुमराह करने वाली रिपोर्टिंग का एक अभूतपूर्व मिश्रण दिखाई दिया।
1. गुडगांव में स्कूल बस पर मुसलमानों ने हमला किया
‘पद्मावत’ फिल्म के लिए गुडगांव में स्कूल बस पर हमला होने के बाद इसकी सार्वजनिक रूप से निंदा की गई। इसके बाद सोशल मीडिया पर यह दावा करने वाला संदेश प्रसारित होने लगा कि इस हमले के लिए पाँच मुस्लिम युवाओं को गिरफ्तार किया गया है। यह पूरी तरह से झूठ और दुर्भावनापूर्ण थी।
गुड़गांव के पुलिस आयुक्त ने ऑल्ट न्यूज को दिए एक बयान में स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर प्रचारित लोगों के नाम वे नहीं है जिन्हें वाकई गिरफ्तार किया गया है। गुड़गांव पुलिस ने ट्विटर पर भी एक बयान जारी किया कि इस घटना के बारे में किसी मुस्लिम युवक को गिरफ्तार नहीं किया गया था।
This is to clarify that no Muslims boys have been detained in relation to the recent acts of vandalism on a Haryana Roadways bus and a School bus in Gurugram.
— Gurugram Police (@gurgaonpolice) January 26, 2018
2. पीएम मोदी के दावोस भाषण और विदेश मंत्रालय के वेबसाइट पर छपे भाषण में अंतर
यह सामने आया कि दावोस में विश्व आर्थिक मंच के पूर्ण अधिवेशन सत्र में दिया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण हूबहू वैसा भाषण नहीं था जिसे विदेश मंत्रालय द्वारा इसकी वेबसाइट पर आधिकारिक टेक्स्ट के रूप में डाला गया था। इसमें बहुत भारी असंगति थी और ऐसा लगता है कि विदेश मंत्रालय ने किसी अन्य भाषण का कुछ टेक्स्ट भी इसमें शामिल कर लिया था।
1997 mein chidiya tweet karti thi, ab manushya karte hain, tab agar aap Amazon internet pe daalte toh nadiyon aur jungle ki tasveer aati: PM Modi #Davos #WorldEconomicForum pic.twitter.com/2Q9GoUp6YJ
— ANI (@ANI) January 23, 2018
संयोग से प्रधानमंत्री का भाषण उनकी व्यक्तिगत वेबसाइट पर शब्दश: पोस्ट किया गया लेकिन मुख्यधारा का मीडिया भी इसे फिर से प्रस्तुत करने से दूर रहा और वह भाषण के विदेश मंत्रालय वाले संस्करण से चिपका रहा। इस अंतर को रेखांकित करने के बाद विदेश मंत्रालय द्वारा मूल रूप से प्रकाशित किए गए भाषण के स्थान पर प्रधानमंत्री का भाषण हुबहू पोस्ट किया गया।
3. इंडिया टुडे ने 2 साल पुराने वीडियो को ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के तौर पर पेश किया
जब जम्मू कश्मीर में भारतीय नागरिक क्षेत्र पाकिस्तानी बमबारी के दायरे में आए तो इंडिया टूडे ने अपनी ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ के आधार के तौर पाकिस्तान मोर्टार हमले के वीडियो का इस्तेमाल किया।
Pak Army fires mortar, targets Indian civilian. @ashwini1959 brings you more on this.#IndiaFirst
LIVE https://t.co/4fqxBVUizL pic.twitter.com/sYAONVM8SH— India Today (@IndiaToday) January 22, 2018
यह पता चला कि संबंधित वीडियो लगभग 2 साल पुराना था और दावा किया गया कि यह पाकिस्तानी सेना है जो उत्तरी वजीरिस्तान क्षेत्र में ‘जर्ब-ए-अज़्ब’ ऑपरेशन चला रही थी। इंडिया टुडे ने इस वीडियो को इसके पत्रकार की ‘बॉर्डर से ग्राउंड रिपोर्ट’ के तौर पर प्रसारित किया। यह वीडियो अभी तक चैनल द्वारा डिलीट नहीं किया गया है।
4. राहुल गांधी ने भारत में आर्थिक असमानता पर गुमराह करने वाला ट्वीट किया
जब प्रधानमंत्री दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक को संबोधित कर रहे थे तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बयान के लिंक के साथ एक ट्वीट किया कि ‘भारत में 1% लोगों को इसकी 73% संपत्ति मिलती है।’
Dear PM,
Welcome to Switzerland! Please tell DAVOS why 1% of India’s population gets 73% of its wealth? I’m attaching a report for your ready reference. https://t.co/lLSNOig5pE— Office of RG (@OfficeOfRG) January 23, 2018
राहुल गांधी ऑक्सफ़ेम के एक सर्वेक्षण का संदर्भ दे रहे थे जिसमें दावा किया गया कि पिछले साल भारत में निर्मित समस्त संपदा का 73% हिस्सा आबादी के सबसे धनी 1% लोगों द्वारा हासिल किया गया। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष के ट्वीट में साफ तौर पर यह नहीं कहा गया था और इसे भारत में संपत्ति विवरण के परिदृश्य के सामान्यीकरण के तौर पर प्रस्तुत किया गया था। इस बारे में ऑल्ट न्यूज़ की रिपोर्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
5. मेल टुडे के संपादक ने कासगंज हिंसा पर झूटी खबर पोस्ट की
मेल टुडे के संपादक अभिजीत मजूमदार ने ट्वीट किया कि चंदन गुप्ता के अलावा एक और युवक राहुल उपाध्याय की मौत हो गई जो कि गणतंत्र दिवस पर कासगंज उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने पर घायल हुआ था।
मजूमदार ने काफी चर्चा होने के बाद सफाई में बयान जारी किया लेकिन वह साफ तौर पर माफी मांगने से पीछे हट गए और इसके बजाय आरोप-प्रतिआरोप लगाने में जुट गए।
6. कांग्रेस पार्टी ने जिग्नेश मेवानी की प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की
रिपब्लिक टीवी ने आरोप लगाया कि 5 जनवरी को नई दिल्ली में युवा नेता और गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी की प्रेस कॉन्फ्रेंस कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रायोजित की गई और इसका इंतजाम करवाया गया।
#CongSponsorsJignesh | Why was Rahul Gandhi's right-hand man organising Jignesh's press meet? pic.twitter.com/ogPwPjTQaP
— Republic (@republic) January 5, 2018
हालांकि यह ज्ञात हुआ कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए जगह की बुकिंग रज़ा हैदर द्वारा मेवानी की ओर से करवाई गई थी जो एक स्वतंत्र पत्रकार और डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार है। हालांकि रिपब्लिक टीवी ने मेवानी और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बेहद शोर-शराबे वाला प्रचार अभियान जारी रखा।
7. महाराष्ट्र में दलित रैली में पाकिस्तानी झंडे लहराए गए
जनवरी के आरंभ में भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर एक फोटो प्रचारित हुई जिसमें यह दावा किया गया कि महाराष्ट्र में दलित बाइक रैली में पाकिस्तानी झंडे लहराए गए थे। फोटो में रैली में हरे झंडे दिखाने के साथ यह कैप्शन दिया गया, ”दलित जुलूस में #पाकिस्तानी झंडे क्या कर रहे हैं। यह जातिवाद का जहर घोल कर ना तो महाराष्ट्र को तोड़ पाओगे और ना ही “#भारत_तेरे_टुकड़े_होंगे” का ख्वाब पूरा होगा।”
यह एक दुर्भावनावश फैलाई गई अफवाह थी। बिना तारीख वाली इस फोटो में नजदीक से देखने पर पता चलता है कि यह पाकिस्तानी झंडा नहीं बल्कि इस्लाम का झंडा है। एक आम आदमी की नजर से देखें तो इन दोनों मिलते-जुलते झंडों की वजह से इनके बीच अंतर कर पाना उलझन भरा होता है और वह बात सच मानी जाने लगती है जो संदेश के तौर पर फैलाई जाती है।
8. हिजबुल से जुड़ने वाले एएमयू के पीएचडी छात्र का रूममेट गायब हो गया
यह खबर आने के एक दिन बाद कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी =के पीएचडी छात्र =मन्नान बशीर वानी कथित रूप से आतंकवादी समूह हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़ गया है, टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह खबर दी कि उसका रूममेट भी गायब है। अलीगढ़ के एसएसपी का हवाला देते हुए समाचार पत्र ने दावा किया कि आरंभिक जांच में यह पता चला था कि बारामुला का रहने वाला उसका रूममेट भी जुलाई 2017 से गायब है।
यह खबर झूठी साबित हुई क्योंकि मीडिया के एक तबके द्वारा गायब घोषित किया गया यह व्यक्ति गायब नहीं था बल्कि नागपुर की एक कंपनी में जियोलॉजिस्ट के तौर पर काम कर रहा था।
9. झूठे बयानों की फैक्ट्री का पर्दाफाश
मशहूर हस्तियों के हवाले से नकली बयान पोस्ट किए गए जो सोशल मीडिया के मंचों पर वायरल हो गए। अरुंधती राय के हवाले से कहा गया कि उन्होंने कथित रूप से इस्लामिक आतंकवाद की तुलना माँओं और अध्यापकों द्वारा बच्चों के साथ किए जाने वाले बर्ताव से की। फिर अभिनेता प्रकाश राज का यह झूठा बयान फैलाया गया कि उन्होंने कथित रूप से हिंदुओं को मुसलमानों के अत्याचारों को शांतिपूर्ण ढंग से सहन करने के लिए कहा। अभिनेता फरहान अख़्तर ने कथित रूप से कहा कि अगर जुम्मा वाले दिन तिरंगा यात्रा नहीं निकाली जाती तो हत्या नहीं होती। अभिनेत्री स्वरा भास्कर को भी नहीं बख्शा गया। संजय लीला भंसाली को लिखे गए उनके खुले पत्र के शब्दों को शंखनाद द्वारा तोड़-मरोड़ कर एक अजीबोगरीब उद्धरण के तौर पर पेश किया गया।
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