चिंटू वर्मा, नाम के ट्विटर यूज़र जिसे भाजपा के राष्ट्रिय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय फॉलो करते हैं, उन्होंने 13 जून को एक वीडियो साझा किया, जिसमें कुछ बच्चों को एक कतार में चलते हुए देखा जा सकता है। अपने फेसबुक और ट्विटर प्रोफाइल के परिचय में वर्मा ने दावा किया है कि वह,“भाजपा इंदौर के महामंत्री” है।
उन्होंने यह दावा किया है कि इन बच्चों को कोलकाता के मदरसे में आतंकवाद की ट्रैंनिंग के लिए भेजा जा रहा है। हालांकि पुलिस ने इन्हें बचा लिया है। वीडियो के साथ संदेश में,“आतंकवाद की फैक्टरी! कोलकाता के राजा बाजार के एक मदरसे से आतंकवादी बनाने की ट्रेनिंग पाते 63 बच्चों को पुलिस ने मुक्त कराया! ये खबर मीडिया ने नहीं दिखाई, उन्हें ‘ऊपर’ से आर्डर नहीं हैं! लेकिन, सोशल मीडिया पर तो कोई ‘ऊपर वाला’ नहीं होता! यहाँ तो दिखाएं! ये है मदरसों की असलियत!” लिखा गया है। इस ट्वीट को 1100 लोगों से ज्यादा लोगों ने रीट्वीट किया है, जिसमें कैलाश विजयवर्गीय और अशोक श्रीवास्तव जो की DD न्यूज़ के वरिष्ठ पत्रकार भी शामिल हैं।
तथ्य जांच
8 जून को, ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे ही एक वीडियो की पड़ताल की थी, जिसे थोड़े अलग दावे के साथ प्रसारित किया गया था। पहले किये गए दावे के मुताबिक बच्चों को कोलकाता में पकड़ा गया था, जहां पर वे पुणे के किसी मदरसे में आतंकवादी बनने का प्रशिक्षण लेने के लिए जा रहे थे।
इस वीडियो में दिखाई गई घटना 2015 में सियालदह के रेलवे स्टेशन पर की है। पुलिस ने बच्चों को दस्तावेजों के अभाव में गिरफ्तार किया था। इंडियन एक्सप्रेस के लेख के मुताबिक, CINI आशा चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी की सूचना के आधार पर इन बच्चों को सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) ने गिरफ्तार किया गया था।
धार्मिक भेदभाव के आधार पर की गई गिरफ़्तारी को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया,“यह अन्याय है, क्योंकि सिर्फ वहां पर बहुत सारे मुसलमान समुदाय के लोग यात्रा कर रहे थे,क्या वे सभी आतंकवादी बनने का प्रशिक्षण लेने जा रहे है। क्या अब हमें देश के भीतर यात्रा करने के लिए भी पासपोर्ट की जरुरत पड़ेगी? वे छोटे बच्चें है जो पढ़ने के लिए जा रहे थे”।
ऑल्ट न्यूज़ से बातचीत में, तत्कालीन बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष, अशोकेंदु सेनगुप्ता ने प्रदर्शनकारियों द्वारा लगाए गए आरोप कि धार्मिक गतिविधि के कारण बच्चों को रोका गया, इसका खंडन किया है। उन्होंने कहा,“जहां तक मेरी जानकारी है, सबसे पहले तो यह घटना पुरानी है और चाइल्ड लाइन सियालदह की रिपोर्ट के आधार पर हमनें यह निर्णय लिया है। इस मामले में, कुछ बच्चों को एक या दो वरिष्ठ सदस्यों के साथ किसी अन्य स्थान पर बिना किसी दस्तावेजों के ले जाया जा रहा था। उसी वजह से मैंने चाइल्ड लाइन सियालदह को उन्हें रोकने के लिए कहा था। JJ (किशोर अधिनियम) के मुताबिक, CWC अपने सभी जिलों के बच्चों की (बच्चों की देखभाल और सुरक्षा की जरुरत के चलते, CNCP) क़ानूनी संरक्षक है। इसलिए बच्चों की पहचान करने के लिए उन्हें संबधित जिलों के CWC को भेजने की जरुरत है लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर यह कहना शुरू कर दिया कि केवल बच्चों को धार्मिक प्रशिक्षण लेने की वजह से उन्हें पकड़ा गया है, जबकि यह बात नहीं थी”।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एक झूठे दावे वाले पुराने वीडियो को रीट्वीट किया है। बच्चों को इसलिए नहीं रोका गया था कि वे मदरसे में आतंकवादी बनने के प्रशिक्षण लेने के लिए जा रहे थे। उन्हें जरुरी दस्तावेजों के अभाव में रोका गया था।
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