कई बीजेपी नेताओं ने 29 जनवरी को मुंबई में ‘हिंदू जन आक्रोश मोर्चा’ नामक एक मार्च में भाग लिया जिसमें ‘लव जिहाद’ और ‘ज़मीन जिहाद’ को रोकने, धर्मांतरण विरोधी कानूनों को लागू करने और मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर बैन लगाने की मांग की गई थी. वहां कई स्पीकर्स ने ऐसे आपत्तिजनक भाषण दिए जिनको हेट स्पीच की केटेगरी में रखा जा सकता है. इसका कंटेंट मुसलमानों के अमानवीयकरण से लेकर उनके आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार तक था. भाषणों में ग़लत सूचनाओं और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ लगातार अपमानजनक बातों की भरमार की गई थी.

ये मार्च मुंबई के शिवाजी पार्क से शुरू हुआ और इसमें हज़ारों की संख्या में महिलाएं शामिल थीं. हालांकि वक्ताओं ने ज़ोर देकर कहा कि रैली ‘हिंदू बेटियों और बहनों की सुरक्षा’ सुनिश्चित करने के लिए की गई थी. लेकिन इसमें कई ऐसे षड्यंत्र सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का काम किया गया जिन्हें पिछले कुछ समय में मुख्यधारा की पहचान मिली है.

शिवाजी पार्क में कार्यक्रम की शुरुआत सुबह करीब 10.30 बजे एक महिला द्वारा मराठी में भाषण देने के साथ हुई. ‘जय श्री राम’ के कुछ नारों के बाद, उन्होंने कहा कि अगर छत्रपति शिवाजी नहीं होते, तो सभी हिंदुओं का खतना कर दिया जाता. इसके बाद उन्होंने भीड़ से कहा कि ये रैली ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ के खिलाफ आयोजित की गई है. जब वो बोल रही थी, कुछ नाबालिग बच्चे हिंदू देवी-देवताओं और ऐतिहासिक शख्सियतों के वेश में उसके बगल में खड़े थे.

लगभग 11 बजकर 20 मिनट पर, भीड़ ने चलना शुरू किया और ये मार्च इन रास्तों से होकर गुजरी: शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन सीमा – मीनाताई ठाकरे प्रतिमा – शिवसेना भवन – गोखले रोड – जाखदेवी चौक – बाबू भल्लान चौक – तिलक भवन – कामगार स्टेडियम. इनकी दूरी लगभग 2.2 किलोमीटर थी.

ऐसा लगता है कि ये रास्ता रणनीतिक रूप से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को ये मेसेज देने के लिए चुना गया है कि वो हिंदुत्व के मुद्दों पर नरम हो गए हैं. जुलूस में जय श्री राम और वंदे मातरम के सामान्य नारों के अलावा ये कुछ नारे भी लगे थे:

  • ‘अयोध्या अभी झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है’
  • ‘जिस हिंदू का खून ना खौले, वो खून नहीं वो पानी है’
  • ‘जो देश धर्म के काम ना आए वो बेकार जवानी है’
  • ‘जो हिंदू हित का काम करेगा, वही देश में राज करेगा’
  • ‘अब्दुल हो या हो आफताब, सब ने पढ़ा एक ही किताब’
  • ‘तू दुर्गा बन, तू काली बन, कभी ना बुर्खे वाली बन’
  • ‘धरम छोड़ कर जाओगे, टुकड़े-टुकड़े मैं बंट जाओगे’
  • ‘अवैध मस्जिद-कब्रिस्तान, लैंड जिहाद की यही निशान’

नीचे हमने रैली के दौरान सुनाई देने वाले सभी नारों का एक मोंटाज दिया है.

बताया गया है कि रैली का आयोजन RSS, VHP, बजरंग दल, विश्व सनातन संघ, वनवासी कल्याण, राजपूत यूथ फ्रंट, करणी सेना और अखिल भारतीय महेश्वर समाज ने सकल हिंदू समाज के बैनर तले किया था. और मुंबई पुलिस के अनुमान के मुताबिक, लगभग 10 हज़ार से 12 हज़ार लोगों ने रैली में भाग लिया.

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि भाजपा के कई नेताओं ने मार्च में भाग लिया या फिर सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से नागरिकों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया. उनमें से कुछ नेताओं के नाम आगे दिए गए हैं:

राजा नवल सिंह लोध ‘टाइगर’ उर्फ ​​टी राजा सिंह (तेलंगाना से निलंबित भाजपा विधायक), अक्षता तेंदुलकर (भाजपा नेता), संजय उपाध्याय (भाजपा नेता), नरेंद्र पाटिल (विधायक), राजश्री शिरवाडकर (भाजपा नेता), नीरज उभारे (जनरल सेक्रेट्री, बीजेपी दक्षिण-मध्य मुंबई),अमीत सातम (विधायक-अंधेरी पश्चिम), प्रवीण दारेकर (एमएलसी), एडवोकेट आशीष शेलार (अध्यक्ष, बीजेपी मुंबई), किरीट सोमैया (बीजेपी नेता), प्रसाद लाड (बीजेपी नेता), और सुनील राणे (भाजपा नेता).

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कामगार मैदान पहुंचने के बाद अक्षता तेंदुलकर ने रैली को संबोधित किया. हिंदू जन आक्रोश मोर्चा के मुख्य अतिथि तेलंगाना के गोशामहल से सस्पेंडेड बीजेपी विधायक टी राजा सिंह थे.

कामगार मैदान में

कामगार मैदान में कार्यक्रम के सह-मेजबान उमेश गायकवाड़ ने सभा को संबोधित किया. उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि ये राजनीतिक दलों की रैली नहीं है, बल्कि हिंदू महिलाओं की सुरक्षा के लिए आयोजित कार्यक्रम है. उन्होंने ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ के खिलाफ कानून लाने की मांग की और कहा कि ये रैली हिंदू समुदाय के गुस्से को दूर करने के लिए थी. उन्होंने ये भी कहा कि महिलाओं को आगे बढ़कर नेतृत्व करना चाहिए और पुरुषों को पीछे रहना चाहिए.

उमेश गायकवाड़ ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह वो चिलचिलाती धूप में बिना छांव के खड़ी थीं, हिंदू महिलाओं को जलाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम कानून की सीमाओं के तहत आयोजित किया जाएगा और अगर अधिकारियों ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो फिर इसके कुछ परिणाम होंगे.

इसके बाद उमेश गायकवाड़ ने कार्यक्रम में आये अतिथियों का परिचय कराया. मंच पर सबसे पहले उन्होंने अक्षता तेंदुलकर को बुलाया था. उन्होंने उसे एक ‘हिंदू शेरनी’ के रूप में संबोधित किया जिन्होंने ‘बांग्लादेशियों, और दादर की सीमा रेखा पर कब्जा करने वाले रोहिंग्या फ़ेरीवालों, हिंदू महिलाओं पर नज़र रखने और सार्वजनिक स्थान पर ज़बरन कब्जा करने वालों’ को अच्छे से निपटाया था.

इसके बाद अक्षता तेंदुलकर ने मराठी में जनता को संबोधित किया. नीचे उनके भाषण का सारांश है:

सारांश: मुस्लिम आक्रमणकारियों ने महिलाओं पर अनगिनत अत्याचार किये जिन्हें हम कभी नहीं भूल सकते. हमारे पूर्वजों ने हिन्दू राष्ट्र की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. गुजरात और राजस्थान में हिंदू महिलाओं ने इस्लाम कबूल करने के बजाय आग में छलांग लगा दी. मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है और करोड़ों के कारोबार के लिए जानी जाती है. लेकिन ये कुर्ता पायजामा पहने मियां भाई (मुस्लिम) के टाइम बम पर बैठी है जो पारंपरिक बाजारों पर कब्जा कर रहे हैं. मैं मछुआरा समुदाय की महिलाओं से आग्रह करती हूं कि जिस तरह वो अपने दैनिक काम के लिए मछली काटती हैं, तो उन्हें ऐसा ही करके मुसलमानों को भी दिखाना चाहिए. क्या वो कोयता (चाकू) सिर्फ मछली काटने के लिए है? कोयता को बाहर निकालने का समय आ गया है. भारत से ‘हलाल’ शब्द हटाना होगा.

इसके बाद दूसरी अतिथि करिश्मा भोसले ने अपना संबोधन दिया. भोसले ने 2020 का एक वाक्या बताया जब उन्होंने मुंबई में एक इलाके का दौरा किया था और वहां उन्होंने पड़ोस की मस्जिद से अज़ान (इस्लामिक प्रार्थना की आवाज) का वॉल्यूम कम करने के लिए कहा. बाद में मुंबई पुलिस ने उन्हें नोटिस जारी किया था.

करिश्मा भोसले ने भी मराठी में भीड़ को संबोधित किया. यहां उनके भाषण का सारांश है:

सारांश: शांतिपूर्वक जीने का अधिकार धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार से पहले है. खाड़ी देशों में लाउडस्पीकर पर बैन है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस तय की है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक लाउडस्पीकर 55 डेसिबल से ज़्यादा नहीं बज सकते. जब मस्जिद के लाउडस्पीकर की बात आती है तो पुलिस कानून लागू नहीं कर रही है. वो मुसलमानों के प्रति नरम हैं. हिंदू, अब से कानून की परवाह नहीं करेंगे. साइबर घोटालों के आरोपियों में अस्सी प्रतिशत मुसलमान हैं. आपकी बेटी को फुसलाकर ले जाने वाला मुस्लिम फ़ेरीवाला भोले-भाले हिंदुओं को नहीं जानता. हिंदुओं के सब्र की परीक्षा मत लो. हिंदू हनुमान की तरह कड़ा रुख अख्तियार करेंगे और मुसलमानों की बढ़ती जिहादी मानसिकता की लंका में आग लगा देंगे. राज्य को सख्त कानून बनाने की जरूरत है.

तीसरी अतिथि एडवोकेट नेहा पाटिल ने भी भीड़ को मराठी में संबोधित किया. उन्होंने जमीन की सुरक्षा से जुड़े अलग-अलग मुद्दों पर बात की. उन्होंने ये भी कहा कि देश भर के वक्फ़ बोर्ड सरकारी संपत्तियों पर कब्जा कर रहे हैं. अंत में, उन्होंने दर्शकों को भारत को ‘जिहाद मुक्त’ बनाने, और हिंदू राष्ट्र के गठन के लिए देश में जिहादी ताकतों के खात्मे के लिए काम करने का संकल्प दिलाया.

अगले वक्ता के मंच पर आने से पहले, कार्यक्रम की महिला मेजबान ने दर्शकों को नारा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया, “देखो देखो कौन आया? ओवैसी का बाप आया.”

अगली वक्ता साक्षी गायकवाड़ थीं. अपने भाषण में उन्होंने मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं पर एक टिप्पणी की. उन्होंने मुस्लिम पुरुषों की तुलना बलि के मेमने से की. उन्होंने कहा, “हम मियां (मुसलमानों) को बलि के मेमने के रूप में देखते हैं जिनकी दाढ़ी हैं और मूंछें नहीं हैं.” वो कहती हैं कि मुसलमान जो कुछ भी कर रहे हैं उसे बंद कर देना चाहिए नहीं तो उन्हें उन मेमनों की तरह कुर्बान कर दिया जाएगा.

फ़िल्म ‘द केरला स्टोरी’ का ज़िक्र करते हुए साक्षी गायकवाड़ कहती हैं कि 35 हजार हिंदू महिलाओं को जबरन खाड़ी देशों में ले जाया गया. ऑल्ट न्यूज़ ने इस भयंकर ग़लत सूचना की पड़ताल की थी जिसे फ़िल्म के माध्यम से प्रचारित किया गया था. उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के गर्भाशय की तुलना बंजर भूमि से भी की और कहा कि मुस्लिम इसी वजह से हिंदू महिलाओं का पीछा करते हैं. फिर उन्होंने कहा कि उन्हें एक मुस्लिम महिला का मेसेज मिला था जिसमें अन्य मुस्लिम महिलाओं को हिंदू होने के लाभों के बारे में बताया गया था. उनके मुताबिक, एक फायदा ये भी है कि किसी को ’48 डिग्री सेल्सियस पर कौवे की तरह कपड़े पहनने’ की जरूरत नहीं है.

उनके भाषण की पूरी ट्रांसक्रिप्ट यहां पढ़ी जा सकती है.

टी राजा सिंह जिन्हें आमतौर पर उनके फॉलोअर्स टाइगर राजा के रूप में संदर्भित करते हैं, ने इस कार्यक्रम में अंतिम भाषण दिया. गौर करें कि इनका आपत्तिजनक भाषण देने का इतिहास रहा है. द प्रिंट ने रिपोर्ट किया कि राजा सिंह ने अपने भड़काऊ भाषणों के कारण मंगलहाट पुलिस स्टेशन की ‘राउडी-शीटर्स’ की लिस्ट में अपनी जगह बनाई थी. 2020 में मेटा ने हेट स्पीच पर अपनी पॉलिसी का उल्लंघन करने की वजह से इस हिंदुत्व नेता को डी-प्लेटफॉर्म किया.

टी राजा सिंह को 2022 में इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. बाद में उन्हें भारतीय जनता पार्टी से ससपेंड कर दिया गया था. फिर उसी साल नवंबर में उन्हें तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इस शर्त पर रिहा कर दिया कि वो ‘अपनी रिहाई पर विजय रैली नहीं निकालेंगे, मीडिया को संबोधित नहीं करेंगे या सोशल मीडिया पर कोई अपमानजनक भाषण पोस्ट नहीं करेंगे.’

टी राजा ने ‘हिंदू जन आक्रोश मोर्चा’ में श्रोताओं को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं: “आज छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती पर…हिन्दू हृदय सम्राट, बालासाहेब ठाकरे जी की धरती पर इतना बड़ा हिन्दुओं का जन सैलाब देख कर आज हमें ये विश्वास होता है कि सरकार, केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार हो अगर इस चिंगारी को यहीं रोक कर लव जिहाद पर, धर्मांतरण पर, अगर कानून नहीं बनाती है तो ये छोटी सी चिंगारी जवालामुखी बनने वाली है…केंद्र सरकार-राज्य सरकार को मैं आज कहना चाहूंगा की ये वो हिंदू नहीं जो देख कर भी सोता था आज का वो हिंदू है जो लौंडा (लड़का) सर उठाता है..उसका सर कुचलना भी आता है आज के हिंदू को.

आज की हमारी महिला शक्ति को जीजा माता बनने की आवश्यकता है जिन्होंने औरंगजेब का मुकाबला करने के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज को जन्म दिया था. आज लव-जिहाद के नाम पर, धर्मातरण के नाम पर हर गली हर चौराहों पर अफजल खानो की संख्या बढ़ते जा रही है. तो बोलिए कितने हमें छत्रपति महाराज चाहिए? बोलिए? जिस घर से अफजल निकलेगा उसको फाड़ा जाएगा. मैं सभी महिलाओं से छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे हिंदू योद्धाओं को जन्म देने की अपील करता हूं. हिंदू देवी-देवताओं को बदनाम किया जा रहा है. जब हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा की बात आती है तो दोनों सरकारें चुप रहती हैं. 3,000 हिंदू लड़कियां मुसलमानों का शिकार बन चुकी हैं. सेल्फ़ डिफेंस सीखो, कोई लौंडा (लड़का) तुम्हारी तरफ आ जाए तो उसकी गर्दन मरोड़ी जा सकती है. और जो भी ख़रीदे एक रूपए की चीज़ हो या लाख रूपए की चीज़ हो, जो भी ख़रीदे हिन्दू से ख़रीदे. इन जिहादियों से न ख़रीदे. मुसलमानों से ख़रीदना उन्हें हिंदुओं पर हमला करने के लिए फंडिंग करना है. भारत एक इस्लामिक राज्य नहीं है, इसलिए हलाल प्रमाणन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए या इसे हटाया जाना चाहिए. हिंदू सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे क्या बोलते थे पता है कि मेरा हिंदू मंदिर का घंटा मारने वाला हिंदू न बने, बल्कि लौंडा (लड़का) को ठोकने वाला हिन्दू बने…लव जिहादीयों को ठोकने वाला हिंदू बने, धर्मान्तरण करने वालों को ठोकने वाला हिंदू बने (वो ऐसा होना चाहिए जो) मुस्लिम कसाइयों की गर्दन काट दे. भविष्य के युद्ध के लिए तैयार हो जाइए और हिंदू ज्वालामुखी बन जाइए. सरकार द्वारा कानून पारित किए जाने तक चुप न रहें.”

उन्होंने अपने भाषण में एक झूठे लव जिहाद रेट कार्ड का भी जिक्र किया, जिसे पहले भी कई बार खारिज किया जा चुका है. उनके भाषण की पूरी ट्रांसक्रिप्ट यहां पढ़ी जा सकती है.

सभी भाषणों के लिंक यहां (लिंक 1,लिंक 2, लिंक 3) देखे जा सकते हैं.

एक अलग घटना नहीं

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि ‘हिंदू जन आक्रोश रैली’ महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में आयोजित की गई है. 18 दिसंबर को पुणे के पिंपरी चिंचवाड़, 22 दिसंबर को धुले, 1 जनवरी को कोल्खापुर में और 22 जनवरी को पुणे में ये रैली की गई.

22 दिसंबर को धुले में हुई रैली में सुदर्शन न्यूज़ के सुरेश चव्हाणके मुख्य अतिथि थे.

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हिंदू जन आक्रोश मोर्चा ने पिछले साल नवंबर में मराठवाड़ा क्षेत्र के परभणी ज़िले में एक विशाल रैली के साथ शुरुआत की थी. रिपोर्ट में कहा गया है, “पिछले तीन महीनों में परभणी, नांदेड़, अहमदनगर, कोल्हापुर, गढ़चिरौली, सतारा, कराड, सांगली, सोलापुर, पुणे, धुले, जलगाँव, नागपुर, अमरावती, हिंगोली, बुलढाणा और जालना सहित 20 से ज़्यादा ज़िलों में महाराष्ट्र भर में ऐसी रैलियां आयोजित की गई हैं.

पोस्ट ‘हिंदू जन आक्रोश मोर्चा’ मुंबई चैप्टर

टी राजा को हाल ही में 19 जनवरी को दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 41 A (3) और (4) के तहत एक पुराने बयान के लिए नोटिस जारी किया गया था. पिछले सप्ताह के ‘हिंदू जन आक्रोश मोर्चा’ के भाषण के बाद उन्हें फिर से नोटिस दिया गया.

2 फरवरी को एक वकील ने मुंबई में 5 फ़रवरी को होने वाले हिंदू जन आक्रोश मोर्चा के कार्यक्रम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि 29 जनवरी को शहर में इसी तरह के एक कार्यक्रम में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और उनके बहिष्कार का आह्वान किया गया था.

बाद में शुक्रवार को अदालत ने 5 फ़रवरी को ‘हिंदू जन आक्रोश रैली’ आयोजित करने की अनुमति देते हुए एक आदेश पारित किया. LiveLaw के मुताबिक, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में एक हलफनामा दिया कि “कोई भी व्यक्ति हेट स्पीच नहीं देगा और न ही कानून या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने का कोई काम करेगा.”

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