21 मार्च को पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के बोगतुई गांव में तृणमूल कांग्रेस के उप प्रधान भादु शेख की हत्या कर दी गई. आरोप है कि 2 मोटर साइकिल पर सवार 4 लोगों ने भादु पर कथित तौर पर बम फेंका था. इस घटना के बाद इलाके में घरों को जलाने की घटनाएं सामने आयी. इस हिंसा में कम से कम 8 घरों को जला दिया गया जिसमें महिला और बच्चों समेत 8 लोगों की मौत की ख़बर है.

पुलिस ने द इंडियन एक्स्प्रेस को बताया कि इस घटना में 2 FIR दर्ज की गई हैं. एक FIR भादु की मौत को लेकर है और दूसरी घरों पर आगजनी की घटना की वजह से है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना के बाद 24 मार्च को इलाके का दौरा करने की बात कही. केंद्र सरकार ने 72 घंटों के भीतर इस हिंसा पर रिपोर्ट पेश करने की मांग की है.

इस बीच, भाजपा विधायक राजा सिंह ने अपना एक वीडियो जारी करते हुए कहा, “TMC के मुसलमान गुंडों ने निर्दोष हिंदुओं को टारगेट किया है”. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मांग की कि बंगाल में हिंदुओं को अपने बचाव के लिए घर में बंदूक रखने का कानून बनाया जाये. क्योंकि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार के चलते बंगाली मुस्लिम, रोहिंग्या और पाकिस्तानी मुस्लिम की संख्या बढ़ रही है. ये दावा सोशल मीडिया पर ‘#बंगाल_में_हिंदू_जल_रहा_है‘ और ‘#BengalBurning‘ के साथ शेयर किया जा रहा है. कई भाजपा समर्थक फ़ेसबुक पेज ने भी ये दावा पोस्ट किया जिसमें ‘I Support Raja Singh‘ [86 हज़ार फ़ॉलोवर्स] और ‘Sudarshan News Fans‘ [56 हज़ार फ़ॉलोवर्स] शामिल हैं.

स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के चेयरमैन रंजीत सावरकर ने भी ऐसा ही दावा किया. उन्होंने कहा कि ये हिंदुओं के लिए जागने का समय है. रंजीत सावरकर ने 2 तस्वीरें भी ट्वीट की. एक तस्वीर में जली हुई हड्डियां दिख रही हैं. इस ट्वीट को आर्टिकल लिखे जाने तक 2 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स मिले हैं.

ट्विटर हैन्डल @doctorrichabjp और भाजपा नेता उदय प्रताप सिंह ने भी ऐसा ही दावा किया. ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी कई बार ट्विटर हैन्डल @doctorrichabjp को इंटरनेट पर ग़लत जानकारियां शेयर करते हुए पाया है.

हिंदू युवा वाहिनी गुजरात के प्रभारी योगी देवनाथ, सुदर्शन न्यूज़ से जुड़े पत्रकार संतोष चौहान और RSS सदस्य सुनील मित्तल ने भी ऐसा ही दावा ट्वीट किया.

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फ़ैक्ट-चेक

23 मार्च और 24 मार्च को द टेलीग्राफ़ ने इस घटना के बारे में रिपोर्ट्स पब्लिश की थीं. दूसरी रिपोर्ट में मिहिलाल शेख के हवाले से इस घटना के बारे में बताया गया है. मिहिलाल के परिवारवाले इस हिंसा में मारे गए थे. उसने बताया कि घर को आग लगाए जाने के बाद वो और उसका बड़ा भाई बनिरुल 10 किलोमीटर तक खेतों में भागे. मिहिलाल ने द टेलीग्राफ़ को बताया कि उसका पुलिस पर से “विश्वास उठ गया है” और अब जो भी पार्टी इस हिंसा की CBI जांच करवाने की मांग करेगी, उसका समर्थन करेगा.

मरनेवाले 8 लोगों के नाम इस प्रकार हैं: 32 वर्षीय शेली बीबी (मिहिलाल की पत्नी), 7 वर्षीय तुली खातून (उसकी बेटी), 75 वर्षीय नूरनिहार बीबी (मिहिलाल की मां), 44 वर्षीय रूपाली बीबी (मिहिलाल बड़ी बहन), 38 वर्षीय जहानरा बीबी (उसकी भाभी), 18 वर्षीय लिली खातून (मिहिलाल की भतीजी), 22 वर्षीय काज़ी साजीदूर रहमान (लिली के पति) और 40 साल की मीना बीबी (मिहिलाल की भाभी).

23 मार्च की रिपोर्ट में बताया गया है कि पहले 7 लोग परिवारवाले हैं और उनके शव सोना शेख के 1 मंज़िला घर से मिलें. काज़ी साजीदूर और लिली खातून की हाल ही में शादी हुई थी. इनके नाम से मालूम होता है कि ये मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग हैं. इस तरह सोशल मीडिया पर किया गया हिंदुओं को मारने का दावा गलत साबित होता है.

24 मार्च की रिपोर्ट में बताया गया है कि मिहिलाल, बनिरुल और बाकी 2 बचनेवाले लोग फिलहाल सैंथिया पुलिस थाने के गोपालजल में हैं. उन्हें तृणमूल कांग्रेस के “एजेंट्स” की ओर से मुआवज़े में बड़ी रकम दी गई है.

23 मार्च को पश्चिम बंगाल पुलिस ने ट्वीट किया, “बीरभूम के बोगतुई में किसी भी हिन्दू महिला या बच्चे की मौत नहीं हुई है. पश्चिम बंगाल में माहौल खराब करने के इरादे से इस घटना को सांप्रदायिक ऐंगल देने वाले व्यक्ति के खिलाफ़ कारवाई की जाएगी.”

ऑल्ट न्यूज़ ने इस मामले में स्थानीय पत्रकार से भी बात की. उन्होंने बताया कि इस हिंसा के सिलसिले में 20 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. उन्होंने ये भी बताया है कि ये सभी एक ही समुदाय के लोग हैं.

हमें रामपुरहाट पुलिस स्टेशन में इस घटना के संबंध में दर्ज की गई शिकायत की कॉपी मिली. इसमें लिखा है कि प्राथमिक जांच के आधार पर 22 लोगों के नाम सामने आए हैं और उनपर अलग-अलग धाराओं के तहत केस दर्ज किये गए हैं. ये लोग भादु शेख़ के सहयोगी थे जिसकी 21 मार्च को हत्या की गई थी. ऑल्ट न्यूज़ ने ये नाम पढ़े और पाया कि हिंसा में आरोपी और पीड़ित, सभी एक ही समुदाय के हैं. यानी, ये घटना सांप्रदायिक नहीं है.

ऑल्ट न्यूज़ ने बीरभूम के एसपी नगेन्द्र त्रिपाठी से भी बात की. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि आरोपी और पीड़ित सभी अल्पसंख्यक समुदाय के हैं.

यानी, भाजपा नेताओं और समर्थकों ने सोशल मीडिया पर पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा की घटना को ग़लत सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.