जिस दिन रवीश कुमार प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने के लिए मनीला जा रहे थे, उसी दिन उनके आलोचकों ने 35-सेकंड की एक वीडियो क्लिप के ज़रिये उनपर निशाना साधने की कोशिश की। यह फुटेज सोशल मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित है, समान विषय पर हाल ही के प्रसारण के साथ रविश कुमार के 2013 के शो के साथ साझा किया गया है, शो में 5% जीडीपी ग्रोथ पर बात की गई है। वीडियो को साझा करने का मकसद यह दर्शाना था कि उनके विचार सरकार के हिसाब से बदल गए हैं, उनके खुद के बयान- “बहुत मुश्किल होता है अपने वैल्यूस को संभाल कर रखना” के साथ इस वीडियो को रखा गया है।

2013 का एक वीडियो, जिसमें कुमार को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “क्या हम अर्थव्यवस्था को लेकर ज़्यादा रोंदू तो नहीं हो रहे हैं? क्योंकि दुनिया में बहुत कम ही अर्थव्यवस्थाएं हैं जो 5 फ़ीसद की रफ़्तार से भी बढ़ रही हैं। “ 2019 के वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में नहीं है. जीडीपी के आंकड़ों के अनुसार 5 प्रतिशत का रेट इस बात की पुष्टि करता है कि भारत की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ चुकी है। “

क्या 35-सेकंड की वायरल क्लिप रविश कुमार के आर्थिक धीमी गति पर विचार प्रकट करती है? क्या 2013 में जीडीपी 5% होने पर पत्रकार ने कांग्रेस सरकार की आलोचना नहीं की थी?

नहीं, यह क्लिप किया हुआ वीडियो है

2013 के वीडियो को भ्रामक रूप देने के लिए क्लिप किया गया है। प्रसारण फरवरी 2013 का है, जब आर्थिक सर्वेक्षण में निराशाजनक वृद्धि का खुलासा हुआ था। ऑल्ट न्यूज़ इसके पुरे वीडियो तक पंहुच पाया और हमने पाया कि कुमार ने 2013 में भी इस तरह से प्रस्तुति दी थी जैसे उन्होंने 2019 में दिया था। इस शो की शुरुआत रवीश ने यह कहते हुए की थी:

“नमस्कार मैं रवीश कुमार। वर्तमान काल में देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। भविष्य काल में ठीक होने का अनुमान है। भूतकाल से तुलना करने पर, यानी जब भारत 8 या 9 प्रतिशत की विकास दर से आगे जा रहा था, अर्थव्यवस्था का हर सूचकांक धीमी गति के समाचार की तरह प्रतीत हो रहा है। वर्ष 2012-13 की आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि उद्योग, खेती, विनिर्माण और सर्विस सेक्टर, सभी ढलान पर हैं। हमारा झंडेबाज़ यानी फ्लैगशिप सर्विस सेंटर भी लुढ़क कर 6.6 प्रतिशत पर आ गया है। यानी होटल पर्यटन क्षेत्र में भी तरक्की नहीं हो रही है।”

इसके बाद उन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के हवाले से पूछा कि क्या भारत के विकास की कहानी वाक़ई ख़त्म हो चुकी है और हम बाघ से बकरी पर आ गए हैं? उन्होंने अपने परिचय का अंत इन शब्दों के साथ किया, जिसे अभी क्लिप करके सोशल मीडिया में साझा किया जा रहा है, जैसे कि “”क्या हम अर्थव्यवस्था को लेकर ज़्यादा रोंदू तो नहीं हो रहे हैं? क्योंकि दुनिया में बहुत कम ही अर्थव्यवस्थाएं हैं जो 5 फ़ीसद की रफ़्तार से भी बढ़ रही हैं, तो इन सब सवालों पर हम बात करेंगे प्राइमटाइम में। “

आप यहां पर इस शो का पूरा वीडियो देख सकते हैं।

2013 के आर्थिक सर्वेक्षण पर किए गए रविश कुमार के प्राइमटाइम शो को क्लिप करके भ्रामक रूप देने के लिए साझा किया गया।

रविश कुमार 2013 में ट्विटर पर सक्रीय थे और जिस दिन इस कार्यक्रम का प्रसारण हुआ था, उन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण के परिणामों पर टिप्पणी करते हुए कहा था,“अर्थ या अनर्थव्यवस्था।”

अन्य पत्रकारों ने भी निशाना साधा

दिलचस्प बात यह है कि इस क्लिप वीडियो से कई मीडिया संगठन के पत्रकारों ने भी उन पर निशाना साधा है और इनमें से कई मीडिया संगठन के खुद के फैक्ट-चेक टीम भी मौजूद हैं।

ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी उनके बारे में फैलाई गई कई गलत सूचनाओं की पड़ताल की है। इस लंबी सूची में अब यह क्लिप किया हुआ वीडियो भी जुड़ गया है।

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