पूरे देश के किसान हाल में लाये गए कृषि बिल के खिलाफ़ आन्दोलन कर रहे हैं. उन्हें डर है कि इस कानून के आने के बाद सरकार उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में सहयोग सुनिश्चित करना बंद कर देगी. इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) के ऑफ़िशियल अकाउंट ने 24 सितम्बर को एक 46-सेकंड का वीडियो शेयर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतिओं और वादों पर प्रश्न उठाया.
सपने कुछ यूं दिखाये थे, वादों के पूरा हो जाने का,
विश्वास जादूगर के जादू सा लगा था।
प्रधानमंत्री ने झूठे वादों से,
देश के हर वर्ग को ठगा था।। pic.twitter.com/1MrNklHzhi— Congress (@INCIndia) September 24, 2020
उसी दिन कांग्रेस ने एक ग्राफ़िक भी शेयर किया जिसमें ग्रामीण महिलाओं की तस्वीर है. ट्वीट में कहा गया, “सरकार को मंडी से राजस्व मिलता है, उस राजस्व से सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य करवाती है। भाजपा सरकार मंडी प्रणाली को बंद करके ग्रामीण भारत के विकास को खतरे में डाल रही है।” इसे और भी ट्विटर यूज़र्स ने शेयर किया.
सरकार को मंडी से राजस्व मिलता है, उस राजस्व से सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य करवाती है। भाजपा सरकार मंडी प्रणाली को बंद करके ग्रामीण भारत के विकास को खतरे में डाल रही है।#DeshKiBaat pic.twitter.com/lJunnOJ8Q5
— Congress (@INCIndia) September 24, 2020
पूर्वी उत्तर प्रदेश से अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की मुखिया प्रियंका गांधी ने 25 सितम्बर को एक किसान की तस्वीर ट्वीट करते हुए कृषि बिल आने के पहले और बाद की स्थिति समझाने का प्रयास किया. उनके इस ट्वीट को 3,000 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया. इसे और भी यूज़र्स ने ट्वीट किया.
भाजपा के कृषि बिल के पहले-
MSP = किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price)
बिल पास हो जाने के बाद-
MSP = पूंजीपतियों के लिए मैक्सिमम सपोर्ट इन प्रॉफिट (Maximum Support in Profit)
किसान कहां जाएगा? pic.twitter.com/EKWMzWIYRg
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 24, 2020
कांग्रेस का कमज़ोर प्रहार
पोस्ट की गयी तस्वीरों में अधिकतर कृषि बिल के सन्दर्भ की ही थीं. लेकिन कुछ तस्वीरें यूपीए शासनकाल की थीं. बहुत सारे सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी ये बात कही. एक साधारण-सा रिवर्स इमेज सर्च ही साबित कर देता है कि कांग्रेस के पोस्ट में कई तस्वीरें 2014 से पहले की हैं.
कांग्रेस ने जो वीडियो अपलोड किया है उसमें 30 सेकंड पर तंज कसते हुए कहा जा रहा है कि भाजपा ने गंगा को साफ़ कर दिया. ये तस्वीर Getty Images पर भी मिली जिसे 2013 में ही अपलोड किया गया था. इसके कैप्शन में लिखा है, “इलाहबाद के संगम में 14 अप्रैल, 2013 को डुबकी लगाने के लिए भक्त गंगा नदी के दूषित पानी को पार करते हुए.” उस वक्त यूपी में समाजवादी पार्टी और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी.
इसी तरह ‘कृषि बिल का ग्रामीण महिलाओं के ऊपर प्रभाव’ पर कांग्रेस के ग्राफ़िक में इस्तेमाल की गयी तस्वीर 2012 में द इकॉनमिस्ट ने अपने एक आर्टिकल में पब्लिश की थी.
कुछ ऐसा ही प्रियंका गांधी के ट्वीट में देखने को मिला. किसान की तस्वीर द हिन्दू ने 2013 में एक आर्टिकल के साथ पब्लिश की थी. ये PTI की तस्वीर है. हालांकि इस आर्टिकल को 2016 में अपडेट किया गया था. ये सुनिश्चित करने के लिए कि ये तस्वीर 2016 में नहीं जोड़ी गयी बल्कि 2013 में ही पब्लिश हुई थी, ऑल्ट न्यूज़ ने वेबैक मशीन पर रिपोर्ट का आर्काइव लिंक खोल कर देखा. पता चला कि ये तस्वीर वाकई 2013 की है.
यानी, कांग्रेस ने मोदी सरकार में किसानों की दुर्दशा दिखाने के लिए अपने ही शासनकाल की तस्वीरों का इस्तेमाल किया. पार्टी हाल ही में हुए किसान प्रदर्शनों की तस्वीरें भी दिखा सकती थी लेकिन विडंबना यही है कि 2014 से पहले की तस्वीरें पोस्ट कर दी गयीं.
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