23 अप्रैल की सुबह से एक वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हुआ है. वीडियो में दो पुलिसकर्मी एक मुस्लिम युवक से कहते हैं- “अज़ान नहीं होगी. एलजी साहब का ऑर्डर है.” बैकग्राउंड में एक महिला कहती है – “नहीं, अज़ान तो खैर मस्जिद में अगर हाफ़िज़ जी रहेंगे तो अजान तो होगी, लेकिन नमाज़ पढ़ने के लिए कोई नहीं जा रहा है.” एक कॉन्स्टेबल कहते हैं- “अजान के लिए भी मना कर दिया है LG साहब ने.” महिला कहती है “अज़ान नहीं होगी तो पता कैसे चलेगा? हम रोज़ा कैसे खोलेंगे. समाचार हम देखते हैं अजान के लिए कोई मनाही नहीं है. ऐसा कोई ऑर्डर नहीं है. अगर है तो हमें दिखाओं.” इस पर कॉन्स्टेबल कहते हैं, “ऑर्डर देखने के लिए प्रेम नगर थाने में जाओ. हम क्या करें एलजी साहब का ऑर्डर है.” महिला बार-बार ऑर्डर दिखाने की बात करती है और पुलिसकर्मी कहते हैं कि थाने में जाकर देख लो ऑर्डर.

पत्रकार सबा नक़वी ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा है, “क्या रमज़ान के दौरान दिल्ली में अज़ान की इजाज़त नहीं है? ये दिल्ली दंगों से प्रभावित मुस्तफ़ाबाद का वीडियो है. जहां हिंसा में कई लोग मारे गए और कईयों ने अपने घर और दुकानें खो दीं.” हालांकि वीडियो में एक जगह कॉन्स्टेबल प्रेम नगर थाने की बात करता है. (ट्वीट का आर्काइव)

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ऑल्ट न्यूज़ के ऑफिशियल ऐप पर इस वीडियो की पड़ताल के कई रिक्वेस्ट मिले हैं.

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फ़ैक्ट-चेक

24 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक ट्वीट के रिप्लाई में ये स्पष्ट किया कि अजान पर पाबंदी नहीं है. रेडियो जॉकी सायमा ने दिल्ली सरकार से इस मामले को साफ़ करने के लिए अनुरोध करते हुए एक ट्वीट किया था. इसके जवाब में सिसोदिया का ये ट्वीट था. उन्होंने लिखा है, “अज़ान के लिए कोई पाबंदी नहीं है. लॉकडाउन में मस्जिदों में नमाज़ के लिए इकट्ठा होने या किसी अन्य धार्मिक स्थल पर पूजा आदि के लिए लोगों के इकट्ठा होने पर पूरी तरह पाबंदी है.”

इस ट्वीट के कुछ ही मिनट बाद दिल्ली पुलिस ने भी एक नोटिस जारी किया है. इसमें लिखा है, “रमज़ान का पाक महीना 25 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है. रोज़ा और प्रार्थना (अज़ान) को ध्यान में रखते हुए हम ये उम्मीद करते हैं कि सभी लोग गाइडलाइन के तहत लॉकडाउन का पालन करें. एनजीटी के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अज़ान की जा सकती है. विनम्र निवेदन है कि लोग घर पर रहकर ही नमाज़ अदा करें और सहरी करें. कोरोना वायरस की महामारी से लड़ने के लिए सब एकजुट होकर गाइडलाइन का पालन करें.”

इसके अलावा BBC ने इस मामले में फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट प्रकाशित की है. उनकी जांच में पता चला कि ये वीडियो मुस्तफ़ाबाद का नहीं बल्कि रोहिणी का है. उन्होंने वायरल हो रहे वीडियो के बारे में रोहिणी के डिप्टी पुलिस कमिश्नर एसडी मिश्रा से बात की. जिन्होंने बीबीसी को बताया, “दरअसल उस कॉन्स्टेबल को अज़ान और नमाज़ के बीच का फ़र्क़ समझ नहीं आया और उसने ग़लत दावा कर दिया. सोशल डिस्टेंसिंग के कारण नमाज़ मस्जिदों में पढ़ने के लिए मनाही है लेकिन अज़ान पर कोई रोक नहीं है. ऐसा कोई भी ऑर्डर उप-राज्यपाल के कार्यालय से जारी नहीं किया गया है. हमने इस इलाक़े के सभी मस्जिदों के मौलवी लोगों को ये जानकारी दे दी है.”

एसडी मिश्रा ने ये भी कहा, “कॉन्स्टेबल पर ग़लत जानकारी फैलाने के कारण अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई और रमज़ान में अज़ान पर कभी किसी रोक का फ़ैसला नहीं लिया गया है.”

अज़ान वो प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति मस्जिद के माइक से नमाज़ पढ़ने का आह्वान करता है. जबकि नमाज़ कहीं से भी पढ़ी जा सकती है.

इस तरह एक पुलिस कॉन्स्टेबल ने गलती से अजान पर पाबन्दी की बात करते हुए इसे एलजी का ऑर्डर बता दिया था, जिससे ये पूरा मामला चर्चा का विषय बन गया. और रमज़ान की वजह से मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच इस वीडियो के बाद ये अफ़वाह की तरह फैल गया.

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