सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप वायरल हो रही है जिसमें राहुल गांधी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात करते हुए देखा जा सकता है. इस क्लिप में राहुल गांधी कह रहे हैं, “ये देश तपस्वियों का है, ये देश पुजारियों का नहीं है.”
बीजेपी आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने इस क्लिप को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा, ‘अब इनको पुजारियों से भी तकलीफ है…’
अब इनको पुजारियों से भी तकलीफ़ है… pic.twitter.com/zcWnNrVx1Y
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 8, 2023
भाजपा उत्तर प्रदेश के सोशल मीडिया संयोजक सौरभ मारोदिया ने ट्विटर पर इसी तरह के कैप्शन के साथ वीडियो शेयर किया.
अब इनको पुजारियों से भी तकलीफ़ है… pic.twitter.com/rSuU3e7sTq
— Saurabh Marodia (@SaurabhSMUP) January 8, 2023
बीजेपी झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने इस क्लिप को शेयर करते हुए लिखा, “अब इनको पुजारियों से भी तकलीफ है… इसलिए देश को कांग्रेस से तकलीफ है.”
अब इनको पुजारियों से भी तकलीफ़ है…
इसीलिए देश को कांग्रेस से तकलीफ है…. pic.twitter.com/olQvg3zGFF
— Deepak Prakash (@dprakashbjp) January 8, 2023
कई अन्य ट्विटर यूज़र्स ने इसी तरह के दावे के साथ वीडियो शेयर किया. इस लिस्ट में @MahantYogiG, @Moresachin8009, @bankim_jani, @ptravidwivedi, @Kanchan000222 और अन्य शामिल हैं.
फ़ेसबुक पर भी ये क्लिप कई यूज़र्स ने शेयर किया है.
फैक्ट-चेक
हमने भारत जोड़ो यात्रा (@bharatjodo) का ट्विटर अकाउंट चेक किया और देखा कि राहुल गांधी ने 8 जनवरी को दोपहर 1:26 बजे के आसपास हरियाणा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. अमित मालवीय द्वारा शेयर किए गए वीडियो के साथ इस वीडियो की तुलना करने से पता चला कि वायरल क्लिप इसी प्रेस इवेंट से ली गई है.
इसे ध्यान में रखते हुए हमने यूट्यूब पर इस कॉन्फ्रेंस का पूरा वीडियो देखा. राहुल गांधी ने कांग्रेस और भाजपा की विचारधाराओं के बीच अंतर करने के लिए ‘तपस्या’ (तपस्या) और ‘पूजा’ (पूजा) की बात की थी. ये बात लगभग 28 मिनट के आसपास शुरू होती है.
उन्होंने कहा, ”कांग्रेस पार्टी की अगर आप हिस्ट्री देखें… जो आपने कहा कार्यकर्ता में जोश आ गया है… ये (कांग्रेस) तपस्या का संगठन है. इसको अगर आप तपस्या में लगाते हैं तो इसकी एनर्जी बढ़ती है. बीजेपी पूजा का संगठन है. उसको अगर आप पूजा में लगाते हैं, उसमें स्ट्रेंथ आती है. अब पूजा दो तरह की होती है.. धर्म की बात कर रहा हूं…पूजा नॉर्मली होती है कि भई, मैं भगवान के पास जाता हूं और मैं उनसे कुछ मांगता हूं. मगर इनिशिएटिव जो जो पूजा करता है, उसका होता है. RSS की पूजा अलग है. RSS चाहता है कि फ़ोर्सिबली उनकी पूजा हो. मोदीजी चाहते हैं इसलिए वे आपसे नहीं मिलते हैं कि फ़ोर्सिबली उनकी पूजा हो, और देश में सबलोग उनकी पूजा करें. उसका रेस्पोंस एक ही हो सकता है. उसका रेस्पोंस तपस्या ही हो सकता है, और कोई रेस्पोंस नहीं हो सकता है. और इसीलिए ये जो यात्रा है ये बहुत सक्सेसफ़ुल है, क्योंकि इसमें सिर्फ कांग्रेस पार्टी तपस्या नहीं कर रही है, सिर्फ एक व्यक्ति तपस्या नहीं कर रहा है, इसमें लाखों लोग तपस्या कर रहे हैं.”
इसके बाद (29 मिनट 55 सेकेंड पर) उन्होंने कहा, “…इस देश में तपस्या की रेस्पेक्ट होनी चाहिए, स्किल की रेस्पेक्ट होनी चाहिए, काम की रेस्पेक्ट होनी चाहिए. कांग्रेस पार्टी ये कहती है, हिस्टॉरीकली ये कहा है. और बीजेपी कहती है, RSS कहती है कि नहीं भई, तपस्या की कोई रेस्पेक्ट नहीं होनी चाहिए. जो हमारी पूजा करेगा उसकी रेस्पेक्ट होगी. अब आप इस फ्रेमवर्क सेट नोटबंदी को देखिए, क्या नोटबंदी ने हिंदुस्तान के गरीबों की तपस्या की रेस्पेक्ट की? बिल्कुल नहीं. वो तपस्या पर आक्रमण था, उसका मेसेज था, किसान से, छोटे मजदूर से, छोटे व्यापारी से भैया तू जितनी तपस्या करनी है तू कर ले, कुछ फर्क नहीं पड़ेगा…”
37 मिनट 15 सेकेंड पर एक सवाल का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा, “…ये तपस्वियों का देश है. जैसे लोगों ने कहा कि ‘देखो राहुल गांधी कितने किलोमीटर चल गया’ लोग ये क्यूं नहीं कहते कि देखो किसान कितने किलोमीटर चलता है? हिंदुस्तान का कोई भी किसान नहीं है जो मुझसे ज़्यादा नहीं चला है, एक नहीं है. हिन्दुस्तान का ऐसा एक मजदूर नहीं मिलेगा आपको जो मुझसे कम चला है. हम ये क्यूं नहीं कहते देखो देखो मजदूर कितने किलोमीटर चला है? क्यूंकि हम तपस्या की रेस्पेक्ट नहीं करते हैं. मैं करता हूं. तो ये चेंज लाना है और ये देश तपस्वियों का है, ये देश पुजारियों का नहीं है. और जैसा कि मैंने कहा इस देश को सुपरपावर बनना है जो आप कहते रहते हो तो तपस्वी की रेस्पेक्ट करनी पड़ेगी, उत्पादन की रेस्पेक्ट करनी पड़ेगी उससे गले मिलना पड़ेगा, बैंक के दरवाजे उसके लिए खोलने पड़ेंगे उसकी प्रोटेक्शन करनी पड़ेगी.”
नीचे एक वीडियो दिया गया है जिसमें वायरल क्लिप की तुलना असली प्रेस कॉन्फ्रेंस से की गई है.
पूरा संदर्भ देखने के बाद ये समझा जा सकता है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच तुलना की थी. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं, किसानों, छोटे मजदूरों, छोटे कारोबारियों और अन्य लोगों की तुलना एक तपस्वी से की और भाजपा-आरएसएस की तुलना उन लोगों से की जो ये मांग करते हैं कि लोग आकर उनसे प्रार्थना करें.
अमित मालवीय और भाजपा नेताओं ने फिर से राहुल गांधी पर निशाना साधने के लिए वीडियो का संदर्भ हटाकर एक छोटी से क्लिप शेयर की.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.