मणिपुर में लगातार चल रही हिंसा के बीच विपक्षी पार्टियों ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संसद में कांग्रेस पर निशान साधते हुए 1966 में मिज़ोरम में हुई बमबारी का ज़िक्र किया. इसके बाद से ये मुद्दा सुर्खियों में है. इसको लेकर भाजपा कांग्रेस को घेर रही है और दावा कर रही है कि कांग्रेस की सरकार के दौरान इंदिरा गांधी ने अपने ही देश के लोगों पर बमबारी करवाई. बमबारी कर रहे विमान को चलाने वालों में दो नाम शामिल थे, राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी. बाद में वो कांग्रेस की टिकट पर सांसद बन गए और मंत्री भी बने.
ABP न्यूज़ ने तत्कालीन सांसद जॉर्ज गिल्बर्ट स्वेल (जी जी स्वेल) के हवाले से दावा किया कि मिज़ोरम पर हुए हमले में जो पायलट लड़ाकू विमान उड़ा रहे थे, उनमें दो नाम – राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी शामिल थे.
भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने 13 अगस्त 2023 को कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट ट्वीट करते हुए कहा कि जिन वायुसेना के विमानों ने 5 मार्च 1966 को मिज़ोरम की राजधानी आइज़वाल पर बमबारी की, उसे राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी उड़ा रहे थे. बाद में ये दोनों कांग्रेस की टिकट पर सांसद और सरकार में मंत्री भी बने. मालवीय ने कहा कि अपने देश के ही लोगों पर हवाई हमले करने वाले को इंदिरा गांधी ने सम्मान दिया और बतौर इनाम राजनीति में भी जगह दी. (आर्काइव लिंक)
राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी भारतीय वायुसेना के उन विमानों को उड़ा रहे थे जिन्होंने 5 मार्च 1966 को मिज़ोरम की राजधानी आइज़वाल पर बम गिराये। बाद में दोनों कांग्रेस के टिकट पर सांसद और सरकार में मंत्री भी बने।
स्पष्ट है कि नार्थ ईस्ट में अपने ही लोगों पर हवाई हमला करने वालों को… pic.twitter.com/eXjQ33XUwe
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 13, 2023
धार्मिक जन नाम के अकाउंट ने भी ट्वीट कतरते हुए ऐसा ही दावा किया. (आर्काइव लिंक)
डिम्पल कुमार नाम के यूजर ने भी ट्विटर पर ऐसा ही दावा किया. (आर्काइव लिंक)
कई अन्य यूज़र्स ने भी सोशल मीडिया पर यही दावा किया.
फ़ैक्ट-चेक
कांग्रेस नेता और राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट ने अमित मालवीय के ट्वीट का जवाब देते हुए राष्ट्रपति का एक लेटर ट्वीट किया जिसमें लिखा है कि श्री राजेश्वर प्रसाद (राजेश पायलट) को 29 अक्टूबर 1966 को भारतीय वायुसेना में पायलट ऑफ़िसर के रूप में कमीशन किया गया था. इस ट्वीट में सचिन पायलट ने लिखा, “स्व. श्री राजेश पायलट जी दिनांक 29 अक्टूबर, 1966 को भारतीय वायु सेना में कमीशन हुए थे. ये कहना कि उन्होंने 5 मार्च 1966 में मिज़ोरम में बमबारी की थी – काल्पनिक है, तथ्यहीन है और पूर्ण तरह भ्रामक है.”
.@amitmalviya – You have the wrong dates, wrong facts…
Yes, as an Indian Air Force pilot, my late father did drop bombs. But that was on erstwhile East Pakistan during the 1971 Indo-Pak war and not as you claim, on Mizoram on the 5th of March 1966.
He was commissioned into the… https://t.co/JfexDbczfk pic.twitter.com/Lpe1GL1NLB— Sachin Pilot (@SachinPilot) August 15, 2023
हमने भारत के राजपत्र के भाग I-खंड 4: रक्षा मंत्रालय (वायु शाखा) दिनांक 29 अप्रैल, 1967, पृष्ठ संख्या 343 में राजेश्वर प्रसाद उर्फ राजेश पायलट की सेवा संख्या और शाखा को स्वतंत्र रूप से सत्यापित किया है जो है सेवा संख्या – 10528, शाखा – जेंनरल ड्यूटीज़ (पायलट). भारत के राजपत्र का लिंक आप यहां देख सकते हैं.
सेना के अधिकारियों का सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डाटा रखने वाले वेबसाइट भारत रक्षक डेटाबेस में भी, राजेश्वर प्रसाद उर्फ़ राजेश पायलट की कमीशनिंग तिथि 29 अक्टूबर 1966 लिखी गई है. डेटाबेस का लिंक आप यहां देख सकते हैं.
हमने इस मामले में टिप्पणी के लिए सुरेश कलमाड़ी से भी संपर्क करने की कोशिश की, जानकारी मिलने पर इस लेख को अपडेट किया जाएगा.
कुल मिलाकर, भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय और बाकी भाजपा नेताओं ने झूठा दावा किया कि राजेश पायलट उन विमानों को उड़ा रहे थे जिससे मार्च 1966 में मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल पर बम गिराया गया था. असल में राजेश्वर प्रसाद उर्फ़ राजेश पायलट बमबारी के 7 महीने बाद अक्टूबर 1966 में पायलट के रूप में इंडियन एयर फोर्स में कमीशन हुए थे.
पहले भी हुआ है ये दावा
हमने इस मामले से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए इंटरनेट पर सर्च किया. ‘द प्रिंट’ के एडिटर शेखर गुप्ता की 10 अप्रैल 2010 की ‘द इंडियन एक्सप्रेस‘ में लिखी हुई एक कॉलम मिली. इसमें उन्होंने दावा किया कि जब मिज़ो विद्रोहियों ने राजकोष पर अपना झंडा फहराया था, और असम राइफल्स बटालियन मुख्यालय को लूटने वाले थे जिसमें न केवल सैनिक बल्कि उनके परिवार भी रहते थे. तब श्रीमती गांधी ने आइजोल पर बमबारी करने के लिए हवाई जहाज भेजे थे. उन बमबारी में दो पायलटों के नाम शामिल थे जिसके बारे में सभी को बाद में पता चला. उनका नाम था राजेश पायलट और सुरेश कलमाडी. इसी आर्टिकल को ‘द प्रिन्ट‘ की वेबसाइट पर भी पब्लिश किया गया था. कई अन्य वेबसाइट्स ने भी इंडियन एक्सप्रेस के इस कॉलम को अपना स्रोत बताते हुए यही दावा किया है.
शेखर गुप्ता ने 15 जुलाई 2020 के ट्वीट में भी इसी दावे को दोहराया और कहा कि 1966 की शुरुआत में जब मिज़ो विद्रोह शुरू हुआ और ऐसा लग रहा था कि आइज़ोल गिर जाएगा, कुछ ही हफ्तों के लिए प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी ने विद्रोहियों पर हमला करने के लिए भारतीय वायुसेना को भेजा था. इस हमले में कैरीबस जैसे विमान का भी इस्तेमाल किया गया, इन्हें राजेश पायलट उड़ा रहे थे और सुरेश कलमाड़ी नेवीगेटर थे. (आर्काइव लिंक)
शेखर गुप्ता का जवाब
इस मुद्दे पर हमने ‘द प्रिन्ट’ के फ़ाउंडर शेखर गुप्ता को 17 अगस्त को कॉन्टेक्ट किया और उनसे ‘द इंडियन एक्स्प्रेस’ के कॉलम और उनके ट्वीट को लेकर जानकारी के सोर्स के बारे में सवाल किया. उन्होंने हमें 23 अगस्त को जवाब देते हुए कहा, “यदि आप इंडियन एक्सप्रेस वेबसाइट पर संबंधित कॉलम देखें, तो आपको वो उत्तर मिल जाएंगे जिनकी आप तलाश कर रहे हैं. आप इन्हें कुछ हद तक विस्तार से “दि प्रिंट” पर भी पा सकते हैं.”
हमने देखा कि ‘द इंडियन एक्स्प्रेस’ पर 2010 में शेखर गुप्ता द्वारा लिखे गए कॉलम को 21 अगस्त 2023 को अपडेट कर दिया गया और उसमें से ये दावा हटा दिया गया कि मार्च 1966 में आइज़ोल पर इंडियन एयर फोर्स द्वारा की गई बमबारी में राजेश पायलट (राजेश्वर प्रसाद) का नाम भी शामिल था. इसके साथ ही शेखर गुप्ता ने इंडियन एक्स्प्रेस के कॉलम में लिखा, “मैं तारीखों और अवधियों में उलझ गया और उनका (राजेश पायलट) नाम शामिल करने में गलती हो गई. तदनुसार, मेरे इस आर्टिकल में सुधार किए गए हैं.”
शेखर गुप्ता ने ‘द प्रिन्ट’ की वेबसाइट पर भी इस कॉलम को अपडेट कर दिया और वो लाइन हटा दी जिसमें दावा किया गया था कि आइज़ोल पर इंडियन एयर फोर्स द्वारा की गई बमबारी में राजेश पायलट का नाम भी शामिल था. इसके साथ ही उन्होंने इसको लेकर सफाई दी. उन्होंने अपनी कॉलम में जो उल्लेख किया था वो राजेश पायलट सहित उस समय के इंडियन एयर फोर्स के पायलटों के साथ समय-समय पर हुई कई बातचीत पर आधारित था. वो कई बातचीतों की तारीखों और पीरियड्स में उलझ गए जिसका उन्हें खेद है और वो मानते हैं कि उनसे भूल हुई. आगे उन्होंने कहा कि मूल रूप से द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित उनके आर्टिकल में सुधार किए गए हैं.
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