शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) विधायक संजय गायकवाड़ ने हाल ही में हॉस्टल कैंटीन के मैनेजर को कथित तौर पर थप्पड़ मारा था. इसके बाद उन्होंने दक्षिण भारतीयों पर निशाना साधते हुए एक विवादित टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के लोग जो “डांस बार और लेडीज बार चलाते हैं, उन्हें महाराष्ट्र में खाद्य आपूर्ति के ठेके नहीं दिए जाने चाहिए.”

ये नस्लीय टिप्पणी न केवल दक्षिण भारतीय समुदाय के खिलाफ घृणा फैलाती है, बल्कि सांप्रदायिक और क्षेत्रीय विभाजन को भी बढ़ावा देती है.

दरअसल, संजय गायकवाड़ ने ये टिप्पणी 8 जुलाई वाले वीडियो के बाद दी जिसमें वो मुंबई स्थित आकाशवाणी विधायक आवास पर एक कैंटीन मैनेजर को कथित तौर पर बासी खाना परोसने पर थप्पड़ और घूंसे मारते हुए दिखाई दिए थे. वीडियो में मैनेजर को ज़मीन पर गिरने के बाद बड़ी मुश्किल से उठते हुए देखा जा सकता है. जबकि गायकवाड़ लगातार उसपर हमला कर रहे थे. वीडियो में, बनियान और तौलिया पहने संजय गायकवाड़, मैनेजर को थप्पड़ और घूंसे मारने से पहले उसे दाल का एक पैकेट सूंघने के लिए मजबूर करते हुए दिखते हैं.

महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने 9 जुलाई को कैंटीन चलाने वाले कैटरर का लाइसेंस निलंबित कर दिया और कहा कि निरीक्षण के दौरान खाद्य सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन पाया गया.

10 जुलाई को महाराष्ट्र के बुलढाणा के विधायक संजय गायकवाड़ ने इंडिया टुडे चैनल से कहा, “मैनेजर और लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं, मैंने वेटर को नहीं मारा, मैंने मैनेजर को मारा था और मुझे मैं जानता हूँ कि मेरा तरीका ग़लत था, लेकिन मंजिल सही थी, अगर कोई ऐसा हरकत करेगा तो मैं फिर से मारूँगा मैं दोहरा रहा हूँ. मिनिस्टर और एमएलए ने 200-400 कंप्लेन की लेकिन एफडीआई ने कोई कार्रवाई नहीं की. क्यूंकि प्रशासन लेन-देन में लगा रहता है जिससे कार्रवाई में देरी से हुई, शेट्टी नाम के ठेकेदार को ठेका क्यों दिया गया? किसी मराठी व्यक्ति को दे दो, वो जानते हैं कि हम क्या खाते हैं और हमें अच्छी क्वालिटी का खाना देंगे”.

उन्होंने आगे कहा, “साउथ के लोगों की प्रवृत्ति जो महाराष्ट्र के प्रति रही है. देखिए, पूरे लेडीज बार, डांस बार, हमारे पूरे महाराष्ट्र के जवान बच्चों को खराब करने का काम, हमारे महाराष्ट्र की संस्कृति खराब करने का काम इन लोगों ने किये, डांस बार, लेडीज बार ये तो हमारे महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है”. संजय गायकवाड़ ने आगे दावा किया कि दक्षिण भारतीय महाराष्ट्र को बर्बाद करने में भूमिका निभा रहे हैं.

बता दें कि विधायक द्वारा कैंटीन संचालक को थप्पड़ मारने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विधायक के व्यवहार पर विधानसभा में हंगामा हुआ, जहां सरकार और विपक्ष की ओर से व्यापक निंदा हुई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने नाराज़गी जाहिर करते हुए उचित कार्रवाई करने की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई होने की बजाय विधायक और विवादित बयान देते दिखें.

इस मामले में 11 जुलाई को मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन ने गायकवाड़ और उनके सहयोगी के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2), 352 और 3(5) के तहत गैर-संज्ञेय मामला दर्ज किया था. ये धाराएँ चोट पहुँचाने और शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने जैसे अन्य आरोपों से संबंधित हैं.

इन सबके बीच AIMIM के नेता इम्तियाज़ जलील ने संजय गायकवाड़ द्वारा कैंटीन कर्मचारी को पीटने की आलोचना की. इसके बाद 11 जुलाई को संजय गायकवाड़ ने इम्तियाज जलील को खुलेआम धमकी देते हुए कहा कि अगर इम्तियाज़ को इतनी चिंता है तो वो खुद कैंटीन चलाएं और वैसा खाना खिलाएं. संजय गायकवाड़ ने आगे कहा, “मैंने उस कर्मचारी को दो थप्पड़ मारे, लेकिन इम्तियाज़ जलील तुम्हें ऐसा मारूँगा ऐसा मारूँगा कि फिर से तुम वह होटल चलाने के लायक भी नहीं रहोगे.”

 

ये सिर्फ एक या पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई बार संजय गायकवाड़ खुलेआम विवादित बयान दे चुके हैं. ये सिलसिला लगातार जारी है:

राहुल गांधी की जीभ काटने के लिए 11 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा

इससे पहले सितंबर 2024 में संजय गायकवाड़ ने अमेरिका यात्रा के दौरान आरक्षण पर दिए गए बयान को लेकर राहुल गांधी की जीभ काटने के लिए 11 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी. इसे लेकर उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी.

वोट न देने वालों को वेश्या बोल दिया

2025 में महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव संपन्न हुआ. इसी दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए संजय गायकवाड़ ने प्रॉस्टिट्यूट शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा कि सिर्फ शराब, मटन और पैसा लेकर वोट करते हैं. 2-2 हजार में बिक गए. इनसे तो प्रॉस्टिट्यूट अच्छी है.


पुलिसकर्मी के हाथ से डंडा छीनकर खुद ही पिटाई करने लगे 

विधायक संजय गायकवाड़ के लिए किसी को पीट देना कोई बड़ी बात नहीं है. 19 फरवरी 2024 को शिव जयंती के जुलूस के दौरान एक पुलिस अधिकारी द्वारा एक युवक को पकड़े जाने के बाद विधायक गायकवाड़ पुलिसकर्मी के हाथ से डंडा छीनकर खुद ही उसकी पिटाई करने लगे. घटना के बाद बुलढाणा पुलिस अधीक्षक ये कहते दिखे कि पुलिस को विधायक के खिलाफ कोई शिकायत नहीं मिली है. अगर कोई शिकायत मिलती है, तो पूरी और कानूनी जाँच के बाद मामला ज़रूर दर्ज किया जाएगा.

महिला किसान की जमीन पर कब्ज़ा करने का आरोप

ABP न्यूज़ के मुताबिक, 28 फरवरी 2024 को मोटाला कोर्ट के आदेश पर बोराखेड़ी पुलिस (बुलढाणा पुलिस) ने एक महिला की खेती की ज़मीन हड़पने और उसे जान से मारने की कोशिश के आरोप में संजय गायकवाड़ समेत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. आरोप था कि नागपुर की रीता यमुनाप्रसाद उपाध्याय के पास ग्रुप नंबर 62, राजूर शिवारा, मोटाला तालुक में डेढ़ एकड़ का खेत पर 2021 के कोरोना काल के दौरान विधायक संजय गायकवाड़ और उनके अन्य साथियों ने जबरन कब्ज़ा कर लिया. विधायक गायकवाड़ ने इस जगह पर एक आलीशान फार्म हाउस का निर्माण भी शुरू करा दिया था.

शेर का दांत गले में पहनने का मामला

फरवरी 2024 में शिवसेना विधायक एक बार फिर विवाद में आ गए थे, जब उन्होंने 1987 में एक बाघ का शिकार किया था और उसके दांत को अपने गले में पहन रखा था. राज्य वन विभाग ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर विधायक के गले में पहने गए दांत को भी कब्जे में ले लिया.

संजय गायकवाड़ की कार धोते पुलिसकर्मी 

अगस्त 2024 में एक पुलिसवाला संजय गायकवाड़ की गाड़ी धोतें हुए दिख रहा था. बाद में गायकवाड़ ने सफाई दी कि पुलिसवाले ने नाश्ते के बाद गाड़ी में उल्टी कर दी थी इसी वजह से वो कार को साफ ​​करने के लिए खुद आगे आया.

अप्रैल 2025 में विधायक संजय गायकवाड़ ने महाराष्ट्र पुलिस की कार्यकुशलता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि महाराष्ट्र के अलावा दुनिया में कहीं भी इतना अक्षम पुलिस विभाग नहीं है. इसके बाद मुख्यमंत्री और गृह मंत्री देवेंद्र फडणीस ने गायकवाड़ के बयान पर संज्ञान लेते हुए एकनाथ शिंदे से कड़ी सफाई देने को कहा गया था. बाद में संजय गायकवाड़ ने माफ़ी मांगी थी.

शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ ऐसे विवादित बयानों पर विपक्षी दलों और यहाँ तक कि उनकी अपनी पार्टी के कुछ लोगों द्वारा व्यापक प्रतिक्रिया व आलोचना झेलते हैं. हालाँकि, इसके बाद भी गायकवाड़ पर कोई गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई.

ऐसे में कुछ समय से लगातार दिए गए ऐसे नस्लीय और धमकी भरे बयान ये सवाल खड़े करते हैं कि सरकार और न्याय व्यवस्था, सत्ता के रथ पर सवार इन नेताओं के प्रति इतनी उदार क्यों है?

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