सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा जिसमें एक व्यक्ति एक सिम कार्ड घोटाले की बात कर रहा है. उसे कहते हुए सुना जा सकता है, “10,000 सिम कार्ड सिर्फ़ एक व्यक्ति के नाम पर मिले हैं. झारखण्ड में जब ATS ने छापा मारा है, NIA ने छापा मारा है. तब 10,000 सिम मिलते हैं जावेद के पास और ये सभी सिम कार्ड एक ही कंपनी के मिलते हैं…संभवतः, ये ‘जिहाद’ का भी मूवमेंट हो सकता है, ATS पड़ताल कर रही है…”

फ़ेसबुक पर ये वीडियो बहुत ज़्यादा शेयर हो रहा है. ऑल्ट न्यूज़ को इसकी पड़ताल के लिए व्हाट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) और मोबाइल एप्लीकेशन पर रिक्वेस्ट मिली है.

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2020 से वायरल

ट्विटर, फे़सबुक और व्हाट्सऐप यूज़र्स ये वीडियो शेयर करते हुए पिछले साल ‘जिहाद’ होने का दावा किया था.

फे़सबुक पर ये वीडियो बहुत ज़्यादा वायरल है.

ऑल्ट न्यूज़ को इसके फै़क्ट चेक के लिए ऑफ़िशियल एंड्रॉइड ऐप पर रिक्वेस्ट भी भेजी गयी थी.

फै़क्ट-चेक

जब हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया तो हमें द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की अक्टूबर, 2018 की एक फै़क्ट-चेक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट के मुताबिक दो साल पहले भी 10,000 सिम वाली घटना के बारे में ग़लत दावा वायरल हुआ था. ट्विटर यूज़र्स ने दावा किया था, “10000 सिम कार्ड के द्वारा, ब्राह्मणों के नाम पर नकली फे़सबुक आईडी बनाकर नोटा का प्रचार करने वाला जावेद रांची से गिरफ़्तार, किया गया है.” रिपोर्ट के अनुसार द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने झारखण्ड के ऐंटी-टेरर स्क्वाड (ATS) का एक ऑपरेशन रिपोर्ट किया था जब ATS ने रांची में एक सिम कार्ड रैकेट पकड़ा था. रांची के कांके और कंथा टोली के एक ही फ़्लैट से कुल 7,000 से ज़्यादा सिम कार्ड और सिम बॉक्स बरामद हुए थे. इस मामले में 3 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. शुरुआती रिपोर्ट्स में बताया गया था कि सभी सिम दुबई के जावेद अहमद के नाम पर रजिस्टर्ड थे. लेकिन द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने द टेलीग्राफ़ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि पुलिस और ATS अधिकारी का बयान जारी किया गया है जिसमें सच्चाई कुछ और ही बताई गयी है. सिम किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं बल्कि कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड थे.

मालूम पड़ा कि एक दिन पहले, यानी 24 अक्टूबर को द टेलीग्राफ़ ने बताया था कि एक शख्स के पास 10 हज़ार सिम कार्ड्स मिले थे. लेकिन 25 अक्टूबर की रिपोर्ट में द टेलीग्राफ़ ने अपडेट देते हुए बताया कि असल में ये सभी सिम एक कंपनी के नाम पर जारी किये गए थे न कि किसी एक इंसान के नाम पर. रिपोर्ट में लिखा है, “झारखण्ड ATS ने इसकी पुष्टि की है कि 10,000 सिम एक कंपनी, ‘वन एक्सेल’ के नाम पर जारी किया गया था न कि इसके मालिक जावेद अहमद के नाम पर.” रिपोर्ट में आगे बताया गया था, “इस जांच का नेतृत्व करने वाले एसपी पी. मुरुगन ने बताया कि वन एक्सेल कंपनी टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (TRAI) के तहत रजिस्टर्ड है. सिम्स को एयरटेल कॉर्पोरेट यूज़र प्लान के तहत जारी किया गया था.” बता दें कि TRAI के नियम के मुताबिक कंपनियां बड़ी संख्या में एक साथ सिम खरीद सकती हैं, वहीं आम लोग, एक आईडी पर अधिकतम 9 ही सिम ले सकते हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने झारखण्ड ATS के एसपी अंजनी अंजन से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया, “ये प्रमोशन करने वाली कम्पनी थी जो रजिस्टर्ड थी. कई कंपनी के साथ उनका अग्रीमेंट था. उसके डॉक्यूमेंट का भी वेरिफ़िकेशन हुआ था. उसमें कोई जिहाद का ऐंगल नहीं आया था. वो नाॅर्मल कम्पनियां जैसे पैंटालून वगैरह के बल्क मैसेज भेजते हैं, प्रमोशन के लिए. तो जिसने भी सिम ले रखा था, वो प्रमोशन करता था. इसमें कोई क्रिमिनल ऐंगल हमें नहीं मिला था और इसलिए कोई केस दर्ज भी नहीं हुआ था.”

अधूरी जानकारी के साथ भ्रामक सूचना दी गयी

जब हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च किया तो ओरिजिनल वीडियो मिला जिसे एक वेरिफ़ाइड अकाउंट, नितिन शुक्ला ने 29 अक्टूबर, 2018 को अपलोड किया था. इसी वीडियो का हिस्सा वायरल हो रहा है.

वीडियो में 1 मिनट 7 सेकंड पर एक न्यूज़ का स्क्रीनशॉट दिखाया जाता है. ये टेलीग्राफ़ की पहली रिपोर्ट है जिसमें सिम एक व्यक्ति के नाम होने की बात कही गयी थी. वीडियो में यूट्यूबर ने कहीं भी अपडेट की हुई रिपोर्ट को नहीं दिखाया या मेंशन किया. इसी तरह 1 मिनट 58 सेकंड पर जो न्यूज़ क्लिप के पॉइंट दिखाए गये हैं वो भी इसी रिपोर्ट का हिस्सा हैं. आगे, 2 मिनट 49 सेकंड पर जो क्लिप है उसे गूगल करने पर पता चला कि ये न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट है. ये रिपोर्ट 25 अक्टूबर, 2018 को 12 बजे पब्लिश की गयी थी. टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट शाम को 6 बजकर 38 मिनट पर पब्लिश हुई है. यानी, पुलिस का बयान जारी होने के बाद.

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यहां से ये साफ़ होता है कि इस यूट्यूबर ने टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट के बाद ये वीडियो बनाया लेकिन इसके बारे अपडेट नहीं दिया कि सिम TRAI के तहत रजिस्टर्ड एक कंपनी, वन एक्सेल को जारी किये गए थे.

कुल मिलाकर, दो साल पुरानी एक घटना को हाल में ग़लत दावों के साथ शेयर किया जा रहा है. बड़ी संख्या में सिम कार्ड कंपनी ने प्रमोशन करने के मकसद से ये सिम ख़रीदे थे.


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