किसान आंदोलनों से जुड़ी ग़लत सूचनाएं और पोस्ट लगातार शेयर किये जा रहे हैं. इसी क्रम में कई ट्विटर यूज़र्स ने एक वीडियो शेयर किया जिसमें लोग प्रो-पाकिस्तान नारा लगा रहे हैं. एक मिनट का ये वीडियो शेयर किया जा रहा है.

ट्विटर यूज़र @OmPraka43229608 ने ये वीडियो पोस्ट किया जिसे 2,100 से ज़्यादा लोग रीट्वीट कर चुके हैं और 25,000 से ज़्यादा बार देखा जा चुका है. (आर्काइव लिंक)

अक्सर ग़लत और भ्रामक सूचनाएं फ़ैलाने वाले ट्विटर यूज़र Akash RSS ने भी इसे शेयर किया और 450 से ज़्यादा लोग इसे रीट्वीट भी कर चुके हैं. (आर्काइव लिंक)
2015 का वीडियो

कुछ फ़ेसबुक यूज़र्स ने भी ये वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया. ऑल्ट न्यूज़ को इसके फै़क्ट चेक के लिए व्हाट्सऐप नंबर (+917600011160) और ऑफ़िशियल एंड्रॉइड ऐप पर रिक्वेस्ट भी भेजी गयी.

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ऑल्ट न्यूज़ ने फे़सबुक और यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च किया और पाया कि ये वीडियो अक्टूबर 2015 में स्थानीय न्यूज़ आउटलेट्स कश्मीर एसेंस न्यूज़ और द कश्मीर पल्स ने अपलोड किया था.

नीचे वायरल वीडियो और न्यूज़ आउटलेट के फ़्रेम की तुलना की गयी है.

फे़सबुक पेज मिशन सेव पाकिस्तान ने इस घटना की एक तस्वीर शेयर करते हुए द डेक्कन क्रॉनिकल की एक न्यूज़ रिपोर्ट शेयर की थी.

द कश्मीर पल्स के मुताबिक, सिख प्रदर्शनकारियों ने कश्मीर के बारामुला में सिख धर्मग्रन्थ, गुरु ग्रन्थ साहिब को अपमानित किये जाने के खिलाफ़ प्रोटेस्ट के दौरान प्रो-पाकिस्तान नारे लगाये थे. द डेक्कन क्रॉनिकल ने इसके बारे में रिपोर्ट किया था.

यानी, सोशल मीडिया यूज़र्स ने 2015 का वीडियो शेयर करते हुए उसे हालिया किसान आन्दोलन से जोड़ा. पिछले कुछ हफ़्तों में अनेकों वीडियो और तस्वीरों को किसान आन्दोलन से जोड़कर शेयर किया जा चुका है और इसे खालिस्तानी एजेंडा बताते हुए प्रदर्शन को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.