दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 18 अप्रैल को नई दिल्ली में कोरोना वायरस की स्थिति पर 10 मिनट का भाषण दिया. इसका यूट्यूब पर सीधा प्रसारण भी किया गया. भाषण में 2 मिनट पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोना हॉटस्पॉट वाले इलाकों में कुछ लोग अब भी गलियों में घूम रहे हैं और पड़ोसियों के घर जा रहे हैं. 2:00 से 2:44 तक उन्होंने कहा, “कल, जहांगीरपुरी में एक कंटेनमेंट ज़ोन है, वहां पर एक ही कुनबे के 26 लोगों को कोरोना मिला है कल. एक ही परिवार के. वो 26 लोग मतलब पास-पास उनके कई सारे मकान थे, तो वे एकदूसरे के घर जा रहे थे इस कंटेन्मेंट के बावजूद.”

जैसा मीडिया ने रिपोर्ट किया-

1. फ़्री प्रेस जर्नल, हिंदुस्तान टाइम्स, आउटलुक (आईएएनएस से आई कॉपी) और एनडीटीवी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कोट करते हुए रिपोर्ट किया कि जहांगीरपुरी में एक ही परिवार के 26 लोग संक्रमित हुए.

2. स्क्रॉल, इंडियन एक्सप्रेस और कलिंग टीवी (आईएएनएस की कॉपी) ने रिपोर्ट किया कि जहांगीरपुरी में 31 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से 26 एक ही परिवार के हैं.

3. इंडिया टुडे (पीटीआई की कॉपी) और एबीपी न्यूज़ ने रिपोर्ट किया कि जहांगीरपुरी में एक बड़े परिवार के 31 लोग COVID-19 पॉज़िटिव पाए गए.

19 अप्रैल को इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया कि जहांगीरपुरी में एक कोरोना हॉटस्पॉट से सरकार के कम्युनिटी टेस्टिंग प्रयास के तहत 60 लोगों के सैम्पल लिए गए. इनमें से 31 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से 26 एक ही परिवार के हैं.

ख़बर के मुताबिक इस इंफ़ेक्शन का सोर्स 60 साल की एक बुज़ुर्ग महिला है जो 5 अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित हुई थी. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक परिवार के 26 सदस्य इस महिला के रिश्तेदार हैं.

18 अप्रैल को उत्तरी ज़िलाधिकारी शिंदे दीपक अर्जुन ने ANI को बताया, “ये 31 लोग जो COVID-19 पॉजिटिव पाए गए हैं, ये या तो उस बुज़ुर्ग महिला के रिश्तेदार हैं जिसकी कोरोना वायरस से इंफेक्शन के बाद मौत हो गई, या उसके घर गए हैं.” यहां यह ध्यान देना जरूरी है कि अर्जुन ने ये नहीं कहा कि परिवार के 26 लोग इन्फ़ेक्टेड हैं.

26 अप्रैल को द प्रिंट ने जहांगीरपुरी से ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की. ख़बर में बताया गया कि अजीमन बीबी वो महिला थी जिसकी 5 अप्रैल को कोरोना वायरस के चलते मौत हुई. ख़बर के मुताबिक जांच रिपोर्ट मौत के 4 दिन बाद आई थी.

फ़ैक्ट-चेक

इस फ़ैक्ट चेक का क्षेत्र दो बातों तक सीमित है-

1. अजीमन बीबी के परिवार में सदस्यों की संख्या का वेरिफिकेशन

2. जिन परिस्थितियों में अजीमन बीबी की मौत हुई.

ऑल्ट न्यूज़ ने अजीमन बीबी के बेटे से बात की

नूर मोहम्मद के परिवार में 16 सदस्य थे. यह 5 अप्रैल की शाम 5 बजे तक था, जब तक उन्होंने अपनी 52 साल की मां को नहीं खोया था. “मेरी मां का स्वास्थ्य पिछले 10 साल से सही नहीं था. लेकिन जो दर्द और परेशानी उन्होंने मौत से पहले सही वैसा पहले कभी नहीं हुआ था.”

ऑल्ट न्यूज़ के पास अजीमन बीबी के आधार कार्ड की कॉपी है जिसके मुताबिक वह 1968 में पैदा हुई थीं. यानी अजीमन बीबी की उम्र के बारे में भी मीडिया ने गड़बड़ कर दी.

इलेक्ट्रिशियन का काम करने वाले मोहम्मद ने बताया, “30 मार्च से मां के बुखार था और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. हम 3 और 4 अप्रैल को तीन अलग-अलग अस्पतालों में कई बार गए. किसी ने उनका कोरोना वायरस टेस्ट करने की ज़हमत नहीं उठाई.” मोहम्मद और उनका परिवार जहांगीरपुरी वॉर्ड 21 में रहता है.

राज्य की असफलता: अजीमन बीबी की जिंदा रहते कोरोना वायरस जांच क्यों नहीं हुई, जबकि लक्षण दिख रहे थे?

मोहम्मद के मुताबिक वो अपनी मां की जांच कराने के लिए 3 और 4 अप्रैल को इन अस्पतालों में ले गए- बाबू जगजीवन राम मेमोरियल हॉस्पिटल, डॉक्टर बाबा साहेब अंबेडकर हॉस्पिटल, राजन बाबू टीबी हॉस्पिटल और राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल. द प्रिंट की रिपोर्ट में पड़ोसियों के बयानों में भी इनका ज़िक्र मिला है.

मोहम्मद ने हमारे साथ वो कागज़ात शेयर किए जिनसे इस बात की पुष्टि होती है कि वे इन अस्पतालों में गए थे. नीचे दी गई तस्वीर में वो फ़ॉर्म दिख रहा है जो 3 अप्रैल को बाबा साहेब अंबेडकर हॉस्पिटल के रेडियो डाइग्नोसिस विभाग में भरा गया था.

मोहम्मद के मुताबिक कोरोना वायरस के लक्षण होने के बावजूद सरकारी अस्पतालों ने उनकी मां की जीवित रहते जांच नहीं की. 5 अप्रैल को शाम 5 बजे के लगभग डॉ राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गई.

कुछ ही घण्टों बाद मोहम्मद को मां की लाश ले जाने की इजाज़त भी मिल गई. अगले दिन मोहम्मद के साथ 35 और लोगों ने, परिवार वालों और पड़ोसियों ने अजीमन बीबी को अंतिम विदाई दी.

ऑल्ट न्यूज़ ने जहांगीरपुरी वार्ड 21 की म्युनिसिपल काउंसिलर पूनम अश्विनी बागरी से बात की. उन्होंने बताया, “9 अप्रैल को मुझे आधिकारिक डॉक्यूमेंट प्राप्त हुए जिनमें नए कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीजों की लिस्ट थी, जीवित और संक्रमित. इस डॉक्यूमेंट के मुताबिक अजीमन बीबी की जांच रिपोर्ट 7 अप्रैल को आई थी. तो फिर क्यों राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल ने अजीमन बीबी के परिवार को उनका शव ले जाने की अनुमति दे दी? यह पूरी तरह से मेरे वॉर्ड को जोखिम में डालना है.”

ऑल्ट न्यूज़ के पास बताये गए डॉक्यूमेंट की कॉपी है. यहां ध्यान देना ज़रूरी है कि जहांगीरपुरी ब्लॉक ‘B’ दिल्ली में 8 अप्रैल को बताए गए 22 कंटेन्मेंट ज़ोन में से एक था. 10 अप्रैल को जब अधिकारियों को पता चला कि अजीमन बीबी की जांच रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है तो ब्लॉक ‘C’ (अजीमन बीबी का ब्लॉक) को भी इस लिस्ट में जोड़ा गया.

10 अप्रैल को नूर मोहम्मद ने डॉक्टर राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल से अपनी मां की रिपोर्ट ली, जिसमें उनके कोरोना वायरस पॉजिटिव होने की पुष्टि की गई थी. नूर सवाल उठाते हैं कि “मैं कुछ कर नहीं सकता लेकिन हैरानी की बात है कि जब मां वायरस के संक्रमण में आने की पुष्टि नहीं हुई थी तो इन्होंने हमें शव घर ले जाने की इजाज़त क्यों दी?”

नूर के परिवार में कितने सदस्य हैं

मोहम्मद और उनके परिवार को 10 अप्रैल से दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) फ़्लैट्स, नरेला में क्वारंटाइन किया गया है. उन्होंने बताया, “मेरे परिवार में मेरे साथ मेरे पिता, चाचा, पांच भाई (तीन शादीशुदा), तीन महिलाएं और पांच बच्चे हैं.” ये कुल 15 लोग हुए.

27 अप्रैल को मोहम्मद के परिवार को दो अलग-अलग जगहों पर क्वारंटाइन किया गया है. मोहम्मद ने बताया, “हममें से 8 को उस बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है जहां उन लोगों को क्वारंटाइन किया गया है जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है. बाकी बचे 7 को अलग बिल्डिंग में रखा गया है जहां पॉज़िटिव रिपोर्ट आने वाले मरीज़ों को क्वारंटाइन किया गया है.”

नूर के मुताबिक इन 7 में से 6 की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई थी. “सातवां सदस्य मेरी भाभी का बच्चा है. उसे मां के दूध की ज़रूरत है इसलिए भाभी ने उसे अपने साथ रखा है.” नूर मोहम्मद ने बताया कि डॉक्टर्स ने उनकी जांच रिपोर्ट की हार्ड कॉपी अभी तक नहीं दी है.

बाकी पॉज़िटिव मामलों की लिस्ट वाले डॉक्यूमेंट

दिल्ली के एक पत्रकार ने (नाम न छापने की शर्त पर) ऑल्ट न्यूज़ के साथ एक एक्सेल शीट की फ़ोटो शेयर की है जिसे एक सरकारी अधिकारी ने उपलब्ध कराया है. शीट में जहांगीरपुरी के उन 31 लोगों के नाम, उम्र और अड्रेस की लिस्ट बनाई गई है जिन्हें कोरोना वायरस पॉज़िटिव पाया गया है. ऑल्ट न्यूज़ उन लोगों की व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित करते हुए वह लिस्ट दिखा रहा है.

नूर ने बताया, “क्योंकि मैं इस इलाके में इलेक्ट्रिशियन का काम करता हूं, इसलिए लिस्ट में बताए गए सभी 31 लोगों को जानता हूं. दरअसल मैं पहले कभी न कभी इन सभी लोगों के घर जा चुका हूं. इन 31 में से 13 लोग मेरे परिवार का हिस्सा हैं.” नूर ने बताया कि इन 13 लोगों में उनकी बहनें और बाकी के रिश्तेदार भी हैं. वे सभी आस-पास रहते हैं लेकिन उनके 15 सदस्यों वाले तात्कालिक परिवार का हिस्सा नहीं हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने 31 लोगों की लिस्ट में 3 लोगों से बात की. (नाम छिपाने की शर्त पर) उन सभी ने बताया कि लिस्ट में बताए गए लोग एक ही परिवार से सम्बंध नहीं रखते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि इनमें से कम से कम एक का नाम और पता गलत लिखा गया है.

नूर के मुताबिक इस लिस्ट में से 2 लोग 6 अप्रैल को उनकी मां के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे. उस समय तक इनमें से किसी को पता नहीं था कि अजीमन बीबी (लिस्ट में जिन्हें अजीवन लिखा है) कोरोना वायरस से संक्रमित हैं.

सीधे कहा जाए तो नूर के मूल परिवार के 6 लोग और बढ़े परिवार (बहन और रिश्तेदार) के 13 लोगों को कोरोना पॉज़िटिव पाया गया. क्योंकि हॉस्पिटल ने नूर को टेस्ट रिपोर्ट नहीं दी है, इसलिए हम रिज़ल्ट की पुष्टि नहीं कर सकते हैं. कुल मिलाकर एक ही परिवार के 26 लोग कोरोना पॉजिटिव नहीं पाए गए हैं.

उधर म्युनिसिपल काउंसिलर बागरी ने भी पुष्टि की है कि 31 लोगों की लिस्ट में एक ही परिवार के 26 लोगों का नाम नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने क्या सोचकर 26 लोगों के परिवार को हाइलाइट किया जबकि डेटा में ऐसे किसी परिवार का जिक्र नहीं है.”

इसलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का बयान कि 26 सदस्यों वाले परिवार में कोरोना वायरस पाया गया, ग़लत है. मीडिया की भी ग़लती है कि उसने डेटा की पुष्टि किए बिना ख़बर को सनसनीखेज बनाने के लिए 26 सदस्यों वाली फ़ैमिली को कोरोना पॉज़िटिव बताया. केजरीवाल ने परिवार पर लॉकडाउन के नियमों का पालन न करने का आरोप लगाया. मीडिया यह बताने में भी चूक गया कि नूर मोहम्मद कई अस्पतालों में अजीमन बीबी को लेकर गए लेकिन उनमें लक्षण दिखने के बावजूद कोरोना वायरस की जांच नहीं की गई, जब तक बहुत देर नहीं हो गई. डॉक्टर राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल ने पहले अजीमन बीबी में वायरस की पुष्टि किये बिना ही परिवार को उनका शव ले जाने की अनुमति दी. परिवार ने जो फ़्यूनरल आयोजित किया उसमें कई लोग शामिल हुए. मीडिया की ग़लत खबरों ने प्रशासन की चूक को नजरअंदाज़ करते हुए परिवार पर ही वायरस फैलाने की पूरी जिम्मेदारी डाल दी.

जहांगीरपुरी की घटना को सोशल मीडिया पर दिया गया साम्प्रदायिक रंग

18 अप्रैल को पब्लिक पॉलिसी और गवर्नेंस की जानकारी देने का दावा करने वाले ट्विटर हैंडल @India_Policy ने ट्वीट किया, “#BREAKING : 26 members of a single family found #COVID19 positive in Jahangirpuri area of Delhi, including Husband, his 2 wives, 12 daughters, 7 sons and more…”

हिंदी में- “ब्रेकिंग: दिल्ली के जहांगीरपुरी एरिया में एक ही परिवार के 26 लोग COVID-19 पॉजिटिव, जिसमें पति, उसकी दो पत्नियां, 12 बेटियां, 7 बेटे और…” (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

@India_Policy के एक लाख से ऊपर फ़ॉलोवर हैं और इस ट्वीट को 3,500 से ज्यादा लोगों ने रीट्वीट किया है. दिल्ली भाजपा प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने इसे कोट कर रीट्वीट किया जिसे 2000 रीट्वीट मिले हैं. (ट्वीट का आर्काइव लिंक) ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी अफ़वाहों का सच बताया है जब बग्गा ने झूठी जानकारी शेयर की है.

दक्षिणपंथी वेबसाइट द फ्रस्ट्रेटेड इंडियन ने इस घटना पर एक लेख लिखा है जिसमें @India_Policy के ट्वीट को जोड़ा गया है. लेख कहता है “ये मामला न सिर्फ सरकार के लिए खतरे की घण्टी है ताकि वह जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की तरफ बढ़े बल्कि यह एक कारण भी है जो बताता है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड इस समय की पहली ज़रूरत है. कोई 19 बच्चे कैसे कर सकता है, अलग-अलग पत्नियों से भी?” (आर्काइव लिंक)

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि @India_Policy के ट्वीट को आधार बनाकर एक फोटो बनाई गई है जिसे व्हाट्सएप पर शेयर किया जा रहा है.

मीडिया की तरह ही सोशल मीडिया भी मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए ’26 सदस्यों वाले परिवार’ पर अटक गया है. नूर ने इस बात की पुष्टि की कि उनके मूल परिवार या बढ़े हुए परिवार में किसी ने एक से ज़्यादा शादियां नहीं की हैं. दिल्ली भाजपा प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने साम्प्रदायिक झूठ को रीट्वीट किया और इस स्टीरियो टाइप को आगे बढाया कि मुसलमान बहुविवाह करते हैं और कई बच्चे पैदा करते हैं. ये अफवाह असल मे एक गुमनाम ट्विटर हैंडल @India_Policy के द्वारा फैलाई गई है.

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About the Author

🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.