सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल है. तस्वीर में कुछ लोग हाथ में प्लेकार्ड लिए बैठे हैं. इनमें से एक प्लेकार्ड पर लिखा है – “इंडो-चाइना बॉर्डर पर कोई रोड नहीं”. तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि एक NGO – Citizens For Green Doon ने सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन दाखिल की. ये पिटीशन वकील कॉलिन गोंज़ालेस और मोहम्मद आफ़ताब ने दाखिल की. दावे के अनुसार, पिटीशन में पर्यावरण का हवाला देते हुए उत्तराखंड में भारत-चीन बॉर्डर पर सड़क नहीं बनाने की अर्ज़ी की गई. दावे के मुताबिक, NGO के वकील ने कहा कि भारत, युद्ध के वक़्त हवाई रास्ते से उपयोग कर सकता है.
प्रोपगेंडा वेबसाइट क्रियेटली ने ये तस्वीर इसी दावे के साथ ट्वीट की है (ट्वीट का आर्काइव लिंक). BJP आईटी सेल के पूर्व हेड और डिजिटल इंडिया फ़ाउंडेशन के को-फ़ाउन्डर अरविंद गुप्ता ने क्रियेटली का ट्वीट शेयर किया.
Wonder who funds these NGO’s and whether their mandates allow them to interfere with India’s security https://t.co/KxX2BFTRNt
— Arvind Gupta (@buzzindelhi) November 10, 2021
ट्विटर हैंडल @MeghBulletin ने ये तस्वीर इसी दावे के साथ ट्वीट की. आर्टिकल लिखे जाने तक इसे 1,296 बार रीट्वीट किया जा चुका है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
An alleged NGO “Citizens For Green Doon” through lawyers Coulin Gonzales & Md Aftab have filed a petition in the SC urging it to stop the construction of roads on the Indo-China border in Uttarakhand citing the environment.
Says “Indian Forces can use air route in war” pic.twitter.com/4TuUvBwrjP— MeghUpdates🚨™ (@MeghBulletin) November 10, 2021
ट्विटर हैन्डल ‘@drapr007’ ने भी ये तस्वीर इसी दावे के साथ ट्वीट की.
फ़ेसबुक और ट्विटर पर ये तस्वीर इस दावे के साथ वायरल है कि NGO ने भारत-चीन बॉर्डर पर सड़क नहीं बनाने की अर्ज़ी दायर की.
कुछ ट्विटर यूज़र्स ने ये दावा तस्वीर के बिना भी शेयर किया. (लिंक 1, लिंक 2)
An alleged NGO “Citizens For Green Doon” through lawyers Coulin Gonzales & Md Aftab have filed a petition in the SC urging it to stop the construction of roads on the Indo-China border in Uttarakhand citing the environment.
This NGO funding should be checked as it is a chinese???— Abhinav Agarwal 🇮🇳 (@_abhinavagarwal) November 11, 2021
फ़ैक्ट-चेक
इस आर्टिकल में ऑल्ट न्यूज़ आपको वायरल तस्वीर और उसके साथ किये गए दावे की सच्चाई बताएगा.
एडिट की गई तस्वीर
फ़ेसबुक पर NGO के बारे में सर्च करते हुए हमें ‘Citizens For Green Doon’ नाम का एक ग्रुप मिला. इस ग्रुप की कवर इमेज में वायरल तस्वीर शेयर की गई है. लेकिन इसमें प्लेकार्ड पर ‘कम जॉइन CFGD’ लिखा है. यानी वायरल तस्वीर एडिटेड है.
वायरल दावा
ऑल्ट न्यूज़ ने NGO की पिटीशन के बारे में सर्च किया. 10 नवंबर 2021 को लाइव लॉ ने इस पिटीशन के बारे में रिपोर्ट शेयर की. आर्टिकल में सड़क बनाने को लेकर कोई पाबंदी लगाने की बात नहीं बताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने परिपत्र में पहाड़ों पर बनने वाले रास्ते की चौड़ाई 5.5 मीटर रखने की बात बताई थी. आर्टिकल में लिखा है कि इस प्रोजेक्ट का उदेश्य श्रद्धालुओं के लिए रास्ता चौड़ा करने का था जहां रास्ते पर बिना दिक्कत के बसें आमने-सामने से जा सकें. सेना को 10 मीटर की चौड़ाई वाला रास्ता चाहिए लेकिन पिटीशन में यात्रियों के लिए 5.5 मीटर का रास्ता सही माना गया है. ये NGO 5.5 मीटर से ज़्यादा सड़क चौड़ा करने के ख़िलाफ़ है. 2018 के परिपत्र में भारत-चीन बॉर्डर पर सेना को लेकर कुछ भी नहीं बताया गया था. 2020 में बॉर्डर की सड़कों को 7 मीटर तक चौड़ा करने के लिए इसमें संशोधन किया गया था.
वायरल दावे के संबंध में ऑल्ट न्यूज़ ने NGO के वकील कॉलिन गोंज़ालेस से भी बात की. इस दावे का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि कोर्ट में उनकी ओर से चार धाम यात्रा प्रोजेक्ट में रास्ता नहीं बनाने की कोई बात नहीं कही गई. उन्होंने कहा, “2018 में इस प्रोजेक्ट के तहत रास्ते की चौड़ाई 5.5 मीटर निर्धारित की गई थी. इसके बाद इन रास्तों की चौड़ाई 10 मीटर करने की बात सामने आयी. ये पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है. इनसे भूस्खलन का खतरा भी बनता है. हमने कोर्ट में रास्ते बनाने पर प्रतिबंध लगाने की कोई बात नहीं की थी. हमने इन रास्तों की चौड़ाई कम करने की मांग की थी. इन रास्ते की चौड़ाई चार धाम यात्रियों के अनुसार रखने की बात कही थी.”
कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर एक एडिट की गई तस्वीर के साथ झूठा दावा किया गया कि NGO ने पर्यावरण का हवाला देते हुए कोर्ट में भारत-चीन बॉर्डर पर रास्ता नहीं बनाए जाने की अर्ज़ी दायर की.
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