2018 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 11 अक्टूबर को प्रकाशित हुआ, जिसमे भारत का स्थान 119 देशों में 103 पर बताया गया। भारत के इस स्थान पर पहुंचने के लिए बहुत बातें हो चुकी है, खासकर मीडिया घरानों और विपक्ष के सदस्यों द्वारा, जिन्होंने इस गिरावट से सरकार की खूब आलोचना की है। उन सबने दावा किया है कि 2014 में भारत का स्थान 55वे नंबर पर था।
NDTV ने भारत के GHI रैंकिंग की बात ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स: भुखमरी दूर करने में मनमोहन सरकार से पीछे मोदी सरकार, 5 साल में रैंकिंग 55 से गिरकर 103 पर पहुंची’ नाम के लेख में किया। दैनिक भास्कर ने भी ऐसा ही लेख प्रसारित किया – “भारत में भुखमरी: इस मामले में पूरी तरह फेल हुई मोदी सरकार, 4 साल में 55 से 103वें पायदान पर पहुंचा देश, नेपाल-बांग्लादेश भी हमसे आगे!”
भारत में भुखमरी: इस मामले में पूरी तरह फेल हुई मोदी सरकार, 4 साल में 55 से 103वें पायदान पर पहुंचा देश, नेपाल-बांग्लादेश भी हमसे आगे https://t.co/FWjoRTNx9H
— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) October 14, 2018
एक और मीडिया पोर्टल Go News ने भारत की रैंकिंग को इसी तरीके से पेश किया। उसके ट्वीट को 300 रीट्वीट भी मिले।
Rapid Decline: India's #HungerIndex is at an extremely poor rank of 103–among 119 nations–in the Global Hunger Index 2018, behind Nepal, Bangladesh & Sri Lanka.
It was #55 in 2014.Download app for more: Android https://t.co/76bEFEqZJk
iPhone https://t.co/oqQkZ80wrs pic.twitter.com/haOZCkUhEz— GoNews (@GoNews24x7) October 14, 2018
लोकमत, खबरदार और न्यूज़ फॉलो ने भी भारत के 55 से 103 पर गिरते हुए रैंकिंग को प्रसारित किया।
विपक्ष के सदस्यों ने भी यही दावा किया
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ऊपर बताई हुई दैनिक भास्कर की रिपोर्ट को ट्वीट किया। उनका ट्वीट 12000 और 4000 बार से भी ज़्यादा बार रीट्वीट और लाइक किया गया।
चौकीदार ने भाषण खूब दिया,
पेट का आसन भूल गये।योग-भोग सब खूब किया,
जनता का राशन भूल गये।https://t.co/RTlyKbKeZl— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 15, 2018
कांग्रेस के अन्य सदस्यों ने भी 2014 से भारत की इस गिरावट के लिए सरकार की आलोचना की है। उनमे से भारतीय युवा कांग्रेस अध्यक्ष केशव चंद यादव, AICC सचिव बिस्वारंजन मोहंती, भूतपूर्व MP सुबोध कांत सहाय, और कांग्रेस के पुराने सोशल मीडिया कोऑर्डीनेटर गौरव पांधी – ये नाम प्रमुख है।
2014 में भारत 55वें नहीं 99वें स्थान पर था
ऑल्ट न्यूज़ ने GHI रिपोर्ट का गहन अध्ययन किया। इस रिपोर्ट में भारत का स्थान 2014 में 55वाँ, 2015 में 80वाँ, 2016 में 97वाँ, 2017 में 100वाँ दर्शाती है। लेकिन करीबी से ये रिपोर्ट पढ़ें तो पता चलता है की 2016 से पहले, उन्होंने मुख्य तालिका के साथ ही एक और तालिका शामिल की है, जिसमें उन देशों को शामिल किया गया है जिनका GHI इंडेक्स 5 से कम है। जिन देशों का GHI इंडेक्स 5 से ऊपर है, उन्ही को मुख्य तालिका में शामिल किया गया था। जितना कम स्कोर, उतना शानदार निष्पादन।
नीचे दिए गए स्क्रीनशॉट में 2014 GHI रिपोर्ट है, जिसमे 44 देश इस अतिरिक्त तालिका में शामिल है। ये ऑल्ट न्यूज़ ने पिछले साल भी रिपोर्ट किया था।
2015 GHI रिपोर्ट में 13 देशों के साथ ऐसी ही तालिका थी। लेकिन 2016 से रिपोर्ट के मुख्य तालिका में सिर्फ उन्ही देशों को शामिल किया गया है, जिनका GHI इंडेक्स 5 से कम है और इसलिए रैंकिंग में बदलाव आया है। नीचे दी गयी तस्वीर में 2018 GHI रिपोर्ट का हिस्सा है। लाल हिस्से में देखेंगे की ये वे 15 देश है जिनका GHI इंडेक्स 5 से कम है और ये मुख्य तालिका में शामिल है।
2014 में GHI रिपोर्ट की तालिका में 44 देश है जिनके GHI इंडेक्स 5 से कम है। 2015 में ये संख्या 13 थी। 2016 के पहले के सालों में देश की शुद्ध पूर्ण रैंकिंग, मुख्य तालिका में स्थान और जिन देशों का GHI 5 से कम है उन्हें मिलाकर गणना की गयी थी। इस फार्मूला के हिसाब से भारत का स्थान 2014 में (55 + 44) 99वाँ और 2015 में (80 + 13) 93वाँ था। इसका मतलब ये है की भारत का स्थान 2014 से 4 पायदान गिरा है।
पिछले साल भारत 100वें स्थान पर था और इस साल 3 पायदान नीचे गिरा है और अब 103वें स्थान पर है (GHI स्कोर 31.1), हालांकि 2017 से 0.3% का हल्का सा सुधार है। 31.1 के वर्त्तमान स्कोर पर भारत भूखमरी नाम की गंभीर समस्या से जूझ रहा है।
गौर करने वाली एक और बात है 2015 में संशोधित GHI इंडेक्स की गणना करने वाले फॉर्मूले की। International Food Policy Research Institute वेबसाइट बताती है – ये संशोधन बाल अल्प भार जो बाल कुपोषण का एकमात्र सूचक था, उसे बदलते हुए अब दो सूचक को मानती है, जिनको समान जगह दी है –child wasting aur child stunting. इसलिए 2014 (44) से 2015 (13) में 5 से भी कम ke GHI इंडेक्स वाले देशों की संख्या में गिरावट आयी है। इसी वजह से भारत के स्थान में भी गिरावट आयी है- 2014 में 55 से 2015 में 80.

लेकिन सिर्फ GHI रैंक ही देश के निष्पादन का एकमात्र सूचक नहीं है, क्यूँकि बेहतर स्कोर के बावजूद भी रैंकिंग गिर सकती है। 2017 में भारत का स्कोर 31.4 और 2018 में 31.1 था। 0.3% की बढ़ोतरी के बाद भी भारत का रैंक तीन पायदान नीचे गिरा है। दूसरे देशों के अच्छे नतीज़ों के साथ ही इसके और कई कारण हो सकते है।
सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये है कि GHI रैंक/स्कोर के कई सारे कारक है, और सालाना तुलनात्मक निष्पादन से कोई सटीक जवाब नहीं मिलेंगे। ग्लोबल हंगर इंडेक्स के रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि “इस रैंकिंग की पुराने रिपोर्ट के रैंकिंग और इंडेक्स स्कोर से तुलना नहीं की जा सकती।”
अनुवाद: ममता मंत्री के सौजन्य से
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.