16 मई को कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाजपा शासित उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर राजस्थान से 1000 बसें लेने की पेशकश की. ये उत्तर प्रदेश से प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य वापस ले जाने वाली थीं. तबसे इस मसले पर राजनीति जारी है. 17 मई को आउटलुक ने रिपोर्ट किया कि 500 बसें राज्य के बॉर्डर पर यूपी सरकार का अप्रूवल पाने के इंतजार में खड़ी हैं. 19 मई को द प्रिंट ने रिपोर्ट किया कि यूपी सरकार ने बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस डॉक्युमेंट और ड्राइवर्स की जानकारी मांगी है.

इस विवाद के बाद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट किया, “कोटा से उत्तर प्रदेश के students को वापिस लाते समय UP के कुछ बसों को डीज़ल की आवश्यकता पड़ गयी ..दया छोड़िए ..आधि रात को दफ़्तर खुलवा कर प्रियंका वाड्रा की राजस्थान सरकार ने UP सरकार से पहले 19 लाख रुपए लिए और उसके बाद बसों को रवाना होने दिया वाह रे मदद। #दोगली_कांग्रेस.]” इस ट्वीट में 5 मई की 19 लाख रुपए से ज़्यादा की चेक की फ़ोटो लगी थी. संबित पात्रा के ट्वीट को 18,000 से ज़्यादा बार रीट्वीट और 48,000 से ज़्यादा बार लाइक किया गया. (आर्काइव लिंक)

भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अतुल कुमार ने भी इसी से मिलते-जुलते कैप्शन के साथ यह फोटो ट्वीट की. उनके ट्वीट को 300 बार रिट्वीट किया गया. (आर्काइव लिंक)

दावा

संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि राजस्थान सरकार ने कोटा में छात्रों से भरी बसों को रवाना करने से पहले आधी रात को यूपी सरकार से 19 लाख रुपये वसूल किए.

फ़ैक्ट-चेक

अप्रैल में कई मीडिया संस्थानों ने रिपोर्ट किया था कि राजस्थान के एजुकेशनल हब कोटा में कई छात्र बुरे हालात में फंसे हुए हैं. राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (RSRTC) के डॉक्युमेंट्स के मुताबिक 1 अप्रैल से 14 मई के बीच 18,196 छात्रों से भरी 14 ट्रेनें बिहार और झारखंड को, 28,761 छात्रों से भरी 1,057 बसें कोटा से अलग राज्यों और राजस्थान के भी कई ज़िलों में भेजी गईं. (देखें PDF)

कोटा से छात्रों को उनके राज्य भेजने में लगे संसाधनों की जानकारी जुटाने के क्रम में ऑल्ट न्यूज़ ने कोटा के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ओम कसेरा और RSRTC, जयपुर के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर नवीन जैन से बात की. उनके मुताबिक 17,18 और 19 अप्रैल को 12,000 से ज़्यादा छात्र बसों में कोटा से उत्तर प्रदेश गए. ये बस सर्विस दोनों राज्य की सरकारों का साझा प्रयास था.

संबित पात्रा के द्वारा पोस्ट किया गया उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) का जो RTGS/NEFT चेक था उस पर 5 मई की तारीख़ पड़ी थी, यानी 19 अप्रैल को कोटा से बसों के रवाना होने के 16 दिन बाद की. यानी उनका राजस्थान सरकार द्वारा यूपी सरकार से आधी रात को 19 लाख रुपये भुगतान करके छात्रों से भरी बस रवाना करने का दावा झूठा है.

जैन ने RSRTC का बैंक स्टेटमेंट भी शेयर किया जिससे स्पष्ट हो जाता है कि UPSRTC द्वारा 6 मई को 19,76, 286 का RTGS ट्रांजेक्शन किया गया था.

पात्रा के ट्वीट के एक दिन बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी और उसमें स्पष्ट किया कि UPSRTC ने 5 मई को अप्रैल में भेजी गई बसों के लिए RSRTC को 19 लाख रुपए का भुगतान किया था, इससे साफ हो जाता है कि 19 लाख के बकाये के लिए बसें नहीं रोकी गई थीं.

22 मई को ऑल्ट न्यूज़ ने संबित पात्रा से बयान के लिए संपर्क किया. कई फ़ोन कॉल्स, व्हाट्सऐप मेसेज और एक SMS के बावूजद उन्होंने अभी तक जवाब नहीं दिया है. हमने UPSRTC के मैनेजिंग डायरेक्टर राज शेखर से भी संपर्क करने का प्रयास किया. उन्होंने भी अब तक जवाब नहीं दिया है. हालांकि हमने UPSRTC के एक अधिकारी से बात की जिसने 17 से 19 अप्रैल तक का समय कोटा में बिताया था. अधिकारी ने बताया, “RSRTC ने पूरा सहयोग किया और UPSRTC की बसों में ईंधन भराने की डिमांड भी पूरी की.”

क्रोनोलॉज़ी: कैसे यूपी और राजस्थान सरकार ने छात्रों को कोटा से यूपी पहुंचाने के लिए साथ काम किया

कसेरा ने 17 अप्रैल से 14 मई के बीच 28,000 छात्रों को उनके राज्यों में पहुंचाने वाली बसों का राज्यवार ब्योरा शेयर किया. डॉक्युमेंट के दूसरे पेज (स्क्रीनशॉट नीचे) के मुताबिक यूपी से 12,000 से ज़्यादा छात्र थे और उनके घर तक पहुंचाने के लिए 411 बसों की ज़रूरत थी.

“ज़्यादातर राज्यों की सरकार ने छात्रों को वापस लाने के लिए स्वयं बसें भेजी थीं. कुछ राज्यों ने प्राइवेट बसें किराये पर लेना सही समझा क्योंकि उन राज्यों में जाने वाले छात्रों की संख्या कम थी. चूंकि यूपी से आने वाले छात्रों की गिनती सबसे ज़्यादा थी, उन्हें पहुंचाने के लिए संसाधनों में मुश्किलें आईं जिनको दोनों सरकारों ने सही तरीके से फैसले लेकर हैंडल किया.” ये कहते हुए कसेरा ने स्पष्ट किया कि राजस्थान सरकार ने किसी छात्र से बस सर्विस के लिए कोई चार्ज नहीं लिया.

जैन को उनके समकक्ष UPSRTC के मैनेजिंग डायरेक्टर राज शेखर से 3 पत्र मिले. 17 अप्रैल के एक पत्र में UPSRTC ने RSRTC से रिक्वेस्ट की है कि आगरा से कोटा जा रही 150 बसों में 120 लीटर प्रति बस की डर से डीज़ल भरवाए.

अगले दिन UPSRTC ने RSRTC से तीन मांग रखते हुए 2 पत्र लिखे– झांसी से आ रही 100 बसों में 60 लीटर प्रति बस डीज़ल भराने, आगरा से आ रही 50 और झांसी से आ रही 20 अतिरिक्त बसों में 120 लीटर प्रति बस की दर से डीज़ल भराने और राजस्थान सरकार से 75 बसें अतिरिक्त देने, ताकि कोटा में बचे हुए छात्रों को सकुशल यूपी पहुंचाया जा सके. पत्र में ये भी गुज़ारिश की गई थी कि RSRTC डीज़ल के ख़र्च की जानकारी दे ताकि रकम RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) के ज़रिए जल्दी से जल्दी ट्रांसफ़र की जा सके.

दोनों सरकारों ने 17, 18 और 19 अप्रैल को छात्रों को कोटा से यूपी पहुंचाने के लिए तेजी से काम किया. दोनों राज्यों की सरकारों द्वारा जुटाई गई बसों के अलावा कुछ छात्रों ने प्राइवेट बसें हायर की और 14 मई को रवाना हुए.

कसेरा ने अपने पास उपलब्ध रिकॉर्ड दिखाने के बाद बताया, “केवल 17 से 19 अप्रैल तक चलने वाली बसें राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई थीं. इनमें से 309 बसें UPSRTC की और 94 बसें RSRTC की थीं. और वक़्त की ज़रूरत के मुताबिक़ उनमें डीज़ल भरवाया गया था.”

27 अप्रैल को UPSRTC ने RSRTC से अपने पूरे खर्च का ब्यौरा देने की रिक्वेस्ट की थी.

इसके बाद RSRTC ने UPSRTC को 2 इनवॉइस भेजे- बसों में डीज़ल भरवाने का ख़र्च 19 लाख के करीब था और कोटा से यूपी के बीच 94 बसों के परिचालन में आया ख़र्च 36 लाख रुपए बताया गया था. RSRTC से बसें हायर करने का चार्ज 2017 में तय किए गए टैरिफ़ के मुताबिक लिया गया था.(PDF देखें)

जैन ने RSRTC का एक और बैंक स्टेटमेंट शेयर किया जिसमें दिखाया गया था कि UPSRTC ने 20 मई को 36 लाख रुपए भुगतान किए.

उसी दिन प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने ट्वीट किया, “यूपी सरकार ने राजस्थान सरकार द्वारा छात्रों की कोटा से वापसी के लिए भेजे गए 36 लाख रुपए के बिल का भुगतान किया: ऑफ़िशियल”

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.