29 अप्रैल को ऑप इंडिया ने एक आर्टिकल पब्लिश किया (आर्टिकल का आर्काइव किया हुआ लिंक) जिसकी हेडलाइन थी, “2,985 मस्जिदों को 5,450 टन चावल मुफ्त देने के लिए 47 मंदिरों को देने होंगे 10 करोड़ रुपए.” इससे यह लगता है कि तमिलनाडु में मंदिरों को पैसे देने को कहा गया जिससे मस्जिदों को मुफ्त चावल दिया जा सके. ‘तमिलनाडु सरकार का आदेश’ लाइन से लगता है कि इसके लिए बाकायदा आदेश जारी किया गया है.

ऑप इंडिया के लेख में तमिलनाडु सरकार के हिन्दू धर्मार्थ दान विभाग (HRCE) द्वारा 22 अप्रैल को 47 मंदिरों को भेजे गए 2 अलग-अलग सर्कुलर की बात की गई है. इन विवादित सरकुलर्स में विशेष रूप से मंदिरों को मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष (CMPRF) में 10 करोड़ रुपए दान करने को कहा गया है जिससे कोरोना वायरस महामारी की वजह से प्रभावित हुए लोगों की मदद की जा सके. सर्कुलर में मस्जिदों को मुफ्त चावल दिए जाने का कोई ज़िक्र नहीं है. इस लेख में लिखा है, “हिंदुओं को अपने त्योहारों पर कुछ नहीं मिलता, जैसे मुस्लिमों को मिलता है.”

अगले दिन ‘सिर्फ न्यूज़’ ने जल्दबाज़ी में एक ग्राफ़िक बनाकर लगा दिया जिसे देखकर लगता है कि तमिलनाडु सरकार मंदिरों का पैसा मस्जिदों की भलाई के लिए इस्तेमाल कर रही है. (आर्काइव किया हुआ लिंक)

30 अप्रैल को भाजपा महिला मोर्चा की सोशल मीडिया प्रमुख प्रीति गांधी ने भी मस्जिदों को मुफ्त चावल देने के लिए मंदिरों को 10 करोड़ रुपए देने का आदेश पर ट्वीट किया. यूट्यूबर अंशुल सक्सेना ने भी इसी तरह का ट्वीट किया. इनके ट्वीट कुल मिलाकर 12,000 से ज़्यादा बार रिट्वीट किए गए.

2 मई को दक्षिणपंथी प्रोपेगैंडा वेबसाइट द फ्रस्ट्रेटेड इंडियन में एक आर्टिकल पब्लिश हुआ जिसमें लिखा था, “इससे साफ तौर पर साबित होता है कि भाजपा के गठबंधन वाली तमिलनाडु सरकार हिन्दू मंदिरों से पैसा छीन कर मुस्लिमों के काम में इस्तेमाल कर रही है.” (आर्काइव किया हुआ लिंक)

तमिलनाडु सरकार द्वारा जारी किए गए सर्कुलर

22 अप्रैल को HRCE ने 2 सर्कुलर (सर्कुलर 1 और सर्कुलर 2) तमिलनाडु के कम से कम 47 बड़े मंदिरों को भेजे. पहले सर्कुलर में मंदिरों से “अपनी क्षमता के अनुसार कोई भी रकम” CMPRF में दान करने को कहा गया है. दूसरे सर्कुलर में हर मंदिर के द्वारा कितने लाख का डोनेशन मिलने की उम्मीद है, ये उल्लेख किया गया है.

चेन्नई के एक वरिष्ठ समाचार संपादक ने नाम न छापने की शर्त पर ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “पहली नज़र में HRCE के सर्कुलर CMPRF में दान करने का आह्वान करते दिखाई देते हैं. हालांकि कमिश्नर ने विशेष तौर पर कहा है कि किस मंदिर से कितना डोनेशन मिलना चाहिए, यह आह्वान की बजाय आदेश ज़्यादा लगता है.”

4 मई को दिनमलर के एसोसिएट एडिटर और विश्व हिन्दू परिषद सदस्य आरआर गोपालजी ने HRCE के सर्कुलर को रदद् करने के लिए मद्रास हाइकोर्ट में अर्जी दी.

5 मई को द हिन्दू ने रिपोर्ट किया कि HRCE ने दोनों सर्कुलर वापस ले लिए हैं. ध्यान दें कि 3 मई को ऑल्ट न्यूज़ ने HRCE के प्रिंसिपल सेक्रेटरी/कमिश्नर फणीन्द्र रेड्डी से बात की थी. उन्होंने बताया था कि अभी तक किसी मंदिर ने CMPRF में कोई दान नहीं दिया है.

फ़ैक्ट-चेक

2,927 मस्जिदों को को चावल देने की बात सरकारी खजाने से शुरू हुई

जब रेड्डी ने कहा कि किसी मंदिर ने CMPRF को डोनेशन नहीं दिया तो ज़ाहिर है कि उनका पैसा मस्जिदों को चावल देने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

आउटलुक के मुताबिक रमज़ान के महीने में मस्जिदों को मुफ्त चावल देने की परम्परा पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने 2001 के अपने कार्यकाल में शुरू की थी.

रमज़ान में मस्जिदों को 5,450 टन मुफ्त चावल देने में कितना खर्च लगेगा यह जानने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने सहकारी खाद्य व उपभोक्ता सुरक्षा विभाग (CFCPD) का 2020-21 पॉलिसी नोट देखा.

पॉलिसी कहती है, “रमज़ान के महीने में सरकार मस्जिदों को ‘नोनबु कांजी’ बनाने के लिए विशेष रूप से चावल उपलब्ध कराती है. 2019 के रमज़ान में राज्य की लगभग 2,927 मस्जिदों को 5,450.384 टन चावल 1 रुपये प्रति किलो की दर पर बांटा गया जिसका सरकारी खजाने पर 15.52 करोड़ रुपए का भार पड़ा.”

2020-21 के पॉलिसी नोट में बताया गया कि 2019 में चावल पर कितना खर्च हुआ था.

सरकार के द्वारा हिन्दू त्योहारों पर भी बांटे जाते हैं फ़्री गिफ्ट

क्योंकि 2020-21 के पॉलिसी नोट में बताया गया है कि 2019 के रमज़ान में चावल बांटने पर कितना खर्च हुआ था, ऑल्ट न्यूज़ ने पिछले साल जनवरी में मनाए गए हिन्दू त्योहार पोंगल पर बांटे गए फ्री गिफ्ट पर खर्च की तुलना की.

2019-20 के पॉलिसी नोट के मुताबिक पिछले साल पोंगल पर फ्री गिफ्ट बांटने में सरकारी खजाने से 2,246.60 करोड़ रुपए खर्च किए गए. दूसरी तरफ रमज़ान में फ्री चावल बांटने के लिए सरकार को 15.52 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े.

2020-21 के पॉलिसी नोट के मुताबिक इस साल पोंगल पर स्पेशल गिफ्ट हैम्पर के रूप में 1000 रुपए कैश में भी दिए गए. डॉक्यूमेंट के मुताबिक “कुल 1,98,41,149 पोंगल स्पेशल गिफ्ट हैम्पर 1000 रुपए कैश के साथ सरकारी राशन की दुकानों से बांटे गए.” सरकार ने इसके लिए कुल 2363.13 करोड़ रुपए खर्च किए.

25 अप्रैल को तिरुचिरापल्ली सरकार ने प्रेस रिलीज़ जारी की कि रमज़ान के दौरान लाभार्थियों को चावल सीधे मस्जिदों से बांटा जा सकता है. इसके बाद हिन्दू संगठन ‘हिन्दू मुन्नानी’ ने रमज़ान महीने में मस्जिदों में चावल बांटने के तमिलनाडु सरकार के फैसले के खिलाफ अपील की. हालांकि लाइव लॉ में 27 अप्रैल को छपी खबर के मुताबिक मद्रास हाईकोर्ट में हिन्दू मुन्नानी की अपील खारिज कर दी गई.

मद्रास हाईकोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता की अपील ‘धार्मिक लाइन’ पर आगे बढ़ रही थी. अदालत ने भेदभाव को खारिज कर दिया. जस्टिस एम सत्यनारायणन और जस्टिस एम निर्मल कुमार की पीठ ने प्रफुल्ल गोराडिया बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले (2011) पर दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया. “काउंटर एफिडेविट के अनुसार, सरकार किसी भी समुदाय को तीर्थयात्रा के लिए मदद देने के विचार के ‌विरोध में नहीं है. जैसे सरकार कुंभ पर खर्च करती है, भारतीय नागरिकों को मानसरोवर तीर्थ यात्रा में सहायता करती है, पाकिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों की यात्रा में मदद करती है, इस तरह का कोई भेदभाव नहीं है.”

कई दक्षिणपंथी वेबसाइट्स ने दो अलग-अलग मामलों को मिलाकर लेख छापे- तमिलनाडु सरकार द्वारा चावल के लिए दिया गया अनुदान और HRCE का विवादित सर्कुलर जिसमें मंदिरों से CMPRF में 10 करोड़ रुपए दान करने के लिए कहा गया था. मंदिरों को मस्जिदों में चावल बांटने के लिए खर्च करने को नहीं कहा गया. हिन्दू त्योहारों पर भी इसी तरह सरकार की तरफ से गिफ्ट बांटे जाते हैं. भ्रामक खबरों और लेखों ने मामले को साम्प्रदायिक रंग दिया और मई के पहले महीने में सोशल मीडिया पर #LootTemplesGiftMinorities जैसे ट्रेंड को हवा दी.

#LootTemplesGiftMinorities

कई ट्विटर हैंडल बहुत शातिर तरीके से मंदिरों का पैसा मस्जिदों पर खर्च करने की अफवाह फैलाते हैं. दक्षिणपंथी न्यूज़ वेबसाइट हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने 2 तस्वीरें ट्वीट कीं और दावा किया कि मंदिर लूटे जा रहे हैं. शिंदे की पोस्ट की हुई दूसरी तस्वीर में दावा किया गया है कि तमिलनाडु सरकार ने 2,985 मस्जिदों को 5,450 टन मुफ्त चावल देने के लिए मंदिरों को 10 करोड़ रुपए देने का आदेश दिया है. इसे 1,500 से ज़्यादा बार रिट्वीट किया गया (ट्वीट का आर्काइव लिंक). इसे @RituRathaur नाम के हैंडल ने भी रिट्वीट किया था जिसके 1 लाख से ज़्यादा फॉलोवर हैं. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

IIT ग्रेजुएट और दक्षिणपंथी पब्लिशिंग हाउस गरुड़ के फाउंडर संक्रांत सानू ने एक ट्वीट को रिट्वीट किया जिसमें दावा किया गया था कि तमिलनाडु सरकार मस्जिदों को गिफ्ट देने के लिए मंदिरों से पैसे ले रही है. सानू के ट्वीट को 600 से ज़्यादा बार रिट्वीट किया गया. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.