एक वीडियो इस दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है कि इसमें दिख रहे एक शख्स ने खाने में थूक दिया. वीडियो में एक आदमी को खाना पकाने के बड़े बर्तनों से कुछ खाना निकालकर, उसपे फूंक मार कर उसे बर्तन में खाने के साथ मिलाते हुए देखा जा सकता है. वीडियो में मुस्लिम समुदाय द्वारा आयोजित लंगर दिखाया गया है. कार्यक्रम स्थल पर कैमरापर्सन मौजूद हैं, साथ ही बर्तन में खाना मिलाने के बाद लोगों को “आमीन” कहते हुए सुना जा सकता है. भाजपा समर्थक सुरेन्द्र पुनिया ने ये वीडियो 13 जनवरी 2023 को पोस्ट करते हुए लोगों से खाने में ‘थूकने’ का लॉजिक पूछा.

2021 से शेयर

नवंबर 2021 में ये वीडियो शेयर करने वालों में बीजेपी सदस्य प्रीति गांधी भी शामिल थीं.

नीचे भाजपा प्रवक्ता गौरव गोयल और नवीन कुमार का ट्वीट है.

कई भाजपा समर्थकों ने भी इस दावे को आगे बढ़ाया कि वो आदमी खाने में थूक रहा था.

वीडियो में दिखाया गया रिवाज क्या है?

ऑल्ट न्यूज़ ने उल्लाल काज़ी फ़ज़ल कोयम्मा तंगल के सहयोगी हाज़ी हनीफ़ उल्लला से बात की. वीडियो में खाने पर फूंकने वाले व्यक्ति काज़ी फ़ज़ल कोयम्मा तंगल हैं. हाज़ी हनीफ़ उल्लला ने बताया कि केरल के तजुल उलेमा दरगाह में 6 से 8 नवंबर तक मनाए गए उर्स के अवसर पर लंगर का आयोजन किया गया था. तजुल उलमा, केरल में एक सुन्नी मुस्लिम स्कॉलर थे, जिनका पूरा नाम असैय्यद अब्दुल रहमान अल-बुखारी था. इनके नाम पर दरगाह का नाम रखा गया है, लेकिन उन्हें उल्लाल थंगल के नाम से जाना जाता था. वो फ़ज़ल कोयम्मा तंगल के पिता थे जिन्हें वीडियो में खाने पर फूंक मारते देखा जा सकता है. उल्लाल थंगल की फरवरी 2014 में मौत हो गई. उनकी पुण्यतिथि अरबी कैलेंडर के अनुसार नवंबर में होती है. उर्स एक धार्मिक प्रमुख की पुण्यतिथि पर मनाया जाने वाला तीन दिवसीय कार्यक्रम है. ये सूफी सुन्नी मुसलमानों में प्रचलित है और उनके द्वारा मनाया जाता है.

हाज़ी हनीफ़ उल्लला ने बताया, “खाना तैयार होने के बाद, हज़रत कुरान की आयतें पढ़ते हैं और खाने पर फूंकते हैं. दोपहर को और रात में खाना बनने के बाद, रिवाज का पालन दोनों समय किया जाता है .”

इसी तरह हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया दरगाह के निज़ामी, पीरज़ादा अल्तमश ने हमें बताया, “मौलवी खाने पर फूंक मार रहे हैं, थूक नहीं रहे हैं. हमारे समुदाय में कुछ ऐसे लोग हैं जो इस रिवाज का पालन करते हैं. दूसरे दरगाहों में भी कुछ उपासक दम (कुरान की आयतों के पाठ के बाद फूंका हुआ पानी) के लिए अनुरोध करते हैं. ये बरकत (समृद्धि) और भलाई के लिए किया जाता है. ये खाना बनने के बाद फ़ातिहा देने के लिए किया जाता है. हम अपनी दरगाह में खाने पर फ़ातिहा पढ़ कर फूंक मारने का काम नहीं करते हैं. लेकिन इसका पालन कुछ संप्रदायों में किया जाता है.”

ऑल्ट न्यूज़ ने COVID के बीच वायरल हुए इसी तरह के एक वीडियो को पिछले साल ख़ारिज किया था. वीडियो को COVID से पहले शूट किया गया था, लेकिन इसका इस्तेमाल इस दावे के साथ किया जा रहा था कि मुस्लिम समुदाय खाने पर थूक कर वायरस फैला रहे हैं. हमने उस वक्त एक इस्लामिक जानकार से बात की थी, जिन्होंने ये भी बताया था कि ये एक ऐसा रिवाज है जहां सभी को अल्लाह का आशीर्वाद देने के लिए खाने पर कुरान की आयतें पढ़ी जाती हैं. उन्होंने आगे बताया, “नमाज़ के बाद बहुत से लोग अपने बीमार बच्चों के साथ मस्जिदों के बाहर इकट्ठा होते हैं. नमाज़ पढ़ने के बाद मस्जिद से बाहर निकलने वाले उपासकों को इन बच्चों पर फ़ातिहा पढ़ कर फूंक मारने के लिए कहा जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इसमें अल्लाह की बरकत है.”

हालांकि, खाने पर फूंकने की रिवाज को स्वच्छता लिहाज से हानिकारक माना जा सकता है, लेकिन ये दावा भ्रामक है कि वीडियो में मौलाना खाने पर थूक रहें हैं.

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.