सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी शेयर किया जा रहा है जिसमें एक शख्स केला काट रहा है. ये शख्स किसी भारतीय भाषा में बात नहीं कर रहा है. ये वीडियो शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि सोमालिया से 500 टन केले का एक जत्था आया है जिसमें ‘हेलिकोबैक्टर’ नामक कीड़ा है. दावे के मुताबिक, इस केले को खाने के बाद दस्त, उल्टी, जी मिचलाने और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखेंगे और 12 घंटे बाद केला खाने वाले व्यक्ति की मौत हो जाएगी.

ये वीडियो खासकर व्हाट्सऐप पर वायरल है. ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) पर इस दावे की असलियत जानने के लिए कई रिक्वेस्ट आयी हैं.

[वायरल मेसेज: नमस्कार दोस्तों, कृपया इस वीडियो को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें. हाल ही में सोमालिया से 500 टन केले बाज़ारों में पहुंचे हैं जिसमें हेलिकोबैक्टर नामक एक कीड़ा है, हमारे पेट में ये ज़हरीला केला जा रहा है जिससे ये लक्षण दिखाई देते हैं (दस्त, उल्टी, जी मिचलाना, सिरदर्द) और 12 घंटे के बाद व्यक्ति की ब्रेन डेथ से मौत हो जाती है. कृपया इन दिनों केले खरीदने और खाने से परहेज करें, या यदि आप खरीदते हैं, तो उन्हें अंदर तक खोल कर देखें. देखिए ये वीडियो]

फ़ैक्ट-चेक

क्या सोमालिया ने भारत को 500 टन केले का निर्यात किया?

असल में सोमालिया से केले निर्यात किए जाते हैं. सोमालिया सरकार के निवेश संवर्धन कार्यालय SOMINVEST का कहना है कि केले में निवेश की दर काफ़ी ज़्यादा है. इस साल की शुरुआत में SOMIVEST ने ट्वीट किया, “सोमालिया केला दुनिया भर में सबसे बड़ी निर्यात फसल थी जो एक वैश्विक ब्रांड बना.” मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर ऑल्ट न्यूज़ को पता चला कि 2020 में सोमालिया ने सऊदी अरब और तुर्की को केले की 17 टन फसल निर्यात की थी.

ऐसी कोई रिपोर्ट मौजूद नहीं है जिसमें ये बताया गया हो कि सोमालिया ने भारत को 500 टन केले का निर्यात किया. इसके अलावा, भारत के वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, भारत केले का आयात नहीं करता है.

क्या हेलिकोबैक्टर एक ज़हरीला कीड़ा है?

कैंसर अनुसंधान के लिए अमेरिकी सरकार की प्रमुख एजेंसी, नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की वेबसाइट cancer[dot]gov के अनुसार, हेलिकोबैक्टर पाइलोरी एक प्रकार का जीवाणु है जिसकी वज़ह से पेट या छोटी आंत में सूजन और अल्सर होता है.

इस बैक्टीरिया की खोज बैरी जे. मार्शल और जे. रॉबिन वॉरेन ने की थी. उन्हें 2005 में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी की खोज और गैस्ट्राइटिस और पेप्टिक अल्सर रोग में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी की भूमिका के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था. नोबेल प्राइज़ प्रेस रिलीज के मुताबिक, इसे एक जीवाणु के रूप में भी परिभाषित किया गया है. ये इतने छोटे होते हैं कि नंगी आंखों से इन्हें नहीं देखा जा सकता.

ऑल्ट न्यूज़ ने पुणे स्थित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ प्रसाद भाटे से बात की. उन्होंने बताया, “हेलिकोबैक्टर पेट के कैंसर का कारण बन सकता है जो घातक है. लेकिन इससे होने वाली मौत कभी भी घंटों में नहीं हो सकती. आमतौर पर शरीर और बैक्टीरिया के बीच परस्पर क्रिया के आधार पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल पैथोलॉजी के विकास में महीनों या साल लगते हैं.”

कुल मिलाकर, हेलिकोबैक्टर एक ज़हरीला कीड़ा नहीं है. इससे कुछ घंटों में किसी व्यक्ति की मौत नहीं हो सकती.

केले पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र का बयान

वीडियो में दिखाए गए केले की खराबी समझने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने वायरल वीडियो के साथ तमिलनाडु स्थित केले के राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र को सवाल पूछा.

उन्होंने बताया, “वीडियो में बिना पंख के धागे जैसे दिख रहे कृमि कोई कीड़ा नहीं है, सिर्फ़ आकार ही कीड़े जैसा दिख रहा है. इसके अलावा, “हेलिकोबैक्टर” को नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता. इस बैक्टीरिया को माइक्रोस्कोप के ज़रिए देखना होगा. इसके अलावा, इस तरह का कोई कीड़ा नहीं पाया गया है जिससे एक केला संक्रमित हो सके. एक और फ़ैक्ट ये है कि भारत सोमालिया से किसी भी केले का आयात नहीं करता है.”

हमारे फ़ैक्ट-चेक से पहले, संयुक्त अरब अमीरात स्थित मीडिया आउटलेट BARQ ने अबू धाबी कृषि और खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण ने इस दावे का खंडन करते हुए एक बयान जारी किया था. बता दें कि ये दावा पहले संयुक्त अरब अमीरात में वायरल हुआ था.

कुल मिलाकर, केला काटते हुए एक व्यक्ति का वीडियो इस ग़लत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि इसमें ‘हेलिकोबैक्टर’ नामक ज़हरीले कीड़े हैं.


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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.