झारखंड में कथित तौर पर एक सीढ़ी के अपने आप चलने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. X (ट्विटर) यूज़र्स ने ये वीडियो इस कैप्शन के साथ ट्वीट किया, “झारखंड हाई कोर्ट में सीढ़ी अपने आप चल रहा है, किसी बड़ी अनहोनी के अंदेशा से सहमे लोग.” (आर्काइव लिंक)
झारखंड हाई कोर्ट में सीढ़ी अपने आप चल रहा है , किसी बड़ी अनहोनी के अंदेशा से सहमे लोग । pic.twitter.com/YY68Fpz4aL
— 🔱ऊँ_शिवा_K®T🔱 सनातनी (@T53369123) August 27, 2023
कई यूज़र्स ने इसी कैप्शन के साथ ये वीडियो ट्वीट किया है. (आर्काइव – लिंक 1, लिंक 2, लिंक 3)
ये वीडियो फ़ेसबुक पर भी वायरल है. हालांकि, ज़्यादातर यूज़र्स ने ऐसी घटना के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है.
ऑल्ट न्यूज़ को इस वीडियो के वेरिफ़केशन के लिए व्हाट्सऐप हेल्पलाइन नंबर पर भी कई रिक्वेस्ट मिलीं.
अरविन्द चोटिया नाम के एक यूज़र ने इस वीडियो को उत्तर प्रदेश का बताकर शेयर किया. उन्होंने लिखा, “कमजोर दिल वाले दूर रहें. बरेली (उत्तर प्रदेश) के SRMS मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस में अपने चारों टांगों से सीढ़ी चलने का वीडियो वायरल हो रहा है।” (आर्काइव लिंक)
कमजोर दिल वाले दूर रहें…
बरेली (उत्तर प्रदेश) के SRMS मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस में अपने चारों टांगों से सीढ़ी चलने का वीडियो वायरल हो रहा है। pic.twitter.com/Up9BHq4ChB— Arvind Chotia (@arvindchotia) August 29, 2023
ज़ी न्यूज़ बिहार झारखंड ने इसे बरेली SRMS मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस का डरावना वीडियो बताया है. (आर्काइव लिंक)
फ़ैक्ट-चेक
की-वर्ड्स सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को झारखंड न्यूज़9 की एक रिपोर्ट मिली जिसमें झारखंड हाई कोर्ट के वकील धीरज कुमार ने वायरल दावों को ग़लत बताया था. उन्होंने कहा, “ये अफवाहें बहुत तेज़ी से फ़ैलती हैं – इसका एक उदाहरण झारखंड हाई कोर्ट का कथित रूप से वायरल वीडियो है. ये वीडियो हाल ही में उत्तराखंड के एक अस्पताल में शूट किए जाने के दावे के साथ खबरों में आया था. अब इसे ग़लत तरीके से झारखंड हाई कोर्ट से जोड़ा जा रहा है. ये झूठ है. ऐसी झूठी अफवाहों के खिलाफ़ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए.”
हमने देखा कि ये वीडियो उत्तराखंड के अल्मोड़ा के बेस अस्पताल का बताकर शेयर किया गया था. बेस अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमित कुमार सिंह ने न्यूज़ 18 हिंदी को दिए बयान में कहा कि सीढ़ी का वीडियो अल्मोड़ा के बेस अस्पताल का नहीं है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में लगे साइनबोर्ड नीले रंग के हैं और वायरल वीडियो में दिख रहा साइनबोर्ड लाल रंग का था.
इसके अलावा, बरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने भी बताया कि ये कॉलेज का वीडियो नहीं है. ऐसी कोई घटना बरेली में नहीं हुई.
ऐसी घटनाओं के पीछे का विज्ञान की बात करें तो ये एक बहुत ही सामान्य विज़ुअल है और इसे पहले भी कई बार कैमरे में कैद किया गया है. नवंबर 2018 में पब्लिश डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल की एक ऐसी ही घटना कैमरे में कैद हुई थी. चलती हुई सीढ़ी का स्थानीय लोग पूजा करने लगे थे. रिपोर्ट में ऐसी असामान्य घटना के पीछे की थ्योरी को स्पष्ट किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है, “सीढ़ी एक मंजिल पर है जिसमें ढलान है. किसी ने सीढ़ी को धक्का दिया जिससे वो चलने लगी. झुकाव के माध्यम से काम करने वाला बल इतना पर्याप्त है कि सीढ़ी चलती रहती है लेकिन इतनी ज़्यादा भी नहीं कि सीढ़ी गिर जाए. सीढ़ी की संरचना और ‘स्प्रिंग’ इसे नीचे की ओर खींचने वाली ताकतों के साथ संतुलित हैं.” इस घटना को पैसिव डायनेमिक वॉकिंग कहा जाता है.
इसी तरह का एक प्रयोग कॉर्नेल यूनिवर्सिटी ह्यूमन पावर लैब में कई निष्क्रिय गतिशील वॉकरों का इस्तेमाल करके किया गया था. प्रत्येक वॉकर को गुरुत्वाकर्षण द्वारा संचालित होकर थोड़ी सी ढलान पर चलते हुए देखा जाता है. चलती हुई सीढ़ी के वायरल वीडियो के पीछे यही सटीक विज्ञान है.
हमने फ़िजिक्स के एक टीचर से भी बात की. कोलकाता के इंडस वैली वर्ल्ड स्कूल में पढ़ाने वाली अदिति सेन ने कहा, “इसमें एक झुके हुए तल पर गुरुत्वाकर्षण बल काम करता है. इसका इस्तेमाल अक्सर रोबोटिक्स के क्षेत्र में किया जाता है. इसमें कुछ भी असाधारण नहीं है.”
कुल मिलाकर, सीढ़ी के अपने आप चलने का एक वायरल वीडियो असाधारण गतिविधि के उदाहरण के रूप में वायरल है. हालांकि, इसी तरह की घटनाएं पहले भी कई बार कैमरे में कैद हो चुकी हैं और घटनाओं की इस सीरीज के पीछे की वैज्ञानिक घटना को पैसिव डायनेमिक वॉकिंग कहा जाता है. झारखंड हाई कोर्ट के एक वकील, बरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अल्मोड़ा बेस अस्पताल के प्रभारी ने ऐसी किसी घटना के होने के दावों का खंडन किया. बहरहाल ऑल्ट न्यूज इस वीडियो के सोर्स का पता नहीं लगा सका है.
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