सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी शेयर किया जा रहा है जिसमें एक आदमी नए COVID वैरिएंट ओमिक्रॉन संक्रमण को रोकने के लिए एक ‘तरकीब’ बता रहा है. वीडियो में वो सूखे अदरक को सूंघने की सलाह देता है. वीडियो में वो कहता कि उसने सूखे अदरक के हज़ारों पैकेट बेचे हैं.

इस वीडियो को शेयर करते हुए कहा जा रहा है कि ये व्यक्ति डॉक्टर ज़रीर उदवाडिया या डॉ सुशील राजदान हैं. 4 लाख से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स वाले फ़ेसबुक पेज ‘कश्मीर एक्सप्रेस न्यूज़’ ने दावा किया कि ये व्यक्ति डॉ. राजदान हैं.

ऑल्ट न्यूज़ की व्हाट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) पर इस वीडियो की सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट आयी हैं.

फ़ैक्ट-चेक

इस वीडियो में दिख रहे आदमी की पहचान अलग-अलग व्यक्ति के रूप में की गई है. इससे मालूम होता है कि ये वीडियो भ्रामक है.

ऑल्ट न्यूज़ ने दोनों डॉक्टरों के नाम से की-वर्ड्स सर्च किया जिससे पता चला कि डॉ. उदवाडिया मुंबई से हैं. और डॉ राजदान जम्मू से हैं. दोनों अपने-अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं.

संस्कृति मंत्रालय के एक प्रेस नोट के अनुसार, डॉ. उदवाडिया ने 2018 में ‘आउटब्रेक: एपिडेमिक्स इन ए कनेक्टेड वर्ल्ड’ प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था. प्रेस नोट में उन्हें एक विपुल शोधकर्ता और प्रसिद्ध चिकित्सक के रूप में संबोधित किया गया है. 2016 में द न्यूयॉर्क टाइम्स ने उनके इनपुट के आधार पर एक फ़ीचर स्टोरी लिखी थी.

इसी तरह, डॉ राजदान जम्मू के जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट हैं. अप्रैल 2021 में, न्यूज़ एजेंसी IANS ने एक ट्वीट में COVID संक्रमण से संबंधित उनके बयान को कोट किया था.

ऑल्ट न्यूज़ ने वायरल वीडियो में दिख रहे व्यक्ति की तुलना दोनों डॉक्टरों की तस्वीरों से की. लेकिन मालूम चला कि ये तीन अलग-अलग व्यक्ति हैं. डॉ. उदवाडिया की फ़ोटो उनके गूगल प्रोफ़ाइल से ली गई है. और राजदान की तस्वीर IANS के ट्वीट से ली गई है.

वायरल वीडियो में दिख रहा शख्स डॉ. उदवाडिया जैसा बिलकुल नहीं दिख रहा है. लेकिन डॉ. राजदान से कुछ समानता दिख रही है. जम्मू स्थित मीडिया आउटलेट द स्ट्रेट लाइन ने 9 जनवरी को इस दावे को खारिज़ किया करते हुए वीडियो को फर्ज़ी बताया. इसके अलावा, राजदान ने बूमलाइव से कंफ़र्म किया कि वायरल वीडियो में वो नहीं हैं. ये दावा वैज्ञानिक रूप से ग़लत है कि सूखा अदरक ओमिक्रॉन संक्रमण को रोक सकता है.

ऑल्ट न्यूज़ की साइंस एडिटर डॉ. सुमैया शेख और चिकित्सक डॉ. शरफ़रोज़ सतानी ने पिछले साल एक साइंस-चेक में इस बात को तस्दीक से समझाया था, “सोंठ सूखा अदरक से वायरल इनफेक्शन पर प्रभाव बताने वाला कोई भी चिकित्सीय शोध अभी तक नहीं मिला है. स्टीफे़नो, D. et al.(2019) के एक शोध में 10 स्वस्थ लोगों को सॉफ्टजेल कैप्सूल में एखिनेसिया अंगस्टीफोलिया और ज़िंगीबर ऑफिशिनेल (अदरक) का मिश्रण देने के बाद उन पर इम्यूनोमोड्यूलेटरी प्रभाव दिखाई दिया था. उन्होंने सफेद रक्त कोशिकाओं (शरीर में इम्यून के लिए काम करने वाले कोशिका) में ज़ीन पर एक्सप्रेशन को नापा और उन्होंने पाया कि उन कैप्सूल्स को खाने के बाद इन ल्यूकोसाइट्स में 500 ज़ीन पर उनका एक्सप्रेशन (वह प्रक्रिया जिससे जींस प्रोटीन बनाते हैं) पड़ा था. इन सब के नतीजे के रूप में ल्यूकोसाइट की प्रक्रिया इन्फ़्लमेशन को दबाने में हो रही थी जो इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया है. यानी कि दावों के उलट जिसमें बूस्टिंग की बात कही गई थी, शोध के बाद पता चला कि इस मिश्रण का इम्यूनोमोड्यूलेशन इम्यून को दबाने के लिए दिया जाने वाला स्टेरॉइड ड्रग हाइड्रोकॉर्टिसोन की तरह काम करता है.”

पिछले साल, मैरीलैंड विश्वविद्यालय में VP/चीफ़ क्वालिटी ऑफ़िसर/चीफ़ ऑफ़ डिजीज डॉ फ़हीम यूनुस ने भी इस बात का खंडन किया था कि अदरक से COVID का इलाज हो सकता है.

कुल मिलाकर, सूखे अदरक से COVID का इलाज होने का दावा कर रहे शख्स का वीडियो इस झूठे दावे के साथ शेयर किया गया कि ये व्यक्ति डॉ. ज़रीर उदवाडिया या डॉ. सुशील राजदान है. दोनों डॉक्टर अपने-अपने क्षेत्र में पॉपुलर हैं. उनके नाम का इस्तेमाल चिकित्सा के बारे में गलत जानकारी फ़ैलाने के लिए किया जा रहा है.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.