24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी से सुरक्षा के लिए 21 दिनों के देशव्यापी लॉडाउन की घोषणा की. इस दौरान आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति जारी रखने की बात कही गई. हालांकि, COVID-19 से संबंधित ग़लत सूचनाओं का प्रसार तगड़े से हो रहा है.

एक व्हॉट्सऐप मेसेज वायरल हुआ है. इसमें दावा किया गया है कि भारत सरकार हर तरह की ऑनलाइन और टेलीफ़ोनिक बातचीत पर नज़र रख रही है और लोगों को राजनीति या धर्म से जुड़े संदेशों को फ़ॉरवर्ड करने से मना किया है.

मेसेज में लिखा है, “कल से संचार के नए नियम लागू हो रहे हैं. सभी कॉल्स रिकॉर्ड होंगी. सभी फ़ोन कॉल रिकॉर्डिंग्स को सुरक्षित रखा जाएगा. व्हॉट्सऐप पर निगरानी हो रही है. ट्विटर पर निगरानी हो रही है. फ़ेसबुक और सभी सोशल मीडिया और फ़ोरम को मॉनिटर किया जा रहा है. जिन्हें नहीं पता, उनको बता दीजिए. आपकी डिवाइस को मंत्रालय के सिस्टम से जोड़ दिया गया है. गैरज़रूरी मैसेज भेजने से बचें. अपने बच्चों, संबंधियों और दोस्तों को इसका ध्यान रखने के लिए कहें. सरकार/प्रधानमंत्री के बारे में कोई भी राजनीति/हालिया स्थिति से संबंधित पोस्ट या वीडियो फ़ॉरवर्ड न करें.

पुलिस ने साइबर क्राइम नाम से एक नोटिफ़िकेशन निकाला है. और कार्रवाई की जाएगी.. इसको डिलीट न करें.. अपने दोस्तों और दूसरे लोगों को भी बताएं. राजनीतिक या धार्मिक बहस पर कुछ भी लिखना या शेयर करना अब से अपराध की श्रेणी में आ गया है. बिना वॉरंट के गिरफ़्तारी होगी… ये बहुत सीरियस मामला है. इसे सभी ग्रुप्स और ग्रुप के सदस्यों के पास पहुंचा दीजिए. क्योंकि ग्रुप एडमिन मुश्किल में पड़ सकते हैं. अनावश्यक मैसेज भेजने से बचें. हर किसी को इसका ध्यान रखने के लिए कहें. कृप्या शेयर कीजिए; ये सत्य है. ग्रुप्स प्लीज सावधान रहें.”

ऑल्ट न्यूज़ को इन मैसेजों का फ़ैक्ट-चेक करने के लिए व्हॉट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) और अपने ऑफ़िशियल एंड्रॉयड ऐप पर कई रिक्वेस्ट्स मिलीं.

ग़लत दावा

24 मार्च को, प्रेस इनफ़ॉर्मेशन ब्यूरो ने ट्वीट कर इस मेसेज को झूठा बताया था, “सरकार के द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है.”

गौरतलब है कि व्हॉट्सऐप एंड-टू-एंट इन्क्रिप्शन(E2EE) पर बेस्ड है. मतलब कि “आप जिसे मैसेज भेज रहे हैं, वही ये पढ़ सकता है. बीच में कोई नहीं होता. व्हॉट्सऐप भी नहीं.” E2EE बातचीत तब तक निजी रहते हैं जब तक कि रिसीवर उसका स्क्रीनशॉट शेयर न करे या डिवाइस को हैक न कर लिया गया हो.

फ़ेसबुक मेसेंजर में एंड-टु-एंड इन्क्रिप्शन चालू नहीं होता है. लेकिन इसमें एक ‘सीक्रेट कन्वर्सेशन’ का एक फ़ीचर होता है. इसी तरह, ट्विटर में भी डायरेक्ट भेजे जाने वाले मैसेजों में एंड-टु-एंड इन्क्रिप्शन नहीं होता. टेक क्रंच की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, ट्विटर फ़ेसबुक की तरह सीक्रेट बातचीत जैसे फ़ीचर की संभावनाएं तलाश रहा था.

ध्यान देने वाली बात ये है कि सभी E2EE मैसेजिंग ऐप्स एक जैसे नहीं होते. टॉम्स गाइड, एक यूज़र सपोर्टेड टेक ब्लॉग है. इसने एंड्रॉइड और iOS के लिए उपलब्ध विभिन्न E2EE ऐप्स की लिस्ट बनाई है. अमेरिका की टेक न्यूज वेबसाइट इनगैजेट की 2019 की एक रिपोर्ट में फ़ेसबुक, व्हॉट्सऐप, टेलीग्राम और सिग्नल ऐप्स के सिक्योरिटी फ़ीचर्स की तुलना की है. रिपोर्ट के अनुसार, इन चारों ऐप्स में सिग्नल की सिक्योरिटी सबसे तगड़ी है.

इसलिए, ये व्हॉट्सऐप फॉर्वर्ड ग़लत जानकारी फैला रहा है. इससे पहले, फोन पर हो रही बातचीत की एक ऑडियो क्लिप वायरल हुई थी, जिसमें ये ग़लत दावा किया गया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में 15 जून तक लॉकडाउन लगाए रखने की सलाह दी है.

विशेषज्ञों की राय

सोशल मीडिया पर सरकार के सर्विलांस को समझने के लिए, ऑल्ट न्यूज़ ने सिग्नल मैसेंजर के जरिए, फ़्डरीम ऑफ़ प्रेस फाउंडेशन में सिक्योरड्रॉप के डेवलपर, कौशल दास से बात की. सिक्योरड्रॉप एक फ़्री सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म है जो पत्रकारों और उनके स्रोतों के बीच सुरक्षित बातचीत की सुविधा मुहैया करवाता है.

इससे पहले कि आप कौश दास के जवाब पढ़ें, आप ऑनलाइन सर्विलांस को समझने के लिए अल जज़ीरा का ये शॉर्ट वीडियो देख सकते हैं.

क्या आप बता सकते हैं कि सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कैसे निगरानी रखती है?

कौशल दास: “भारत सरकार इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) के स्तर पर सबकुछ रिकॉर्ड करती है. साथ ही, सरकार ISP लेवल पर हार्डवेयर भी इंस्टॉल करती है. वो ये देख/ट्रैक कर सकते हैं कि कौन सा व्यक्ति कौन सी वेबसाइट पर जा रहा है और किन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर ऐक्टिव है. इसलिए, जब उनको डेटा की ज़रूरत होती है, उन्हें आपकी पर्सनल चैट तक पहुंचने के लिए इन कंपनियों को एक औपचारिक नोटिस भेजना होता है. व्हॉट्सऐप चैट एंड-टू-एंड इन्क्रिप्टेड होते हैं, फिर भी सरकार कंपनी से ये पूछ सकती है कि कौन किससे बात कर रहा है. वो किसी को अरेस्ट भी कर सकती है और जबरन फोन का लॉक खुलवा सकती है. इसी तरह, लोगों की फॉलोइंग की आदत पहचान कर और बातचीत की फ्रीक्वेंसी के आधार पर सोशल ग्राफ़्स भी बना सकती है.

‘आपका डिवाइस मंत्रालय से जोड़ दिया गया है,’ आपने वायरल मैसेज के इस दावे को ग़लत कहा. तो, दुनियाभर में सरकारें किस तरह से लोगों का पर्सनल डेटा निकालती हैं?

कौशल दास: “आमतौर पर, अगर आप की हर गतिविधि पर नज़र रखी जा रही तो आपके डिवाइस पर सीधे अटैक नहीं किया जाता है. सोचिए कि आप जो कुछ इंटरनेट पर ब्राउज़ कर रहे हैं, सरकार उनको लाइव अपने सिस्टम में देख सकती है (अधिकतर मामलों में असली डेटा नहीं सिर्फ़ मेटाडेटा, जैसे कि कौन सी वेबसाइट इत्यादि). जैसा कि मैंने पहले बताया, सरकार को बस असली डेटा (जैसे कि ईमेल, फ़ेसबुक चैट) के लिए कंपनी को आदेश देना होता है. हालांकि, सरकार के पास कॉल्स को टेक्स्ट में बदलने और लंबे समय तक सुरक्षित रखने का सिस्टम होता है.

सेल्युलर सर्विस के जरिए किए जाने वाले एसएमएस और फोन कॉल कितने सुरक्षित हैं?

कौशल दास: “कानून के हिसाब से, भारत में ओवर द एयर संवाद इन्क्रिप्टेड नहीं होते हैं. ऐसा ये सुनिश्चित करने के लिए किया गया है ताकि सरकार सभी संचारों पर निगरानी कर सके. इसका मतलब ये हुआ कि एसएमएस और नॉर्मल फोन कॉल्स अपराधियों से भी सुरक्षित नहीं हैं. उदाहरण के लिए, हमारे फोन पर भेजे गए ओटीपी को भी चुराया जा सकता है.”

लोगों की निजता पर इसका क्या असर होता है?

कौशल दास: “व्यक्तिगत निजता बड़े खतरे में है क्योंकि हमारे पास इसको सुरक्षित रखने के लिए कोई कानून नहीं है. सभी मेटाडेटा का इस्तेमाल व्यक्तियों की प्रोफाइल तैयार करने के लिए किया जा सकता है, जिसे सरकार बहुत आसानी से प्रेडिक्ट और मॉनिटर कर सकती है. ये हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को खत्म कर देता है.”

हम अपनी ऑनलाइन निजता को सुरक्षित रखने के लिए क्या कर सकते हैं?

कौशल दास: “हमें पता है कि सरकार फोन कॉल्स की रिकॉर्डिंग करने में सक्षम है. लेकिन क्यो वो ऐसा कर रहे हैं? ये हमें नहीं पता. लेकिन हमें इतना ज़रूर पता है कि वो सभी कॉल्स की डीटेल और दूसरे मेटाडेटा को जमा कर रहे हैं. ये नए टारगेट लिस्ट बनाने के लिए काफ़ी है ताकि वो लोगों पर पूरी निगरानी रख सकें.”

लोग इन तरीक़ों को आज़मा कर खुद को अधिक सुरक्षित रख सकते हैं – सभी फोन कॉल्स/मैसेज को सिग्नल मैसेंजर पर मूव कर दीजिए. ये ऐप (व्हॉट्सऐप से इतर) किसी भी तरह का मेटाडेटा स्टोर नहीं करता. और फोन कॉल्स को आसानी से भेदा नहीं जा सकता. जहां तक सुरक्षित इंटरनेट ब्राउजिंग की बात है, लोग टोर ब्राउज़र का इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि उनका इंटरनेट उपयोग ज्यादा निजी बना रहे.”

हिंदी और गुजराती में वायरल मैसेज

ये वायरल मैसेज हिंदी और गुजराती में भी धड़ल्ले से शेयर किया जा रहा है.

गुजराती मैसेज में लिखा है, “આવતીકાલથી નવા સંચારના નિયમો લાગુ કરવામાં આવશે અમદાવાદ પોલીસ 1. બધા કોલ રેકોર્ડિંગ્સ હશે. 2. બધી જ કોલ રેકોર્ડિંગ્સ સાચવવામાં આવશે. 3. વોટ્સએપ, ફેસબુક, ટ્રિટર અને બધા સોશિયલ મીડિયા પર નજર રાખવામાં આવશે. 4. જે લોકો જાણતા નથી તે બધાને જાણ કરો. 5. તમારા ઉપકરણ મંત્રાલય સિસ્ટમ્સ સાથે કનેક્ટ થશે. 6. કોઈને ખોટો સંદેશ ન મોકલવા પર ધ્યાન આપો. 7. તમારા બાળકો, ભાઈઓ, સંબંધીઓ, મિત્રો, પરિચિતોને, દરેકને જાણ કરો કે તમારે તેમની સંભાળ લેવી જોઈએ અને સોશિયલ સાઇટ્સને ભાગ્યે જ ચલાવવી જોઈએ. 8. કોઈપણ પોસ્ટ કે વિડીયો… વગેરે જેને તમે રાજકારણ અથવા વર્તમાન પરિસ્થિતિ પર સરકાર અથવા વડા પ્રધાનની સામે મેળવો છો. મોકલો નહીં. 9. અત્યારે કોઈપણ રાજકીય કે ધાર્મિક મુદ્દે સંદેશ લખવો કે મોકલવો એ ગુનો છે. આવું કરવાથી વોરંટ વિના ધરપકડ થઈ શકે છે. 10. પોલિસ પ્રથમ નોટિફિકેશને દૂર કરશે …. ત્યારબાદ સાયબર ક્રાઈમ … ત્યારબાદ કાર્યવાહી કરવામાં આવશે. તે ખૂબ ગંભીર છે 11. બધા જ ગૃપના સભ્યો, સંચાલકો, … કૃપા કરીને આ વિષય પર વિચાર કરો. 12. કોઈ ખોટો સંદેશ ને મોકલવાની કાળજી રાખો. અને દરેકને જાણ કરો અને આ વિષયની સંભાળ રાખો. 13. કૃપા કરીને આને શેર કરો.. આભાર…”

हिंदी मैसेज में लिखा है: “कल से नये communication नियम लागू होने वाले है :1.सभी call recording होंगे 2.सभी call recording saved होंगे 3.Whatsapp, Facebook, Twitter, और सभी Social media सभी monitored होंगे 4.जो ये नहीं जानते उन सभी को इत्तला (inform) कर दीजिये 5.आपकी Devices को मन्त्रालय systems से जोड़ दिया जायेगा 6,ध्यान दीजिये कोई भी गलत message किसी को भी मत भेजिये 7.अपने बच्चों, भाइयों, रिश्तेदारो, दोस्तों,परिचितो,सभी को इत्तला (inform) कर दो कि इन सबसे ध्यान रखे और social sites को संयम से चलाये 8.कोई post या video..आदि जो आप recieve करते हो राजनीति या वर्तमान स्थिति पर सरकार या प्रधानमंत्री के खिलाफ उसे Send मत करो 9.इस समय किसी राजनीतिक या धार्मिक मुद्दे पर कोई Message लिखना या भेजना अपराध है ……ऐसा करने पर बिना वारंट के गिरफ़्तारी हो सकती है। 10.Police एक नोटिफ़िकेशन निकालेगी ….फ़िर Cyber अपराध… फ़िर action लिया जायेगा 11.यह बहुत ही गम्भीर है please आप सभी, group members, admins ,…इस विषय पर गहराई से सोचिये 12.ध्यान रखिये कोई गलत Message मत भेजिये और सभी को इत्तला (inform) करिये और इस विषय पर ध्यान रखे 13.Please इसे share कीजिये… यह सच है Groups ज्यादा सतर्क व साब्धान रहे।”

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About the Author

🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.