समय-समय पर जैन समुदाय को लेकर पब्लिक फ़ोरम, सामुदायिक मंचों और सोशल मीडिया पर कई दावे किए जाते हैं. इन दावों की पहुंच इतनी है कि कभी व्यापार शिखर सम्मेलन, कभी सरकारी नौकरी की तैयारी कराने वाले कोचिंगस, कभी कथित केस स्टडी, कभी खबरों में, कभी नेताओं द्वारा, कभी कथित रिसर्च में इस्तेमाल होते रहे हैं. इनमें से ही एक दावा है भारत के कुल इनकम टैक्स में जैन समुदाय के 24 प्रतिशत योगदान का. सालों से ये दावा चला आ रहा है जिसमें कहा गया है कि जैन धर्म के लोग इस देश की कुल आबादी के 0.4 प्रतिशत हैं. लेकिन इस देश के कुल इनकम टैक्स में जैन धर्म के लोगों का 24 प्रतिशत योगदान है.

जैन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन / Jain International Trade Organisation (JITO) का चेन्नई चैप्टर 19 अगस्त 2007 को लॉन्च किया गया था.

द हिन्दू अखबार में अगस्त, 2007 में प्रकाशित एक ख़बर के मुताबिक, इस कार्यक्रम का उद्घाटन राजस्थान के पाली लोकसभा क्षेत्र से तत्कालीन भाजपा सांसद पुष्प जैन ने किया था. इस सभा को संबोधित करते हुए पुष्प जैन ने कहा था कि जैन समुदाय के लोग भारत की आबादी के 1 प्रतिशत से भी कम हैं. लेकिन इनकम टैक्स के माध्यम से सरकारी खजाने में उनका योगदान 24 प्रतिशत था.

जून 2022 में मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिंद्रा ने अपनी एक कथित केस स्टडी में दावा किया कि जैन इस देश की आबादी के 0.3 प्रतिशत हैं. लेकिन इनकम टैक्स में 24 प्रतिशत योगदान जैन समुदाय का होता है. विवेक बिंद्रा ने ये दावा भी किया कि वर्ष 2009 में जैन समुदाय द्वारा देश के समूचे इनकम टैक्स में 42 प्रतिशत का योगदान था.

UPSC CSE, SSC, banm, State PSC, UGC NET, Railways, इत्यादि जैसे सरकारी नौकरी की तैयारी करवाने का दावा करने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म Study IQ IAS ने भी अक्टूबर 2022 के एक वीडियो में ऐसा ही दावा किया.

न्यूज़18 के ऐंकर अमीश देवगन ने अपने दो टीवी प्रोग्राम में ऐसा ही दावा किया था जिसके वीडियोज़ यूट्यूब पर 4 जनवरी 2023 और 6 जनवरी 2023 को अपलोड किये गए थे.

इंडिया टीवी को दिए गए एक मीडिया बाइट में भाजपा समर्थक कवयित्री अनामिका जैन अम्बर ने भी सम्मेद शिखर पर अपनी बात रखते हुए ऐसा ही दावा किया. इंडिया टीवी का ये बुलेटिन जनवरी 2023 का है.

जनवरी 2023 में मनोज मुंतशिर शुक्ला ने भी जैन समुदाय के बारे में बात करते हुए एक वीडियो में ऐसा ही दावा किया. मनोज ने इस दावे को वीडियो में एक फ़ैक्ट के रूप में पेश किया.

International Journal of Applied Research के VOL. 6, ISSUE 3, PART D (2020) में प्रकाशित एक कथित स्टडी में लेखक श्री किरण सीएम ने भी ऐसा ही दावा किया था.

CNBC इंडिया के पूर्व रिसर्च एंड कॉरपोरेट एडिटर और ओमकारा कैपिटल के फ़ाउंडर वरिंदर बंसल ने सितम्बर, 2022 के एक ट्वीट में ऐसा ही दावा किया.

फ़ैक्ट-चेक

चूंकि ये दावा 2011 सेंसस से पहले से किया जा रहा है. इसलिए सबसे पहले हमने जैन धर्म की आबादी को वेरीफ़ाई करने के लिए 2001 सेंसस में धर्म के आधार पर जनसंख्या का डेटा चेक किया. सेंसस इंडिया और लिंगग्विस्टिक सर्वे ऑफ़ इंडिया की सरकारी वेबसाइट पर मौजूद 2001 सेंसस के रिलीजन डेटा रिपोर्ट के मुताबिक, उस वक़्त जैन धर्म के लोगों की आबादी, देश के कुल आबादी का 0.4 प्रतिशत था.

हमें प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो का 2015 में पब्लिश्ड एक प्रेस रिलीज़ मिली. इसमें रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर द्वारा रिलीज़ किए गए डेटा के आधार पर बताया गया था कि 2011 सेंसस में जैन धर्म से के लोगों की आबादी, देश के कुल आबादी का 0.4 प्रतिशत था.

इनकम टैक्स के e-Filing पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन फ़ॉर्म में नहीं है धर्म का कॉलम

हमने इनकम टैक्स की वेबसाइट पर स्टेप-बाई-स्टेप इंडिविजुअल अकाउंट रजिस्टर किया और पाया कि रजिस्ट्रेशन में कहीं भी धर्म का कॉलम नहीं है. अकाउंट रजिस्ट्रेशन के बाद प्रोफ़ाइल में भी इस प्रकार की जानकारी नहीं होती है.

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इनकम टैक्स की वेबसाइट पर खोजने पर हमें कहीं भी धर्म से जुड़ा डेटा नहीं मिला जिससे पुष्टि की जा सके कि जैन धर्म के लोग इस देश के कुल इनकम टैक्स में 24% योगदान करते हैं. इनकम टैक्स की वेबसाइट पर मौजूद फ़ाइनेंसियल ईयर 2000-01 से 2018-19 के टाइम सिरीज़ डेटा में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन, राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के आधार पर टैक्स कलेक्शन का ब्रेक-अप, समूचे टैक्स कलेक्शन में डायरेक्ट टैक्स का योगदान, इत्यादि का डेटा मौजूद है. लेकिन इसमें कहीं भी धर्म के आधार पर टैक्स कलेक्शन का डेटा मौजूद नहीं है.

हमें इनकम टैक्स की वेबसाइट पर फ़ाइनेंसियल ईयर 2018-19 के इनकम टैक्स रिटर्न का डेटा एसेस्मेंट मिला. इसमें स्टेटस के आधार पर इनकम टैक्स का डेटा मौजूद है लेकिन अलग-अलग धर्मों से जुड़े इनकम टैक्स का डेटा मौजूद नहीं है.

ज्ञात हो कि स्टेटस के आधार पर इनकम टैक्स में एक HUF टर्म का इस्तेमाल किया गया है. इसका मतलब है HUF = Hindu Undivided Family (हिन्दू अविभाजित परिवार). इनकम टैक्स की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार:

  • हिंदू अविभाजित परिवार (‘एचयूएफ़’) को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(31) के तहत एक ‘व्यक्ति’ के रूप में माना जाता है . एचयूएफ़ अधिनियम के तहत मूल्यांकन के उद्देश्य के लिए एक अलग इकाई है.
  • हिंदू कानून के तहत, HUF एक परिवार है जिसमें सभी व्यक्ति एक सामान्य पूर्वज के वंशज होते हैं और इसमें उनकी पत्नियां और अविवाहित बेटियां शामिल होती हैं. एक कान्ट्रैक्ट के तहत एक एचयूएफ़ नहीं बनाया जा सकता है. ये एक हिंदू परिवार में स्वचालित रूप से बनता है.
  • जैन और सिख परिवार भले ही हिंदू कानून के तहत नहीं आते. लेकिन उन्हें अधिनियम के तहत एचयूएफ़ माना जाता है.

हालांकि, एसेस्मेंट डेटा में मौजूद HUF स्टेटस किसी भी धर्म (हिन्दू, सिख, जैन) से जुड़ा इनकम टैक्स कलेक्शन का डेटा प्रदान नहीं करती.

अधिक जानकारी के लिए हमने राइट टू इनफ़ॉर्मेशन (RTI) के जरिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सवाल भेजा कि क्या भारत सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कभी भी धर्म के आधार पर इनकम टैक्स डेटा रीलीज़ किया है? अगर हां, तो क्या जैन धर्म के लोग देश के कुल इनकम टैक्स में 24% योगदान करते हैं? इसका जवाब इनकम टैक्स ऑफ़िस ने ‘N. A‘ में दिया. यानी, इस सवाल का जवाब नॉट एन्सरेबल है.

RTI का जवाब स्पष्ट नहीं होने की वजह से हमने इसपर पहली अपील दायर की और साफ-साफ जवाब मांगा. इस बार हमारे सवालों का स्पष्ट जवाब देते हुए इनकम टैक्स ऑफिस ने कहा कि इस प्रकार की जानकारी (धर्म आधारित, जाति आधारित और पंथ आधारित) इस कार्यालय द्वारा नहीं रखी जाती है.

कुल मिलाकर, कई सालों से अलग-अलग मंचों और प्लेटफ़ॉर्म्स पर जैन समुदाय के बारे में भ्रामक दावा किया जाता रहा है कि जैन समुदाय के लोग देश के समूचे इनकम टैक्स में 24% योगदान करते हैं. कुछ लोगों ने 2009 में जैन समुदाय द्वारा देश के कुल इनकम टैक्स का 42% योगदान करने का दावा किया. जबकि असल में भारत सरकार का इनकम टैक्स डिपार्टमेंट धर्म/जाति/पंथ के आधार पर इनकम टैक्स का डेटा संग्रह या रिलीज़ नहीं करती, इसलिए ये दावे निराधार हैं.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).