सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप काफी वायरल है जिसमें एक आदमी को नमाज़ के लिए इस्लामिक कॉल करते हुए देखा जा सकता है. दावा किया जा रहा है कि केरल में सरकार ने मुसलमानों और ईसाइयों को मंदिरों में पुजारी के रूप में नियुक्त किया है. और इस वजह से इन पूजा स्थलों में हिंदू देवताओं को शराब और मांस परोसा जा रहा है.

ट्विटर पर ये वीडियो शेयर करते हुए एक यूज़र ने लिखा, “केरला सरकार ने मन्दिरों में मुस्लिम और क्रिश्चियन पुजारी नियुक्त कर दिए, अब हालात ये हैं कि हनुमान जी के प्रतिरूप को शराब पिलाई जा रही है मांस परोसा जा रहा है और अल्लाह हो अकबर का उद्घोष हो रहा है*😡केरल सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए अन्यथा एक दिन हिंदू मुक्त राज्य बन जायेगा.” (आर्काइव)

ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप +91 7600011160 पर इस क्लिप की सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट मिलीं.

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ये क्लिप फ़ेसबुक पर भी इसी कैप्शन के साथ शेयर की जा रही है.

फ़ैक्ट-चेक

हमने वीडियो से की-फ़्रेम लेकर इसका गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें 16 जनवरी, 2023 को पब्लिश द इंडियन एक्सप्रेस का एक आर्टिकल मिला. इस रिपोर्ट के मुताबिक, वायरल क्लिप में देखे गए परफ़ॉरमेंस को ‘थेय्यम’ कहा जाता है. ये एक “हिंदू रीति रिवाजों से किया जाने डांस है जो उत्तरी केरल और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में किया जाता है. इसे अक्सर अनुसूचित जाति के लोग करते हैं जिन्हें इस एक्ट के दौरान भगवान के अंश की तरह माना जाता है.”

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ज़्यादातर थेय्यम प्रदर्शन हिंदू आदिवासी दंतकथाओं को दिखाते हैं और कुछ क्षेत्रों में डांस के रूप में मुस्लिम चरित्र भी शामिल होते हैं. आर्टिकल में @AbbakkaHypatia नाम के यूज़र का ट्वीट भी शामिल है. इस यूज़र ने ज़िक्र किया है कि ये क्लिप व्हाट्सऐप ग्रुप्स पर शेयर की जा रही हैं जिसमें दावा किया जा रहा है कि “धर्मनिरपेक्षता ने थैय्यम को भ्रष्ट कर दिया है.” जबकि ये प्रथा ‘1 हज़ार सालों’ से चली आ रही है. (आर्काइव)

इसके अलावा, हमें एक टिकटॉक वीडियो भी मिला जिसे 24 दिसंबर, 2022 को पोस्ट किया गया था. यानी, द इंडियन एक्सप्रेस के आर्टिकल के पब्लिश होने से कम से कम तीन सप्ताह पहले से ये वीडियो ऑनलाइन मौजूद है.

गूगल ट्रांसलेट का इस्तेमाल करते हुए वीडियो के टाइटल का अनुवाद कुछ इस तरह आता है, “बापिरयान आर्य महाराजा की पुत्री आर्यपुंगन्नी के संरक्षक हैं, जिन्होंने आर्य की भूमि से एक हजार समुद्र पार किए थे.”

हमने पाया कि इस क्लिप में किए गए प्रदर्शन को “बप्पिरियां थेय्यम” कहा जाता है. द हिंदू के मुताबिक, थेय्यम एक पारंपरिक हिंदू रीति रिवाजों से किया जाने वाला डांस है. इसके बावजूद, इसमें मुस्लिम पात्रों को शामिल करके सांप्रदायिक सद्भाव का जश्न मनाया जाता रहा है. मुस्लिम पात्रों के प्रदर्शन को आमतौर पर ‘मप्पिला थेय्यम’ कहा जाता है और इसके कम से कम 15 रूप हैं. पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि कुल थेय्यम के लगभग 400 रूप हैं. प्रत्येक की अपनी संगीत, शैली और नृत्यकला है. रिपोर्ट में बताया गया है कि थेय्यम के कुछ रूपों में खून और मांस का प्रसाद भी शामिल होता है.

द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि दो सम्मानित मप्पिला थेय्यम – कलंथन मुकरी और आली अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में (जो थेय्यम मौसम की शुरुआत होती है) और मार्च के अंत या अप्रैल के पहले सप्ताह में प्रदर्शित किए जाते हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि वायरल क्लिप को यूट्यूब पर 22 दिसंबर, 2022 को पोस्ट किया गया था. यानी, ये वीडियो शायद अक्टूबर और दिसंबर के बीच लिया गया हो या फिर इससे भी पुराना हो सकता है.

पुजारियों के रूप में मुसलमानों और ईसाइयों की नियुक्ति का कोई सबूत नहीं

जहां तक मुसलमानों और ईसाइयों को पुजारी नियुक्त किये जाने का सवाल है, ऑल्ट न्यूज़ ने पिछले फ़ैक्ट-चेक में ये बताया था कि इस तरह के दावों के समर्थन में कोई रिपोर्ट नहीं है.

केरल में ऐसे मंदिर हैं जिनका प्रबंधन राज्य द्वारा संचालित मंदिर बोर्ड, निजी मंदिर बोर्ड या सामुदायिक संगठन करते हैं. पांच सरकारी स्वायत्त देवस्वोम (मंदिर) बोर्ड हैं, जो राज्य में 3,058 मंदिरों का प्रबंधन करते हैं. ये हैं त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड, कोचीन देवस्वोम बोर्ड, मालाबार देवस्वोम बोर्ड, गुरुवयूर देवस्वोम बोर्ड और कुडलमानिक्यम बोर्ड.

इन बोर्ड्स की भूमिका में मंदिर की संपत्तियों का प्रबंधन और भक्तों के लिए सुविधाओं और बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करना और पुजारियों सहित कर्मचारियों की नियुक्ति शामिल है. त्रावणकोर देवस्वोम (मंदिर) भर्ती बोर्ड ने पहले भी दलित पुजारियों के साथ-साथ अनुसूचित जनजातियों के पुजारियों को भी नियुक्त किया है. हालांकि, किसी भी बोर्ड द्वारा मुस्लिम या ईसाई पुजारी की नियुक्ति की कोई ख़बर नहीं है.

कुल मिलाकर, केरल में थेय्यम के प्रदर्शन का एक वीडियो इस झूठे दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि राज्य में मुसलमानों और ईसाइयों को मंदिरों में पुजारी के रूप में नियुक्त किया जा रहा है, जिसकी वजह से मंदिरों में हिंदू देवी-देवताओं को इस्लामी मंत्रोच्चारण के साथ-साथ शराब और मांस का प्रसाद चढ़ाया जा रहा है.

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