दो वीडियोज़ शेयर करते हुए कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने दावा किया कि पाकिस्तान में यूनेस्को मान्यता प्राप्त हेरिटेज साइट हिंगलाज मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया. वायरल वीडियो के आधार पर कई न्यूज़ आउटलेट्स ने भी खबर चलाई कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित हिंगलाज मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया और इसके साथ ही दावा किया कि ये मंदिर यूनेस्को मान्यता प्राप्त है.
पहले वीडियो में देखा जा सकता है कि ज़मीन के एक प्लॉट के बीच में हिन्दू देवी की तस्वीर लगी हुई है और कुछ लोग ‘जय माता दी’, ‘हिंगलाज माता की जय’ और ‘हिन्दू धर्म की जय हो’ जैसे धार्मिक नारे लगा रहे हैं. कुछ लोग हाथ में हथौड़े और फावड़े लिए खड़े हैं. वहीं दूसरे वीडियो में पुलिस की मौजूदगी में बुलडोज़र से उस प्लॉट की दीवार और गेट को तोड़ा जा रहा है.
भारतीय जनता पार्टी के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने वीडियो ट्वीट करते हुए दावा किया कि पाकिस्तान में यूनेस्को द्वारा सूचीबद्ध हिंगलाज माता मंदिर को तोड़ दिया गया. (आर्काइव लिंक)
विकास और पुनर्निर्माण के नाम पर पाकिस्तान में यूनेस्को द्वारा सूचीबद्ध हिंगलाज माता मंदिर को तोड़ा गया, भारत के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष समुदाय ने इसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाई।
भारत में भी कई मस्जिदें अतिक्रमण करके बनाई गई हैं…ये भी विकास में बाधक हैं। pic.twitter.com/fOZO2kJar5— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) November 29, 2023
विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने ये वीडियो ट्वीट करते हुए ऐसा ही दावा किया. (आर्काइव लिंक)
एक ओर आतंकियों की प्यारी पाकिस्तानी सेना ने Pok स्थित हिंदुओं के पौराणिक धर्मस्थल शारदा पीठ की जमीन पर अनाधिकृत कब्जा कर वहाँ कॉफी हाउस मीट शॉप बना लिया वहीं, जिहादियों ने हिंगलाज माता मंदिर को भी ध्वस्त कर @UNESCO साइट को भी नहीं छोड़ा। प्रदर्शनकारीयों का भी दमन!
क्या… pic.twitter.com/Km1nxr09GJ— विनोद बंसल Vinod Bansal (@vinod_bansal) November 25, 2023
राइट विंग अकाउंट Squint Neon ने भी एक ट्वीट में ऐसा ही दावा किया.
UNESCO recognised heritage site Hinglaaj Temple demolished in Pakistan. This is the official end of every Hindu imprint in Pakistan pic.twitter.com/nQ9swtkDFX
— Squint Neon (@TheSquind) November 24, 2023
इसी प्रकार कई मीडिया आउटलेट्स जैसे लाइव हिंदुस्तान, इंडिया टीवी, आरएसएस की मुखपत्रिका पांचजन्य, रिपब्लिक टीवी इत्यादि ने भी इस वीडियो के बारे में रिपोर्ट किया है कि पाकिस्तान में यूनेस्को मान्यता प्राप्त हिंगलाज माता मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया.
फ़ैक्ट-चेक
वायरल वीडियो के बारे में सर्च करते हुए हमें पाकिस्तानी पूर्व क्रिकेटर दानिश कनेरिया का एक ट्वीट मिला जिसमें उन्होंने ये वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा था कि पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा हिंदू धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई जारी है. साथ ही एंटी-इनक्रोचमेंट कोर्ट मीरपुरखास के आदेश के बाद पाकिस्तान के मिठी, थारपारकर में हिंगलाज माता मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया है.
Pakistani authorities continues crackdown on Hindu religious places. Following an order of anti-encroachment court Mirpurkhas, Hinglaj Mata Mandir has been demolished in Mithi, Tharparkar, Pakistan. pic.twitter.com/EUOHHcXkQt
— Danish Kaneria (@DanishKaneria61) November 23, 2023
चूंकि थारपारकर पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है और वहां बोली जाने वाली प्रमुख भाषा सिन्धी है. इसलिए हमने सिन्धी भाषा में फ़ेसबुक पर की-वर्ड्स सर्च किया तो हमें इस मामले से जुड़े कई फोटोज़ और वीडियोज़ मिलें. मीठी, थारपारकर के रहने वाले एक यूज़र ने उस प्लॉट पर बने कंस्ट्रक्शन के टूटने से पहले और बाद की तस्वीर फ़ेसबुक पर शेयर करते हुए दुख जताया. इन तस्वीरों में दिखने वाले घरों का मिलान किया जा सकता है जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि ये वही लोकेशन है जिसका वीडियो प्राचीन हिंगलाज माता मंदिर बताते हुए भारतीय मीडिया, सोशल मीडिया यूज़र्स और नेताओं द्वारा शेयर किया जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि ये एक USESCO साइट है.
विजय कुमार नाम के एक पाकिस्तानी यूज़र ने भी इस साइट से जुड़ी तस्वीरें और अखबार की कटिंग फ़ेसबुक पर पोस्ट की थी जिसमें मंदिर तोड़े जाने पर खत्री समुदाय द्वारा विरोध प्रदर्शन करने का ज़िक्र किया गया है.
दानिश कनेरिया के ट्वीट पर जवाब देते हुए पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल ARY के पत्रकार संजय साधवानी ने एक तस्वीर शेयर की और कहा कि यहां 2 साल पहले कचरा कुंडी हुआ करती थी. फिर कब्ज़ा माफिया ने मंदिर का नाम दे कर बाउंड्री वॉल लगा दी.
Yahan 2 Sal pehly kachra Kundi hwa krti thi Fr qabza mafia Nai mandir ka nam de kr boundary wall lga di 🙏🏻 Danish bhai tweet krne se pehly tasdeeq Kiya kren pic.twitter.com/1IuVqP20F7
— Sanjay Sadhwani (@sanjaysadhwani2) November 24, 2023
हमने इस मुद्दे को लेकर पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल ARY के पत्रकार संजय साधवानी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि जिस जगह का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है वो उनके पैतृक घर से महज़ 200 मीटर की दूरी पर है. उन्होंने बताया कि ये कोई एतिहासिक मंदिर या कोई धार्मिक स्थल नहीं है. असल में ये एक ज़मीनी विवाद है जो हिन्दू समुदाय के ही दो गुटों के बीच का है, इसमें किसी प्रकार का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.
दोनों साइट्स के बीच है 550 किमी से ज्यादा की दूरी
हमने पाया कि वायरल वीडियो वाली घटना मीठी, सिंध की है जबकि हिंगलाज माता का प्राचीन मंदिर बलोचिस्तान में है. यानी इन दोनों साइट्स के बीच 550 किलोमीटर से ज़्यादा की दूरी है.
संजय साधवानी ने हमसे एक कोर्ट का ऑर्डर शेयर किया (पूरी फ़ाइल यहाँ मौजूद है) जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि ये केस अरूण बनाम परू मल और अन्य है. हमने इस डॉक्यूमेंट पर मौजूद कोड को पाकिस्तान सरकार की वेबसाइट पर वेरीफाई किया.
ट्रिब्यूनल डॉक्यूमेंट के मुताबिक, अरूण ने खत्री मोहल्ला मीठी में एक घर खरीदा जिसके सामने एक कुआं 20 साल से अनुपयोगिता अवस्था में था (इसी कुएं की ज़मीन पर विवाद है). स्थानीय प्रशासन ने उस घर के सामने की जगह सहित पास की सड़क पर कंक्रीट पेवर के साथ सड़क का पुनर्निर्माण किया. लेकिन इससे खत्री समुदाय सहित केस में शामिल दूसरे पक्ष के लोग खुश नहीं थे, अचानक उन्होंने लगभग 1000 वर्ग फुट की खुली जगह सहित पानी के कुएं के चारों ओर दीवार खड़ी कर दी जो सार्वजनिक संपत्ति/सरकारी ज़मीन है. अरूण ने इस अवैध निर्माण पर आपत्ति जताई क्योंकि ये निर्माण उसके घर के गेट को डिस्टर्ब कर रहा था. इससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा, इसलिए अरूण ने ये केस अतिक्रमण विरोधी न्यायाधिकरण में पेश किया.
वहीं दूसरे पक्ष (परू मल और अन्य) का कहना है कि ये सरकारी ज़मीन नहीं है बल्कि एक निजी संपत्ति है. इस ज़मीन को 1936 में सक्षम प्राधिकारी थारपारकर द्वारा परू मल के दादा को दिया गया था, उनके दादा ने 1936 में उस ज़मीन पर कुआं, धर्मशाला और मंदिर का निर्माण किया था. इस जगह पर खत्री समुदाय के लोग पूजा करते थे. 1936 से उस मंदिर में देवी की पूजा की जाती है. लगभग 30-35 साल पहले पुरानी कच्ची दीवार जर्जर हो गई थी और बरसात के मौसम में गिर गई थी. अरूण और उसके पिता ने धर्मशाला की ज़मीन और गलियों पर अतिक्रमण कर लिया था, इसलिए बाकी संपत्ति को बचाने के लिए, समुदाय के लोगों ने उसी स्थान पर मंदिर की दीवारों की मरम्मत की थी.
कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, पर्यवेक्षक टेपेदार से विषय वाद के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई थी. टेपेदार ने खत्री मुहल्ला मीठी में विवादित स्थल का दौरा किया और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जिसे कोर्ट के सामने पेश किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, अरुण के घर के पश्चिम दिशा में खत्री समाज का पुराना कुआं था जो बंद था और वो ज़मीन खाली पड़ी थी. हाल ही में खत्री समुदाय ने उस कुएं के स्थान पर हिंगलाज माता के नाम से मंदिर बताकर उत्तर और दक्षिण की ओर दो दरवाजों वाली एक चारदीवारी का निर्माण किया है, उन्होंने उक्त चारदीवारी में थल्ला भी बनाया और (हिंगलाज के प्रतीक) और झंडा गाड़ दिया. असल में वो ज़मीन सरकारी है, अधिकार के रिकार्ड में इस ज़मीन की कोई इंट्री नहीं है.
इस केस से जुड़े मुख्तियारकर (ज़मीनी विवाद में संपत्ति का निरीक्षण करने और अन्य गवाहों की जांच करने वाला) ने परू मल द्वारा पेश किये गए डॉक्यूमेंट चेक किया और कोर्ट को बताया कि ये अनुदान न तो देवी की प्रार्थना/पूजा के लिए मंदिर या धर्मशाला का निर्माण करने के लिए है. असल में ये अनुदान केवल कुएं, धर्मशाला जैसी झोपड़ी/चुनरो के लिए था. ये अनुदान असाईश उद्देश्य के लिए है और असाईश का अर्थ है चरागाह और ग्राम समुदाय के अन्य सामान्य उपयोग के लिए आरक्षित ज़मीन. इसका निर्धारित उपयोग के अलावा अन्य प्रयोजन के लिए भी नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा, हरचंद (परू मल के दादा जिन्हें ये जमीन अनुदान मिला था) के नाम पर अनुदान के राजस्व अधिकार के रिकॉर्ड में कोई इंट्री नहीं है.
इस मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त के मद्देनज़र, Sindh Public Property (Removal of Encroachment) Act 2010 के प्रावधानों के तहत, उपायुक्त ज़िला थारपारकर, मीठी को सरकारी संपत्ति से अतिक्रमण हटाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया और साथ ही आदेश की तिथि से 60 दिनों के अंदर अतिक्रमणकारियों के खर्चे पर सरकारी ज़मीन से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया.
एंटी इंक्रोचमेंट ट्रिब्यूनल कोर्ट के डिस्ट्रिक्ट एंड सेसन्स जज सुल्तान अली लेघाड़ी ने 10 जुलाई 2023 को फाइनल निष्पादन आर्डर सुनाते हुए कहा कि कोर्ट का आदेश अब भी बरकरार है. इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि आदेश की कॉपी को एक हफ्ते के अंदर अक्षरसः अनुपालन के लिए मीठी के डेप्यूटी कमिश्नर को भेजा जाए.
थार समाचार नाम के फ़ेसबुक पेज ने 28 नवंबर को मीठी के हिंगलाज माता मंदिर पर थारपारकर के एसएसपी अली मर्दन का बयान शेयर किया था जिसमें उन्होंने कहा कि इस मंदिर को लेकर एंटी-इनक्रोचमेंट ट्रिब्यूनल में अरूण लोहाना नाम के एक हिन्दू शख्स द्वारा दायर किया गया था जिसमें इस अतिक्रमण को गैरकानूनी बताने और इसे इस कंस्ट्रक्शन को हटाने के लिए केस दायर करवाया था. इस मामले में एंटी-इनक्रोचमेंट ट्रिब्यूनल ने अरूण के पक्ष में फैसला सुनाया. इसी को लेकर 23 नवंबर 2023 को इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था. एसएसपी ने कहा कि दोनों पक्ष हिन्दू समुदाय के हैं. इसमें ये कहना गलत है कि किसी एक समुदाय को टारगेट किया गया है, इस तरह के ऑपरेशन पहले इबादतगाहों के लिए भी अंजाम दिया जा चुका है जो सरकारी जमीन या कब्जे की जमीन पर बने थे.
مٺي ۾ هنگلاج ماتا مندر جي حوالي سان ايس ايس پي ٿرپارڪر علي مردان کوسو جو موقف .
Posted by ٿر سماچار on Monday, 27 November 2023
इस ज़मीन पर नहीं था कोई प्राचीन मंदिर
12 जनवरी 2022 को इमरान खान की पार्टी PTI के सिंध प्रांत के वरिष्ठ उपाध्यक्ष लाल मलही ने कुछ फोटो ट्वीट करते हुए कहा था कि मिठी, थारपारकर में हिंदू समुदाय के खत्री मोहल्ला में निर्माणाधीन हिंगलाज माता मंदिर को प्रशासन ने तोड़ दिया.
Under construction Hinglaj Mata temple in Hindu community neighbourhood (Khatri Mohalla) Mithi- Tharparkar rzaed to ground by administration . The so called champion of minority rights, PPP, is ruling Sindh whilst minorities suffering pic.twitter.com/qhAz04wStz
— LAL MALHI (@LALMALHI) January 18, 2022
इस पर रिप्लाई करते हुए एक यूज़र ने अर्जन खत्री नाम के व्यक्ति के फ़ेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया था. इस स्क्रीनशॉट में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि इस प्लॉट पर दीवार बन रही है और इस जगह पर कोई मंदिर नहीं है. कोर्ट डॉक्यूमेंट के मुताबिक ये कंस्ट्रक्शन पहले भी एक बार डिफेनडेंट नंबर 10 द्वारा तोड़ा जा चुका था. गौर करने वाली बात है कि जब पहली बार इसे तोड़ा गया था तब इस प्लॉट पर दरवाजे का रास्ता सिर्फ एक ही था और उसकी एक दीवार तिरछी थी. लेकिन जब दूसरी बार इसे बनाया गया तो इसे चौखुट आकार देकर इसमें दो गेट लगाए गए जो वायरल वीडियो और तस्वीरों में साफ तौर पर दिखते हैं. संजय साधवानी ने ट्वीट करते हुए कहा था कि ये जगह पहले कचरा कुंडी हुआ करती थी, उनके द्वारा ट्वीट की गई इस प्लॉट की पुरानी तस्वीर में भी साफ तौर पर दिखता है कि प्लॉट के बॉर्डर में एक दीवार तिरछी थी. पहले इस प्लॉट का गेट एक कोने में था, जबकि दूसरी बार इसका गेट बीच में बनाया गया. बाद में इस प्लॉट पर किये गए नए कंस्ट्रक्शन के बाद एक कोने में शेड लगाकर उसमें हिंगलाज माता की तस्वीर को स्थापित कर दिया था.
कोर्ट डॉक्यूमेंट के पॉइंट नंबर 3 में कोर्ट के निर्देश पर पर्यवेक्षक टेपेदार ने खत्री मुहल्ला मीठी में विवादित स्थल का दौरा करने के बाद कोर्ट में जो रिपोर्ट पेश की थी उसमें भी उन्होंने कहा था कि जिस जमीन पर हिंगलाज माता के नाम से मंदिर बनाया जा रहा है उसपर पहले एक कुआं हुआ करता था जो बंद पड़ा था और वह ज़मीन खाली थी. यानी, उसपर कोई प्राचीन मंदिर नहीं था.
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में नहीं है हिंगलाज माता मंदिर का नाम
हमने यूनेस्को की वेबसाइट चेक की तो पाया कि पाकिस्तान में कुल 6 वर्ल्ड हेरिटेज साइट हैं जिसमें हिंगलाज माता मंदिर का नाम नहीं है.
हालांकि, यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज कन्वेन्शन की वेबसाइट पर हिंगलाज माता मंदिर का नाम ‘अस्थायी लिस्ट’ में शामिल है जिसका मतलब है कि पाकिस्तान सरकार इस साइट को वर्ल्ड हेरिटेज के लिए नॉमिनेट करना चाहती है. लेकिन इसे अभी तक वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है.
प्राचीन हिंगलाज माता मंदिर का वीडियो
हमने यूट्यूब पर प्राचीन हिंगलाज माता मंदिर का वीडियो सर्च किया तो हमें कई ऐसे वलॉग्स मिले जिसमें इस मंदिर का वीडियो मौजूद है. ये वीडियो देखने पर साफ पता चलता है कि ये वो मंदिर नहीं है जिसके बारे में मीडिया आउटलेट्स द्वारा दावा किया गया कि उसे एक कोर्ट ऑर्डर के बाद अतिक्रमण मानकर पाकिस्तान के अथॉरिटी ने ध्वस्त किया.
प्राचीन हिंगलाज माता मंदिर में नहीं हुई कोई तोड़फोड़
फ़ैक्ट-चेकिंग वेबसाइट न्यूज़चेकर के रुणजय कुमार ने बलोचिस्तान के लासबेला में स्थित शक्तिपीठ प्राचीन हिंगलाज मंदिर के महासचिव वर्सी मल से बात की. उन्होंने बताया कि प्राचीन हिंगलाज मंदिर में कोई तोड़फोड़ नहीं हुई है.
कुल मिलाकर, एक ज़मीनी विवाद में कोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण को ध्वस्त करने का वीडियो भारत सरकार के मंत्री, कई मीडिया आउटलेट्स समेत कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने शेयर किया और झूठा दावा किया कि पाकिस्तान में प्राचीन हिंगलाज माता मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया.
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