इज़रायल-हमास के बीच चल रहे युद्ध को 4 दिन तक रोके जानेकी की बात सामने आयी थी. लेकिन गाज़ा में मौजूद इज़रायली बंधकों और इज़रायल में मौजूद फ़िलिस्तीनी बंधकों की रिहाई की अनुमति देने के लिए इसे 28 नवंबर को दो दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था. पिछले 4 दिनों में 69 बंधकों (51 इज़रायली और 18 विदेशी) और 150 फ़िलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया गया था.
सोशल मीडिया पर एक फ़ोटो कोलाज काफी ज़्यादा शेयर किया जा रहा है जिसमें बायीं ओर की तस्वीर में एक इज़रायली सैन्य अधिकारी एक फ़िलिस्तीनी लड़के को घसीट रहा है. जबकि दाईं ओर की तस्वीर में एक हमास सेनानी एक मुस्कुराते हुए इज़रायली लड़के के कंधे पर प्यार से हाथ रखकर चल रहा है. इन चारों व्यक्तियों के सिर के ऊपर दोनों क्षेत्रों के झंडे लगाकर उनकी राष्ट्रीयता बताई गई है. इस कोलाज के जरिए ये मैसेज देने की कोशिश की गई है कि जहां इज़रायली अधिकारी फ़िलिस्तीनी लड़के की गर्दन पकड़कर उसे जबरन खींच रहे हैं, वहीं हमास की सेना इज़रायली लड़के के साथ अच्छा व्यवहार कर रही हैं.
X (ट्विटर) ब्लू यूज़र डॉ. अनास्तासिया मारिया लूपिस ने 26 नवंबर को ये वायरल फ़ोटो कोलाज ट्वीट किया. ये फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट लिखे जाने इस ट्वीट को 59 लाख से ज़्यादा बार देखा गया. साथ ही इसे 74 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया है. (आर्काइव)
Interesting🤔 pic.twitter.com/PaNXiPnczH
— Dr. Anastasia Maria Loupis (@DrLoupis) November 26, 2023
एक और X यूज़र, गिल्डा मोर्कर्ट ने 4 नवंबर को ये वायरल तस्वीर इस कैप्शन के साथ ट्वीट की: “बड़ा अंतर, क्या आप नहीं मानेंगे.” आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 5.26 लाख से ज़्यादा बार देखा गया, साथ ही इसे 10 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया है. (आर्काइव)
Big difference, wouldn’t you say pic.twitter.com/Tm5bKnT8rG
— Gilda Morkert ❤️🫶🙏☮️ 🇾🇪🇵🇸🇮🇷 (@g_morkert) November 4, 2023
कई और यूज़र्स भी ये कोलाज शेयर करते हुए इस दावे को आगे बढ़ा रहे हैं कि फ़ोटो कोलाज में इज़रायली सेना और हमास सेना में अंतर दिखाया गया है.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने कोलाज में दोनों तस्वीरों को क्रॉप किया और उन्हें अलग-अलग रिवर्स इमेज सर्च किया:
बाईं ओर की तस्वीर:
रिवर्स इमेज सर्च से हमें ‘मिडिल ईस्ट आई’ की 12 मार्च, 2018 की एक न्यूज़ रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट में उसी लड़के की तस्वीर थी जिसे वायरल तस्वीर में वर्दी पहना आदमी खींच रहा था, ऐसा लगता है ये तस्वीर थोड़े अलग वक्त पर ली गई है. तस्वीर के कैप्शन में कहा गया है: “इज़रायली सीमा रक्षकों ने 17 जुलाई 2017 को अल-अक्सा मस्जिद परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार, लायंस गेट के बाहर प्रदर्शन के दौरान एक फ़िलिस्तीनी लड़के को हिरासत में लिया.” यानी, ये तस्वीर 2017 की है.
इसे ध्यान में रखते हुए, हमने की-वर्डस सर्च किया. हमें वायरल फ़ोटो कोलाज में मौजूद तस्वीर मिली गेट्टी इमेजिज़ पर मिली. ये तस्वीर 17 जुलाई, 2017 को अहमद घरबली ने क्लिक की थी.
दाईं ओर की तस्वीर:
दाईं ओर की तस्वीर पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें फ़िलिस्तीनी पत्रकार यूसुफ़ उमर शराफ़ का 2021 का एक ट्वीट मिला. पत्रकार ने इस तस्वीर को अरबी में इस कैप्शन के साथ शेयर किया था: “नुसीरात, केंद्रीय क्षेत्र में क़सम सैन्य परेड की एक तस्वीर.”
صورة من عرض عسكري للقســ ــام في النصيرات وسط قطاع #غزة #فلسطين_تنتصر pic.twitter.com/SEz7Z4tWum
— يوسف عمر شرف 🇵🇸 #غزة (@_Ysharaf) May 28, 2021
हमें 2 जून, 2021 का एक और ट्वीट मिला जिसमें ये तस्वीर मौजूद थी. X हैन्डल ‘@KhaledSafi’ ने ये तस्वीर अरबी में इस कैप्शन के साथ ट्वीट की: “मुझे इस तस्वीर पर आपकी राय की ज़रूरत है. विशेष रूप से एक आदमी के बारे में बच्चों के नजरिए से #المقاومة. इसकी तुलना ज़ायोनी अरब मीडिया द्वारा रिपोर्ट की गई बातों से करने के लिए. आक्रामकता #غزة की हार के बाद नुसीरत शिविर में सैन्य परेड से अत्तिया दरविश द्वारा ली गई तस्वीर.”
أحتاج أقرأ تعليقاتكم على هذه الصورة
خاصة في نظرة الأطفال إلى رجل #المقاومة
كي أقارنها مع ما ورد على لسان الإعلام العربي المتصهين!الصورة بعدسة عطية درويش من العرض العسكري في مخيم النصيرات بعد اندحار العدوان عن #غزة pic.twitter.com/QnKuBRGz9I
— Khaled Safi 🇵🇸 خالد صافي (@KhaledSafi) June 1, 2021
ध्यान दें कि क़सम ब्रिगेड हमास की सैन्य शाखा है.
वहीं इन दोनों ट्वीट से साबित होता है कि ये तस्वीर 2021 की है, साथ ही किसी भी ट्वीट में ये ज़िक्र नहीं है कि तस्वीर में दिख रहा बच्चा इज़रायली है.
कुल मिलाकर, वायरल कोलाज में कोई भी तस्वीर हाल की या अभी चल रहे इज़राइल-हमास युद्ध से संबंधित नहीं है. बाईं ओर की तस्वीर 2017 की है और इसमें एक फ़िलिस्तीनी बच्चे को एक इज़रायली सैन्य अधिकारी घसीट कर ले जा रहा है. दाईं ओर की तस्वीर 2021 की है और ये एक सैन्य परेड के दौरान क्लिक की गई थी.
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