बीते दिनों, दिल्ली चुनाव की गर्मी के बीच, एक ख़त वायरल हुआ. इस कथित ख़त को लिखने वाले थे मनोज तिवारी और उसपर पता लिखा हुआ था भारतीय जनता पार्टी के नए नवेले राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का. सोशल मीडिया पर बताया गया कि भाजपा के इंटर्नल मामलों से जुड़ा ये ख़त लीक हुआ है और इससे मालूम चल रहा है कि दिल्ली चुनावों में भाजपा की हार को कोई भी नहीं टाल सकता है और ख़ुद भाजपा को भी ये बात मालूम है. इसके बाद भाजपा के ख़िलाफ़ खड़े हुए खेमे ने इसे हर जगह फैलाना शुरू कर दिया.

ऑल्ट न्यूज़ का फ़ैक्ट चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने इस तस्वीरनुमा ख़त की पड़ताल की तो मालूम पड़ा कि ये झूठा है. असल में इस तस्वीर को फ़ोटोशॉप के ज़रिये बनाया गया है. इस ख़त के फ़ेक होने की वजह हम आपको एक-एक कर के बताते हैं.

1. सबसे पहले हमने रेफ़रेंस के लिए दिल्ली भाजपा के मनोज तिवारी का एक और ख़त देखा. ये ख़त उन्होंने 26 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था. मनोज तिवारी इस ख़त में नरेंद्र मोदी से गुरु गोविन्द सिंह के छोटे साहिबजादों की शहादत के दिन को बाल दिवस के रूप में मनाने की गुज़ारिश कर रहे थे.

मनोज तिवारी का वो ख़त जो उन्होंने सचमुच नरेंद्र मोदी को लिखा था.

मनोज तिवारी के ‘बाल दिवस’ वाले ख़त के सबसे नीचे देखा जाए तो दिखाई पड़ेगा कि वहां उस जगह का पता छपा हुआ है जहां भाजपा का दिल्ली प्रदेश का दफ़्तर है. ये नयी दिल्ली में पंडित पन्त मार्ग का अड्रेस है.

मनोज तिवारी के इस नए वायरल हो रहे ख़त के नीचे जब छपे हुए अड्रेस को देखा गया तो उसमें भारतीय जनता पार्टी के सेन्ट्रल ऑफ़िस का अड्रेस था जो कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर है.

अगर ख़त मनोज तिवारी लिख रहे हैं और दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से लिख रहे हैं तो वाजिब सी बात है कि वो अपने दफ़्तर के अड्रेस से ख़त को भेजेंगे. मनोज तिवारी जिस दफ़्तर के मुखिया हैं वो है भाजपा का दिल्ली प्रदेश दफ़्तर. यानी असली अड्रेस होना चाहिए था पंडित पन्त मार्ग का अड्रेस. दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष किसी भी हैसियत से ख़त लिखते हुए नीचे भाजपा के केन्द्रीय दफ़्तर का अड्रेस नहीं दे सकता.

2. अगली बात भाजपा के दिल्ली प्रदेश के लेटरहेड की. मनोज तिवारी के ‘बाल दिवस’ वाले ख़त के हेडर और वायरल हो रहे ख़त के हेडर में काफ़ी अंतर है. असली ख़त को जिस कागज़ पर लिखा गया था उसके लेटरहेड पर भाजपा का चुनाव चिन्ह – कमल का फूल छपा हुआ था. साथ ही पूरी चौड़ाई भर में नारंगी और हरे रंग की पट्टी छपी थीं जिसपर हिंदी और अंग्रेजी में भारतीय जनता पार्टी, दिल्ली प्रदेश लिखा हुआ था.

जो ख़त फ़िलहाल वायरल हो रहा था उसमें ऐसा नहीं दिखाई पड़ रहा है. उस ख़त में नारंगी और हरी पट्टी पूरी चौड़ाई में नहीं छपी है और ‘कागज़’ के ऊपरी बायें हिस्से में भाजपा का चुनाव चिन्ह रंगीन स्याही से छपा हुआ है.

‘बाल दिवस’ वाला ख़त वायरल हो रहे ख़त से महज़ सवा महीने पुराना है. इसलिए लेटरहेड लेटेस्ट है और चुनावों के बीच उसके बदले जाने के चांसेज कम ही मालूम पड़ते हैं. इसके साथ ही भाजपा के ऑफ़िशियल अकाउंट से जुलाई में ट्वीट हुए ख़त में भी यही हेडर दिखाई पड़ता है.

3. वायरल हो रहे ख़त को आप देखेंगे तो वो कहीं से भी काग़ज़ का टुकड़ा नहीं दिखाई देता है. साफ़ मालूम पड़ता है कि फ़ोटोशॉप पर इसे बनाया गया है और ख़त जैसा कुछ दिखाने की कोशिश की है.

‘बाल दिवस’ वाले ख़त की जो तस्वीर दिखाई पड़ती है, उसमें साफ़ मालूम चलता है कि किसी ने अपने कैमरे से उस काग़ज़ की तस्वीर ली है. लेकिन इस वायरल हो रहे ख़त को देखेंगे तो दिखाई पड़ेगा कि ये कहीं से भी काग़ज़ नहीं है. और अगर काग़ज़ नहीं है तो मनोज तिवारी के दस्तख़त कैसे आये? अब तक किसी भी ऑफ़िशियल लेटर में किसी भी नेता के डिजिटल सिग्नेचर नहीं दिखाई दिए हैं.

किसी सफ़ेद बैकग्राउंड पर रखकर काग़ज़ की तस्वीर ली भी गई होगी तो उसे क्रॉप करते हुए बॉर्डर इतने करीने से कटें, ये लगभग असंभव है. लेकिन इसी लगभग असंभव को जब बाकी सभी फ़ैक्टर्स के साथ जोड़ेंगे तो मालूम पड़ जाएगा कि सोशल मीडिया पर चल रहे इस ख़त में कोई भी सच्चाई नहीं है.

एक और ट्वीट जिसमें मनोज तिवारी के झूठे ख़त को दिखाया गया है. ऐसे कई यूज़र्स इस फ़ेक न्यूज़ को फैला रहे हैं.

कुल मिलाकर, ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में ये मालूम चला है कि दिल्ली चुनाव में भाजपा की हार की आशंका लिए मनोज तिवारी का लिखा हुआ ख़त झूठा है और असल में ऐसा कुछ भी पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को नहीं भेजा गया.

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Ketan is Senior Editor at Alt News Hindi.