“नाबालिग बलात्कारी भी इंसान है, क्या उनके मानवाधिकार नहीं है, ये हिंदूवादी सरकार इस अध्यादेश से नाबालिग बलात्कारियों को फांसी देने के बहाने ज्यादा से ज्यादा संख्या में मुस्लिमों को फांसी पे लटकाना चाहती है, मुस्लिम अब भारत में सुरक्षित नहीं है।” (अनुवाद) यह बयान राना अय्यूब का बताया गया है। इसे एक ट्विटर हैंडल @repubIicTv ने ट्वीट किया था। बाद में इस ट्वीट को डिलीट कर दिया गया और अब इस अकाउंट को भी डिलीट कर दिया गया है।

इस कथित बयान को फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने 10 जून, 2019 को ट्वीट किया था, फिलहाल उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर लिया है।

2018 से वायरल

यह कथित बयान सोशल मीडिया पर साल 2018 से चल रहा है। फेसबुक यूज़र्स द्वारा इस कथित बयान को हजारों बार शेयर किया गया। एक फेसबुक पेज ‘योगी आदित्यनाथ की सेना’ जिसके 425,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं और दक्षिणपंथियों के बीच काफी चर्चित इस पेज ने इसका हिंदी अनुवाद करके 22 अप्रैल को पोस्ट किया उसके बाद से इसे हजारों बार शेयर किया गया था। बाद में इस इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया।

rana-fake-quote

अब अलग-अलग व्हात्सप्प ग्रुप में इसी पेज का स्क्रीनशॉट लेकर इसे शेयर किया जा रहा है।

whatsapp-screenshot-of-rana-fake-quote

ट्विटर पर इस नकली बयान के कारण राना अय्यूब पर कुछ दक्षिणपंथियों ने निशाना साधा।

दरअसल यह ट्वीट रिपब्लिक टीवी के पैरोडी अकाउंट से किया गया था, जिसका मूल ट्विटर हैंडल @Republic है जिसपे नीले टिक का निशान लगा है। नीले टिक के निशान होना मतलब वह सत्यापित अकाउंट है। इस बयान को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर आयोजित ढंग से फैलाया गया और व्यापक रूप से प्रसारित किया गया। एक फेसबुक पोस्ट में राना अय्यूब ने स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है और यह समाचार चैनल के एक पैरोडी खाते से किया गया था।

The enormity of the fake news problem in India. This tweet has gone viral on whats app/ facebook/ twitter. My phone is…

Posted by Rana Ayyub on Sunday, 22 April 2018

हालांकि अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि इस तरह के पैरोडी खातों से केवल मजाक के तौर पर बयान पोस्ट किए जाते हैं और ऐसे पोस्ट को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए, लेकिन सोशल मीडिया का एक बड़ा तबका ऐसे बयानों को सत्य मानता है और अंत में कोई सच्चाई ना होते हुए भी यह विवाद का एक विषय बन जाता है। सोशल मीडिया यूजर्स से सलाह है कि वो ऐसे पैरोडी हैंडल के फेर में ना पड़े और वास्तविक और फेक अकाउंट के बीच फर्क देख कर ही कुछ शेयर करें।

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.