25 अक्टूबर के आस-पास कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने दावा किया कि केरल की एक महिला तुषारा अजित के होटल में हलाल भोजन का पालन न करने की वज़ह से कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने उन पर हमला किया. बीजेपी केरल के अध्यक्ष ‘के सुरेंद्रन’ ने ट्विटर पर यही दावा किया. उन्होंने लिखा, “कक्कानाड में जो हुआ वो तालिबानवाद से कम नहीं है. मैं केरल के लोगों से #HalalInvasion को ख़ारिज करने का आग्रह करता हूं.”

ये दावा पोस्ट करने वाले अन्य भाजपा सदस्यों में राजनेता संदीप वाचस्पति, अनूप जे और सीटी रवि शामिल हैं. ‘हिंदू कार्यकर्ता’ राहुल ईश्वर ने भी ये दावा किया था. लेकिन बाद में उन्होंने ट्वीट हटा दिया था और माफ़ी मांगी.

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कई मीडिया आउटलेट्स ने ये दावा शेयर किया जिसमें मलयालम न्यूज़ आउटलेट कुरुक्षेत्र, भारथलाइव और मारुनादनTV शामिल हैं. मेनस्ट्रीम मीडिया आउटलेट्स जैसे द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, इंडिया टाइम्स, न्यूज़ट्रैक लाइव और ज़ी न्यूज़ ने भी ऐसी ख़बर दी. ऑपइंडिया, आरएसएस का मुखपत्र ऑर्गनाइज़र, क्रिएटली और द हिंदू पोस्ट जैसे भाजपा समर्थक प्रोपोगेंडा आउटलेट्स ने भी ये दावा शेयर किया.

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इस विषय पर कॉलमनिस्ट शेफ़ाली वैद्य, भाजपा समर्थक अरुण पुदुर और फ़ेसबुक यूज़र्स (पहला लिंक ,दूसरा लिंक) के पोस्ट्स को काफ़ी लोगों ने लाइक, कमेंट और शेयर किया.

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फ़ैक्ट-चेक

विवाद क्या था?

सबसे पहले तो गौर करें कि हलाल भोजन वो होता है जिसे तैयार करने में कुरान में दिए गए इस्लामी कानून का पालन किया जाय. इस कानून में आमतौर पर जानवरों को काटने का तरीका बताया गया है. इसके बारे में ज़्यादा जानकारी आप हलाल फ़ूड अथॉरिटी की वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं. ये एक गैर-लाभकारी संगठन है जो हलाल सिद्धांतों के पालन की निगरानी करता है. 2014 में बीबीसी ने इसपर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी.

जनवरी में केरल कौमुदी (केके) ने रिपोर्ट किया था कि तुषारा अजित कल्लायिल ने केरल में पहला ‘नॉन-हलाल’ रेस्टोरेंट शुरू किया था. जिसे ‘नंदू की रसोई’ के नाम से जाना जाता है. ये एर्नाकुलम में मेडिकल सेंटर के पास वेन्नाला में स्थित है. तुषारा अजित ने केरल कौमुदी को बताया, “बोर्ड इसलिए लगाया गया क्योंकि कुछ लोग खाने से परहेज करते थे. और ये खाना हलाल नहीं है जिससे उन्हें परेशानी होती थी.”

द न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि 24 अक्टूबर की शाम को दो दुकान मालिकों के बीच हाथापाई हुई. एक पक्ष में तुषारा, उसका पति अजित और कुछ अन्य लोग शामिल थे. दूसरे पक्ष में नकुल, दुकान मालिकों में से एक और बिनोज जॉर्ज शामिल थे.

तुषारा (FIR 1290/21) और बिनोज जॉर्ज (FIR 1289/21) दोनों ने 24 अक्टूबर को पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराई. केरल के पत्रकार ज़यान आसिफ़ ने ऑल्ट न्यूज़ के लिए FIR का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया.

बिनोज जॉर्ज के मुताबिक, नकुल अपने कैफ़े (डाइन रेस्ट्रो कैफ़े) के बाहर एक चाट स्टॉल चलाता था. उन्हें बताया गया कि तुषारा और उनके पति ने कथित तौर पर उस स्टॉल को हटा दिया. इसके चलते तुषारा से पूछने पर हाथापाई हो गई. उसे कथित तौर पर तुषारा और एक अन्य व्यक्ति ने थप्पड़ मारा. उस व्यक्ति ने जानबूझ कर नकुल का हाथ भी काट दिया और चाकू से उसके पैर पर हमला किया. ये FIR सनराइज अस्पताल में दर्ज की गई जहां दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. IPC धाराएँ 323 [ जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दंड], 324 [खतरनाक हथियारों या साधनों से स्वेच्छा से चोट पहुंचाना], 326 [जानबूझकर किसी व्यक्ति को खतरनाक हथियारों या साधनों से गंभीर चोट पहुंचाना] और 34 [सभी लोगों के सामान्य इरादे से एक आपराधिक काम करने पर दंड ] लगाई गई.

दूसरी ओर तुषारा ने बयान दिया कि नकुल और एक अनजान व्यक्ति (जॉर्ज) कथित तौर पर उनके रेस्टोरेंट (नंदू की रसोई) में आए और कहा-सुनी शुरू कर दी. तुषारा ने दावा किया कि उन्होंने उसके सिर पर मारा. और जब उसने पुलिस को रिपोर्ट करने की धमकी दी तो नकुल ने कथित तौर पर उसकी साड़ी और ब्लाउज़ पकड़ कर आंशिक रूप से उसके कपड़े उतार दिया. कुछ देर बाद अनजान व्यक्ति ने कथित तौर पर उसके पेट पर वार किया और तभी उसका स्टाफ़ सदस्य रसोई से चाकू ले आया और नकुल पर हमला किया. बयान के अनुसार, उसने नकुल और जॉर्ज को अस्पताल ले जाने की पेशकश की. IPC धाराएं 354 [औरत की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग], 323 [जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुँचाने के लिए दंड]; 294 (B) [किसी लोक स्थान में कोई अश्लील काम करने, कोई अश्लील गाने, या शब्द बोलने के लिए दंड], और 34 [सभी लोगों के सामान्य इरादे से आपराधिक काम करने पर दंड] लगाई गई है. गौरतलब है कि तुषारा ने बयान में ये ज़िक्र नहीं किया है कि उन पर “जिहादियों” ने हमला किया गया था, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर ये दावा किया था (बाद में आर्टिकल में चर्चा की गई है).

कोच्चि शहर के पुलिस आयुक्त नागराजू चकिलम ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “24 अक्टूबर की घटना ‘नो-हलाल’ बोर्ड से संबंधित नहीं है. इस मामले हुई हिंसा सांप्रदायिक नहीं थी. ये मामला इन लोगों के बीच का आपसी विवाद था. फिलहाल तुषारा और अजित पुलिस से छिप रहे हैं. इस मामले में जांच चल रही है और उन्हें जल्द ही ग़िरफ्तार कर लिया जाएगा.”

28 अक्टूबर को इन्फ़ोपार्क पुलिस ने अपनी जांच के आधार पर एक मलयालम रिपोर्ट शेयर की (PDF देखें). पुलिस ने रिपोर्ट में लिखा कि तुषारा, उसका पति और साथियों ने सुनियोजित हमला किया था. तुषारा के पति अजित चेरनल्लूर थाने में इम्तियाज़ हत्याकांड समेत कई मामलों में आरोपी हैं. ऑल्ट न्यूज़ को 2017 की TOI की रिपोर्ट मिली जिसमें एक रियल एस्टेट बिज़नसमैन इम्तियाज़ खान की हत्या के सात आरोपियों में एक अजित है.

कोच्चि शहर के पुलिस आयुक्त नागराजू चकिलम ने एक सीसीटीवी फ़ुटेज शेयर किया जिसमें तुषारा और उसके सहयोगी दिख रहे हैं. इसमें 58 सेकेंड पर उनमें से एक सीसीटीवी तोड़ते हुए दिख रहा है.

मामले को सांप्रदायिक ऐंगल कैसे दिया गया?

25 अक्टूबर को तुषारा ने 9 फ़ेसबुक लाइव्स किये (8 मिनट 41 सेकेंड, 8 मिनट 53 सेकेंड, 9 मिनट 13 सेकेंड, 9 मिनट 54 सेकेंड, 9 मिनट 58 सेकेंड, 10 मिनट 38 सेकेंड, 10 मिनट 46 सेकेंड, 14 मिनट 51सेकेंड, 14 मिनट 52 सेकेंड). इन वीडियोज़ में तरह-तरह के दावे किए गए थे.

कोच्चि शहर के पुलिस आयुक्त नागराजू चकिलम ने TNM को बताया कि सोशल मीडिया पर तुषारा और बाकियों ने मामले पर जो सांप्रदायिक ऐंगल बताया वैसा कुछ नहीं है. उन्होंने बताया, “मूल ​​रूप से, ठेके, उप-ठेके, आदि पर अलग-अलग पक्षों में विवाद हुआ है. हाथापाई, फ़र्नीचर की कथित चोरी आदि, कमर्शियल स्पेस पर हक़ जताने जैसा है. पुलिस थाने में की गई सभी शिकायतें और सोशल मीडिया पर पोस्ट का कोई भी दूसरा वर्ज़न संकेत है कि ये सिर्फ एक विशेष पार्टी या उसके ख़िलाफ पुलिस कार्रवाई का दबाव बनाने के लिए किया गया है.”

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ऑल्ट न्यूज़ ने अच्छी तरह से मलयालम जानने वाले एक व्यक्ति से बात की जिन्होंने बताया कि पहले फ़ेसबुक लाइव में 1 मिनट के आसपास, तुषारा ने दावा किया कि “जिहादियों” ने “सांप्रदायिक या कॉमी हिंदुओं” के साथ उन पर हमला करने की कोशिश की.

कुल मिलाकर, कोचीन के इन्फ़ोपार्क इलाके में रेस्तरां मालिक तुषारा अजित, नकुल, बिनोज जॉर्ज अन्य लोगों के बीच हुई हाथापाई को सोशल मीडिया पर तुषारा ने भ्रामक दावों के साथ एक सांप्रदायिक घटना के रूप में बताया. केरल के कई मीडिया आउटलेट्स और केरल बीजेपी अध्यक्ष ‘के सुरेंद्रन’ सहित बीजेपी सदस्यों ने इस दावे को बढ़ावा दिया. वायरल दावों में मुसलमानों के ख़िलाफ एक कहानी बनाने की कोशिश की गई जो असलियत से बिलकुल अलग थी.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.