सांप्रदायिक दंगों के दौरान पुलिस की कथित मिलीभगत पर बीबीसी की एक वीडियो रिपोर्ट इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि ये त्रिपुरा हिंसा की है. त्रिपुरा में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा में कम-से-कम सात लोगों की मौत हो गई. कई मुस्लिम संपत्तियों और दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई. ये हिंसा बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की वज़ह से हुई थी.
👆त्रिपुरा दंगे पर दलाल मीडिया ने कुछ नहीं बताया मगर बीबीसी न्यूज़ ने सारी पोल खोल कर रख दी
#BBC news# 👆👆Posted by Gulaame Khawaja on Monday, 1 November 2021
बीबीसी की रिपोर्ट इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर वायरल है कि ये त्रिपुरा में हुई हिंसा की है. ऑल्ट न्यूज़ को वीडियो की सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट मिली.
ये ट्विटर पर भी शेयर किया जा रहा है.
त्रिपुरा दंगे पर #गोदी_दलाल_मीडिया ने कुछ नहीं बताया मगर बीबीसी न्यूज़ ने सारी पोल खोल कर रख दी इण्डिया की बिकाओ मीडिया #जूता चाटने के क़ाबिल बची है @ndtvindia @BBCWorld #KisanMajdoorEktaZindabaad #किसान_काली_दिवाली_मनाएंगे #BBC_news #aajtak #भाजपा_ख़त्म #छी_न्यूज़ #कोहेनूर_गोबर pic.twitter.com/7IOKmPK02I
— #ये_अन्धा_क़ानून_है_पर_आप_नहीं (@MhoSirajHatim) November 1, 2021
फ़ैक्ट-चेक
ये वीडियो त्रिपुरा में हुई हिंसा के दौरान पुलिस की मिलीभगत का नहीं बल्कि मार्च 2020 में दिल्ली में हुए दंगे का है. नीचे बीबीसी की रिपोर्ट है. विडियो का जो हिस्सा वायरल हो रहा है उसे 32 सेकंड के बाद देखा जा सकता है.
The BBC has found Delhi police acted along Hindu rioters during a wave of attack on Muslims last week. Police in the capital are coming under increasing pressure as allegations of complicity in the clashes emerge. An investigation by @yogital, @shaluyadavbbc & @NickWoolley1234 pic.twitter.com/i6oSmpkP1r
— BBC News India (@BBCIndia) March 3, 2020
बीबीसी की रिपोर्ट में चश्मदीद गवाहों के हवाले से बताया गया है कि दिल्ली पुलिस ने “मुसलमानों पर हमले के दौरान हिंदू दंगाइयों के साथ दिया था.” चैनल ने इन गवाहों के हवाले से दावा किया कि पुलिस ने दंगाइयों को पत्थर दिलाया. साथ ही पुलिस दुकानों में आग लगाने वाले दंगाइयों के साथ थी.
इस तरह, वीडियो त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा का नहीं है. ऑल्ट न्यूज़ ने इससे पहले इसी दावे के साथ शेयर किए गए एक और विडियो को ख़ारिज किया था. ये वीडियो असल में बिहार में रामनवमी हिंसा के दौरान निकाले गए एक जुलूस का था जिसमें पुलिस भी शामिल थी. 2018 के इस वीडियो को भी त्रिपुरा में हुई हिंसा का बताकर शेयर किया जा रहा था.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.