9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने देश के एक बड़े विवाद राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर फ़ैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित ज़मीन राम मंदिर बनाने के लिए सौंपी जबकि मस्जिद के लिए सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन दी गई. 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कर मंदिर की आधारशिला रखी. इसी बीच सोशल मीडिया में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को लेकर दावा किया गया कि मस्जिद बनाने के लिए मिली 5 एकड़ की ज़मीन पर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ‘बाबरी हॉस्पिटल’ बनाएगा. दावे के अनुसार, ये अस्पताल AIIMS के जैसे ही मुफ़्त सुविधाएं देगा. इस दावे के साथ एक भव्य बिल्डिंग, जिसपर ‘बाबरी हॉस्पिटल’ की होर्डिंग दिख रही है और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील ज़फरयाब जिलानी की तस्वीर के साथ शेयर हो रहा है.

ट्विटर हैंडल ‘@Ruzena__Malik’ ने 7 अगस्त 2020 को ये दावा पोस्ट किया है. इस ट्वीट को डिलीट किये जाने से पहले 2,700 बार लाइक और 800 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया था. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

फ़ेसबुक पेज ‘वी सपोर्ट रविश कुमार’ ने 7 अगस्त को ये दावा पोस्ट किया है. इस पोस्ट को आर्टिकल लिखे जाने तक 1,200 बार शेयर किया गया है.

#मास्टरस्ट्रोक
सुप्रीम कोर्ट ने जो पांच एकड़ जमीन दी थी, सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने लिया फैसला उस पर बनेगा बाबरी हास्पिटल जो…

Posted by We Support Ravish Kumar on Friday, 7 August 2020

एक और ट्विटर यूज़र ने ये दावा किया है.

बाबरी हॉस्पिटल होर्डिंग वाली ईमारत और ज़फरयाब जिलानी की तस्वीर एक कॉमन मेसेज के साथ फ़ेसबुक और ट्विटर पर शेयर हो रही है. – “#मास्टरस्ट्रोक सुप्रीम कोर्ट ने जो पांच एकड़ जमीन दी थी, सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने लिया फैसला उस पर बनेगा #बाबरी_हास्पिटल जो #AIIMS के बराबर #मुफ्त सुविधा देगा..जाने माने डाक्टर #KafilKhan को इस अस्पताल का प्रशासक बनाया जा सकता है, इस अस्पताल में एक पूरा फ्लोर #बच्चों के लिए #आरक्षित होगा, जिसमें चमकी बुखार(Viral Megningits) सहित कई बिमारियों का ईलाज होगा”

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सोशल मीडिया के दावे:

1. सुप्रीम कोर्ट से मिली 5 एकड़ ज़मीन पर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड अस्पताल बनाएगा
2. इस अस्पताल का नाम ‘बाबरी हॉस्पिटल’ होगा
3. ‘बाबरी हॉस्पिटल’ की बताकर एक तस्वीर शेयर की गई

फ़ैक्ट-चेक

गूगल सर्च करने पर 8 अगस्त 2020 की लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट के मुताबिक, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड 1400 गज की ज़मीन पर मस्जिद बनाएगा जबकि बाकी की ज़मीन पर एक बड़ा अस्पताल और इंडो-इस्लामिक रिसर्च सेंटर बनाया जायेगा. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने इसके लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नामक एक ट्रस्ट भी बनाया है. आर्टिकल में ट्रस्ट के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन के हवाले से बताया गया है कि ट्रस्ट मस्जिद के अलावा, अस्पताल और रिसर्च सेंटर बनाएगा. 5 अगस्त 2020 की NDTV की रिपोर्ट में भी यही बताया गया है.

आगे, ऑल्ट न्यूज़ ने अतहर हुसैन से बात की. उन्होंने हमें बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिली 5 एकड़ की ज़मीन पर मस्जिद के अलावा अस्पताल, कम्युनिटी किचन, लाइब्रेरी, इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा. ये रिसर्च सेंटर भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब दिखाएगा और प्रमोट करेगा. ट्रस्ट द्वारा बनाए जाने वाले अस्पताल के नाम के बारे में अभी तक कुछ तय नहीं किया गया है. उन्होंने आगे ‘बाबरी हॉस्पिटल’ को लेकर किये गए दावों के बारे में बताया, “AIIMS जैसा बड़ा हॉस्पिटल बनाने और डॉ. कफ़ील खान को उस अस्पताल का प्रशासक बनाए जाने के दावे ग़लत हैं. मैं इन दोनों दावों को खारिज करता हूं. हमने इस वायरल दावे को लेकर लखनऊ कमिशनर को भी सूचित किया है.”

पत्रकार महताब ने बाबरी हॉस्पिटल बनाने के दावे को फ़र्ज़ी बताते हुए उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की प्रेस रिलीज़ शेयर की है. 7 अगस्त 2020 की इस प्रेस रिलीज़ में बाबरी हॉस्पिटल बनाए जाने और डॉ. कफ़ील खान को हॉस्पिटल का डायरेक्टर बनाने के दावे को ग़लत बताया है.

8 अगस्त की टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में लखनऊ के कमिश्नर सुजीत पांडे के हवाले से बताया गया है, “हुसैन की ओर से हमें इस मामले पर शिकायत मिली है. हम इस मामले की जांच कर रहे हैं.”

तो इस तरह सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को दी गई 5 एकड़ ज़मीन पर सिर्फ़ अस्पताल बनाने और उसका नाम ‘बाबरी हॉस्पिटल’ रखने का दावा ग़लत है. क्योंकि इस ज़मीन पर मस्जिद, अस्पताल, कम्युनिटी किचन, रिसर्च सेंटर वगैरह भी बनाया जाएगा. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड द्वारा बनाए जाने वाले अस्पताल का नाम ‘बाबरी हॉस्पिटल’ होगा, ये दावा भी ग़लत है क्योंकि ट्रस्ट ने अभी तक अस्पताल के नाम या ढांचे को लेकर कोई फ़ैसला नहीं लिया है.

‘बाबरी हॉस्पिटल की तस्वीर’ का सच

सोशल मीडिया में ‘बाबरी हॉस्पिटल’ की बताकर एक तस्वीर शेयर हो रही है.

रिवर्स इमेज सर्च से मालूम हुआ कि ये तस्वीर यूनिवर्सिटी ऑफ़ वर्जीनिया मेडिकल सेंटर की है. ये यूनिवर्सिटी अमेरिका के वर्जीनिया स्टेट के शार्लेट्सविल शहर में स्थित है. यूवीए हॉस्पिटल (UVA HOSPITAL) की ऑफ़िशियल वेबसाइट पर भी ये तस्वीर शेयर की हुई है.

इसके अलावा, आपको बता दें कि वायरल मेसेज में डॉ. कफ़ील की स्पेलिंग को Kafeel के बजाय Kafil लिखा हुआ है. डॉ. कफ़ील खान गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के एन्सेफ़लाइटिस वॉर्ड के पूर्व हेड थे. 2017 में BRD मेडिकल कॉलेज में 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत के मामले में डॉ. खान को गिरफ़्तार किया गया था. 2019 की टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. खान के खिलाफ़ लगे सभी आरोपों से उन्हें दोषमुक्त किया गया था. इसके अलावा, इस साल 13 फरवरी को नागरिकता संशोधन के खिलाफ़ चल रहे प्रदर्शन के दौरान डॉ. खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भाषण दिया था. इसके बाद उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा और उन्हें गिरफ़्तार किया गया था. डॉ. खान अभी भी जेल में हैं. स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने 14 जुलाई 2020 को ट्वीट कर बताया कि डॉ. कफ़ील के भाषण के वक़्त वो उनके साथ ही थे. योगेंद्र यादव ने कहा कि डॉ. कफ़ील के भाषण में एक भी ऐसी लाइन नहीं थी जो देश, संविधान या धर्म के खिलाफ थी.

इस तरह सोशल मीडिया में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वर्जीनिया की तस्वीर, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड द्वारा बनाए जाने वाले अस्पताल की बताकर शेयर की गई. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मिली 5 एकड़ ज़मीन पर सिर्फ़ अस्पताल बनाने का दावा ग़लत है क्योंकि इस ज़मीन पर अस्पताल के अलावा मस्जिद, लाइब्रेरी, रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा.

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About the Author

Kinjal Parmar holds a Bachelor of Science in Microbiology. However, her keen interest in journalism, drove her to pursue journalism from the Indian Institute of Mass Communication. At Alt News since 2019, she focuses on authentication of information which includes visual verification, media misreports, examining mis/disinformation across social media. She is the lead video producer at Alt News and manages social media accounts for the organization.