काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा नदी के घाटों के बीच तीर्थयात्रियों को सीधी पहुंच प्रदान करना है. इसके लिए सैकड़ों मकान ध्वस्त किए जा रहे हैं, खबरों के अनुसार जिसके लिए सरकार मुआवज़ा प्रदान कर रही है.
इस सफाई में कम से कम 40 प्राचीन मंदिरों के निकलने की पृष्ठभूमि में, विभिन्न सोशल मीडिया चैनलों पर एक वीडियो, इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि वीडियो में कॉरिडोर के निर्माण के लिए 80 मुस्लिम घरों को तोड़ा गया है. “45 पुराने मंदिर इन घरों के अंदर खोजे गए” ये मेसेज इस वीडियो के साथ दिया गया है.
कई तमिल यूज़र्स ने ये वीडियो शेयर किया है.
பிரேக்கிங் நியூஸ் காஷி விஸ்வநாத் கோயிலில் இருந்து கங்கை நதி வரை சாலையின் அகலத்தை அதிகரிக்கும் பொருட்டு, சாலையில் வரும் 80 முஸ்லிம்களின் வீடுகளை மோடி வாங்கத் தொடங்கினார். இந்த வீடுகள் இடிக்கப்பட்டபோது, அதில் 45 பழைய கோயில்கள் காணப்பட்டன. அவுரங்கசீப் அசல் காஷி விஸ்வநாத் கோயிலை கியான்வாபி மசூதியாக மாற்றியபோது, அவர் தனது வீரர்களில் சிலருக்கு மசூதியைச் சுற்றி வாழ ஒரு இடத்தைக் கொடுத்து, அருகிலுள்ள சிறிய கோயில்களை ஆக்கிரமித்து இந்த கோவில்களில் தங்கள் வீடுகளைக் கட்டினார். இப்போதே பிரதமர் மோடி இந்த முகலாய இராணுவத்தின் அனைத்து ஆக்கிரமிப்பாளர்களின் வீடுகளையும் அகற்றிவிட்டு உலகிற்கு என்ன கிடைத்துள்ளது என்று பாருங்கள் ……. பண்டைய கோயில்களின் 45 பொக்கிஷங்கள்…. வீடியோவைப் பாருங்கள்.*
Posted by Guruji Bairava Baba on Tuesday, 16 February 2021
यही वीडियो जनवरी में भी ऐसे ही दावे के साथ शेयर किया जा रहा था.
काशी विश्वनाथ मंदिर से गंगा नदी तक सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के लिए मोदी जी ने सड़क में आने वाले 80 मुसलमानों के घरों को खरीदना शुरू कर दिया।जब इन मकानों को ध्वस्त किया गया, तो इसमें 45 पुराने मंदिर पाए गए।असल में जब औरंगजेब ने मूल काशी विश्वनाथ मंदिर को ज्ञानवापी मस्जिद में बदल pic.twitter.com/W4WejnsYFh
— Anu Dhar राष्ट्रवादी 🇮🇳 (@DharA15167619) January 13, 2021
इससे मिलता-जुलता दावा व्हाट्सऐप पर भी इस वीडियो को शेयर करते हुए किया जा रहा है.
2019 से वायरल
ये वीडियो फ़ेसबुक पर वायरल है.
यह क्लिप व्हाट्सएप पर भी शेयर की गई है.
“मुस्लिमों का एक भी घर नहीं गिराया गया”
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना, काशी विश्वनाथ स्पेशल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड की देखरेख में है. बोर्ड की संबंधित वेबसाइट में गिराने के उद्देश्य से खरीदी गई संपत्तियों की सूची है. इसमें जिन लोगों के नाम शामिल हैं वो नाम से हिंदू जान पड़ते हैं.
इसके पहले पेज पर सूचीबद्ध संपत्ति को काशी बोर्ड द्वारा खरीदा गया.
इस सूची में 165 नाम हैं. हालांकि, काशी विश्वनाथ स्पेशल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड के सीईओ विशाल सिंह ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि अब तक इस परियोजना के लिए 250 घर ध्वस्त किए जा चुके हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या कोई भी उजड़े हुए घर मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के हैं, सिंह ने कहा, “ध्वस्त किया गया एक भी घर मुसलमानों का नहीं था, क्योंकि यह मुख्य रूप से हिंदू क्षेत्र है.”
बोर्ड की वेबसाइट पर एक और सूची है — सभी दुकानदारों की सूची, जिन्हें मुआवज़ा दिया गया है.
इसके पहले पेज पर सूचीबद्ध दुकानदारों को काशी बोर्ड ने मुआवज़ा दिया.
सिंह ने बताया, “परियोजना के हिस्से के रूप में, दो अलग-अलग क्षतिपूर्तियां प्रदान की गई हैं. पहला, विध्वंस के लिए खरीदे गए मकानों/दुकानों के मालिकों के लिए, और दूसरा, उन दुकानदारों के लिए, जो अपनी दुकानों के मालिक नहीं थे, लेकिन सालों से दुकानों पर काम कर रहे हैं. मुआवज़े का यह दूसरे रूप का भुगतान, विध्वंस के लिए नहीं, बल्कि आजीविका के नुकसान के लिए है.”
इस सूची में जिन 89 दुकानदारों का उल्लेख मिला, उनमें, यासमीन बानो नाम की एक मुस्लिम महिला थी. सिंह ने कहा, “कई मुस्लिम दुकानदार जो दुकानों पर लंबे समय से काम कर रहे थे, उन्हें मुआवज़ा दिया गया है.” हालांकि, वे दुकानों के मालिक नहीं, बल्कि किराएदार थे.
ज़मीनी हकीकत
मार्च 2018 में घोषित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना, तीर्थयात्रियों को केवल मंदिर से घाटों तक स्वच्छ और रुकावट रहित सड़क उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई पहल नहीं है; बल्कि, यह एक आमूलचूल परिवर्तन की परियोजना है जो इस प्राचीन शहर को फिर से तैयार करने का इरादा रखती है. 50 फीट चौड़े गलियारे के रास्ते पर घरों और दुकानों को साफ करने के साथ शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत अन्य विकास पहलों के साथ, गंगा के घाटों का उन्नयन, तीर्थयात्रियों के लिए प्रतीक्षालयों, संग्रहालयों और सभागारों, पुजारियों और तीर्थयात्रियों के लिए आवास, और एक भोजन गली विकसित करने की योजना है.
BBC के समीरात्मज मिश्र की एक स्थल रिपोर्ट में बताया गया कि इस परियोजना से बड़ी संख्या में यहां के निवासी नाखुश हैं. मुआवज़े के बावजूद अपने घरों से जाने को लेकर संशयग्रस्त कई स्थानीय लोग पिछले तीन महीनों से विरोध कर रहे हैं. उनके कई घरों पर पोस्टर चिपके हैं जिनपर लिखा है – ‘हमारे मकान बिकाऊ नहीं हैं’, ‘हम अपनी धरोहर को नष्ट नहीं होने देंगे.’
मिश्र ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि सोशल मीडिया में चलने वाले वीडियो में तोड़फोड़ वाली जगह को दर्शाया गया है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, कि जिन मकानों को तोड़ा गया, वे मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के नहीं थे.
हमने एक स्थानीय निवासी, अनुराग तिवारी से बात की. तिवारी ने कहा, “विध्वंस स्थलों में मुस्लिम बस्तियां नहीं थीं, बल्कि हिंदुओं के घर और दुकानें थीं. इनमें से अधिकांश घर मंदिरों के चारों तरफ बने थे, कुछ बड़े और कुछ छोटे. सरकार ने अधिग्रहित संपत्तियों और दावों के लिए मुआवज़ा दिया है, और मुस्लिम घरों को ध्वस्त किए जाने का सुझाव, सांप्रदायिक रूप से प्रेरित लगता है.”
सोशल मीडिया में प्रसारित दावे के समर्थन में कोई तथ्य नहीं है. कॉरिडोर के निर्माण के लिए साफ किए जा रहे इलाके हिंदू बहुल हैं और आज तक ध्वस्त किए गए घरों में से कोई भी मुस्लिम समुदाय के सदस्यों का नहीं है. जैसा कि तीन स्वतंत्र स्रोतों द्वारा पुष्टि की गई, सफाई/तोड़फोड़ में सामने आए मंदिर, हिंदू घरों की खुदाई/तोड़फोड़ में मिले, मुस्लिम घरों से नहीं.
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