ट्विटर हैंडल @squintneon, जिसे यह माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट पहले दो बार निलंबित कर चुका है, भ्रामक सूचनाएं प्रसारित करते हुए वापस आ गया है। 21 फरवरी को मध्य रात्रि के बाद 1:23 बजे, ‘कॉमरेड स्क्विंटी’ ने बीबीसी उर्दू के साथ सक्रियतावादी छात्रा गुरमेहर कौर के इंटरव्यू को ट्वीट किया और दावा किया कि इसे पाकिस्तान में शूट किया गया था। इस हैंडल ने यह आरोप भी लगाया कि वह “बस यह कहने पाकिस्तान गई थीं कि पुलवामा जैसे हमले अल्पसंख्यकों को चोट पहुंचाते हैं – (अनुवादित)“। @squintneon को असम ABVP के राज्य सोशल मीडिया प्रभारी मानस ज्योति शर्मा द्वारा चलाया जाता है।
19-सेकेंड की इस क्लिप में कौर को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “जब इस तरह का हमला होता है, इससे हमारे अल्पसंख्यकों को चोट पहुंचती है, और कई राजनीतिज्ञ, चुनावों के पहले देश में इस ध्रुवीकरण पर निर्भर करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि नागरिक ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देते – (अनुवादित)।”
अपने कुछ शुरुआती ट्वीट के बाद @squintneon ने स्टूडियो, जहां इंटरव्यू शूट किया गया, उसके बारे में कुछ समस्या ट्वीट की। ट्वीट में कहा गया कि यह लंदन में हो सकता है, लेकिन फिर इसमें जोड़ा कि जैसे एंकर हिंदी में बात कर रहा था, यह इंटरव्यू सबसे ज्यादा संभव है कि इस्लामाबाद में शूट हुआ। यह ट्वीट इस कथन से पूरा होता है, “एक बार इसके स्पष्ट होने पर मैं इसे हटा दूंगा – (अनुवादित)।”
तुरंत बाद, भ्रामक सूचनाएं प्रसारित करने के लिए जाना जाने वाला एक और हैंडल @DrGPradhan ने यही दावा ट्वीट किया। उन्होंने सवाल उठाया, “लेकिन ज्यादा बड़ा सवाल यह है कि वह पाकिस्तान में क्यों है – (अनुवादित)?”
Gulmohar goes to Pakistan just to say an attack like Pulwama hurts minorities
Gurmehr was funded by whom?? Was it @priyankagandhi as she is her role model?
But the bigger question is why she is in Pakistan ? pic.twitter.com/we8nGDnb2S
— #GauravPradhan 🇮🇳 (@DrGPradhan) February 21, 2019
बीबीसी के लंदन स्टूडियो में शूट हुआ वीडियो
बीबीसी उर्दू ने पुलवामा हमले पर अपना पूरा प्रसारण अपने आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया। ‘शेरबीन शुक्रवार 15 फरवरी 2019 — बीबीसी उर्दू’ शीर्षक का यह वीडियो 17:37 मिनट लंबा है और प्रसारण के शुरू में ही, एंकर हिंदी में कहते है, “हमारे लंदन स्टूडियो से मैं हूँ शफी नक़ी जामई…“। बीबीसी के पत्रकार ने खुद कहा कि वे बीबीसी उर्दू के लंदन स्टूडियो से रिपोर्टिंग कर रहे थे।
ऑल्ट न्यूज़ ने बीबीसी उर्दू की लंदन स्थित प्रस्तुतकर्ता आलिया नज़की से संपर्क किया, तो उन्होंने पुष्टि की कि बीबीसी के साथ कौर का इंटरव्यू उनके लंदन स्टूडियो में हुआ।
इसके अलावा, छात्र नेता गुरमेहर कौर ने, यह कहते हुए कि वह कभी पाकिस्तान में नहीं थीं, खुद गलत दावों पर प्रतिक्रिया दी।
कौर का बयान गलत संदर्भ में रखा
@squintneon और @DrGPradhan ने केवल यह गलत सूचना प्रसारित नहीं की कि कौर का इंटरव्यू पाकिस्तान में शूट हुआ, बल्कि उनके बयान में हेरफेर किया और उन्हें गलत संदर्भ में रखा गया।
12:18वें मिनट पर एंकर, कौर से हिंदी में सवाल करते हैं, “इस हमले से भारत-पाकिस्तान के रिश्ते स्पष्ट रूप से प्रभावित हुए हैं, लेकिन क्या ठीक चुनावों से पहले भारत की आंतरिक राजनीति पर इसका कोई असर पड़ा है?”
कौर उत्तर देती हैं, “अब भी यह देखा जा सकता है कि कैसे राजनीतिज्ञ इस हमले का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस हमले के कारण, लोगों के दिमाग में काफी नफरत हो गई है। हमने ध्यान दिया है कि कैसे इस्लाम और पाकिस्तान अचानक एक ही रौ में देखे जाने लगे हैं। जब इस तरह का हमला होता है, इससे हमारे अल्पसंख्यकों को चोट पहुंचती है, और कई राजनीतिज्ञ, चुनावों से पहले देश में इस ध्रुवीकरण पर निर्भर करते हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि नागरिक ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देते।”
कौर के बयान इस रूप में चित्रित किए गए जैसे उन्होंने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले से केवल अल्पसंख्यक प्रभावित हुए। जबकि, वास्तव में, उन्होंने कहा कि हमले के बाद देश में ध्रुवीकरण दिखा जिससे अल्पसंख्यक प्रभावित हो रहे हैं।
सक्विंट नीऑन – निरंतर दुष्प्रचार फ़ैलाने वाला
सोशल मीडिया में ट्विटर हैंडल @squintneon की साख बदनाम है। इसकी रोज की ऑनलाइन गतिविधियां, भ्रामक सूचनाएं प्रसारित करने (अक्सर साम्प्रदायिक प्रकृति वाले), पत्रकारों को निशाना बनाने (जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं) और जो राजनीतिक रूप से असहमत लगते हैं उन्हें आक्रामक ट्वीट के जरिए निशाना बनाया जाता है।
ट्विटर हैंडल @squintneon को वरिष्ठ भाजपा नेता स्मृति ईरानी और पीयूष गोयल का कार्यालय फॉलो करते हैं। इसे दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा भी फॉलो करते हैं।
ऑल्ट न्यूज़ ने पहले कई बार @squintneon द्वारा प्रसारित भ्रामक सूचनाओं का पर्दाफाश किया है। पिछले साल अगस्त में कतिपय कांवड़ यात्रा तीर्थयात्रियों की हिंसा के बाद इस हैंडल से झूठे तरीके से यह प्रचारित करने का प्रयास किया गया कि हिन्दू पहनावे में मुस्लिमों ने हिंसा की। लेकिन @squintneon द्वारा शेयर की गई अखबार की क्लिप में, वास्तव में, बताया गया था कि हमले के कारण जाम हुई सड़क से आसानी से निकलने के लिए दो मुस्लिम युवकों ने कांवड़ियों के कपड़े पहने थे, और उन्होंने दुर्घटनावश एक कॉन्स्टेबल को टक्कर मार दी थी। यानी, हिंसा पहले हो चुकी थी।
एक अन्य उदाहरण में, एक महिला से छेड़खानी के लिए हिंदू परिवार द्वारा एक भिखारी को पीटे जाने को इस हैंडल द्वारा ‘एक नागा साधु की मुस्लिमों द्वारा पिटाई‘ के रूप में शेयर किया गया।
जून 2018 में @squintneon ने दावा किया कि रुपया-डॉलर विनिमय दर 2014 के मुकाबले एक रुपया नीचे आ गया है। हालांकि, यह दावा गलत निकला।
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