नितिन शुक्ला नाम से चल रहे ट्विटर अकाउंट ने एक वीडियो ट्वीट किया. इसे 16 हज़ार से ज़्यादा बार देखा जा चुका है. इस वीडियो में एक शख्स एक बूढ़े आदमी को पीटता हुआ दिख रहा है. पपिटने वाले बुज़ुर्ग के शरीर पर कपड़े नहीं हैं. उसके शरीर पर लगे दिख रहे पाउडरनुमा चीज़ से ऐसा लगटा है कि वो नागा साधु है जो अपनी देह पर भभूत लगाए रहते हैं. नितिन शुक्ला ने अपने ट्वीट में लिखा है कि नागा साधु की लिंचिंग हो रही है और उसे पीटने वाली भीड़ मुस्लिम है. नितिन ने ये भी बताया कि मामला देहरादून का है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
#Palghar संयोग नही प्रयोग था, अब अलग अलग जगह साधुओं की लीनचिंग की जा रही है, मारने वाले मुसलमान हैं, कल आपका नंबर आने वाला है? ये सब आपको घर मे घुस कर मरेंगे? दिल्ली की तरह? बचना है तो इन आतंकवादियों को जेल भिजवाओ, मामला Lane C-15, Turner Road, Dehradun का मालूम पड़ता है pic.twitter.com/WGxAh15PPl
— Nitin Shukla (@nshuklain) May 15, 2020
हरी शंकर तिवारी ने उत्तराखंड का वीडियो बताकर इसे शेयर किया है.
वीडियो उत्तराखंड का है जहाँ इस बुज़ुर्ग साधु को बुरी तरह पीटा गया।@tsrawatbjp जी, कृपया इस पीटने वाले शक़्स की पहचान कर उसपर कठोर कार्रवाई की जाए।
कुछ लोग कह सकते हैं कि हम हिन्दू-मुस्लिम करते हैं.. अफवाहों को हवा देते हैं, उनकी ऐसी-तैसी।😤#RT करें साथियों🙏🏽@VijayVst0502 pic.twitter.com/2vul2hFMng
— Hari Shankar Tiwari ✌🏽🇮🇳 (@hshankar09) May 15, 2020
सितम्बर 2018 में भी इस वीडियो को लेकर ऐसे ही दावे हुए थे. एक नज़र उनपर भी.
एक ट्विटर हैंडल ईमाम ऑफ़ पीस (@Imamofpeace) ने 2 सितंबर 2018 को ट्वीट किया, “भारत में इस्लामी चरमपंथी एक गरीब और बुजुर्ग भिखारी को मार रहे हैं. मैं सचमुच चाहता हूं कि इस इस्लामिस्ट अपराधी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाए. @narendramodi“ बाद में बिना किसी स्पष्टीकरण @Imamofpeace ने इस ट्वीट को हटा दिया था. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
बॉलीवुड अभिनेत्री कोइना मित्रा भी उन लोगों में से थीं, जिन्होंने वीडियो को रीट्वीट किया था. बल्कि, उन्होंने अलग से यह भी दावा किया की कि जिस व्यक्ति को पीटा गया था वह नागा साधु था. उन्होंने भी बिना किसी स्पष्टीकरण के ट्वीट को डिलीट कर दिया था. (आर्काइव).
यह वीडियो आनंद श्रीवास्तव ने 2 सितंबर को सुबह 5:25 बजे प्रसारित किया था. श्रीवास्तव भारत हेराल्ड नामक वेबसाइट का संस्थापक है जो नियमित भाजपा-समर्थक पोस्ट करता है. उसके ट्वीट को लेखक राजीव मल्होत्रा और शेफाली वैद्य ने रीट्वीट किया था. बाद में आनंद श्रीवास्तव ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है.
सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करने वाले कई और भी लोग थे.
न नागा साधु, न मुस्लिम युवक द्वारा पिटाई
सितम्बर 2018 में ऑल्ट न्यूज़ ने पटेल नगर, देहरादून के थाना प्रभारी से संपर्क किया, जिन्होंने हमें बताया था कि यह घटना सोशल मीडिया पर झूठे दावे के साथ प्रसारित की जा रही है. उन्होंने कहा, “जिस आदमी को पीटा गया वह नागा साधु नहीं, एक भिखारी है. वह विवाहित है और उसके छह बच्चे हैं. वह भोजन मांगने एक घर गया था. वहां एक महिला ने उसे चाय और बिस्किट दिया और उस भिखारी ने उसी महिला के साथ छेड़छाड़ की.“
थाना प्रभारी ने आगे बताया कि उसे महिला के भाई ने पीटा था. ये परिवार हिन्दू था. भिखारी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी. मालूम पड़ा कि भिखारी नशे में था. पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया था.
देहरादून पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने भी इस बारे में बयान दिया था कि सोशल मीडिया पर चल रहे दावे निराधार हैं : “वह व्यक्ति बहरूपिया है जिसके खिलाफ नशे में रहते हुए एक महिला से छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज की गई है.“
सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति जिसे नागा साधु बताते हुए कुछ लोगों द्वारा पीटने का एक वीडियो वाइरल किया जा रहा है.
उक्त संबंध में ज्ञात हो कि उक्त व्यक्ति एक बहुरूपिया है, जिसके विरुद्ध नशे की हालत में छेड़छाड़ की एक घटना में संलिप्त होने की शिकायत पर वैधानिक कार्यवाही की गयी है. pic.twitter.com/GB9uoDlsMs— SSP Dehradun (@DehradunSsp) August 30, 2018
पुलिस ने भ्रामक आरोपों पर सफ़ाई देते हुए एक और ट्वीट किया और बताया कि जिस व्यक्ति को पीटा गया था वह भक्तों के सामने भिखारी बन जाता था. “सुशील नाथ को नशे की लत है जो पहले भी ऐसे मामलों में शामिल रहा है. 24.08.2018 को, उसने एक घर में प्रवेश किया और एक महिला से छेड़छाड़ की, जिसके बाद उसे महिला के भाई शुभम और अन्य स्थानीय लोगों ने पीटा.“
@tsrawatbjp @uttarakhandcops @DehradunDm@annantsrivastav
सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति जिसे नागा साधु बताते हुए कुछ लोगों द्वारा पीटने का एक वीडियो विभिन्न भ्रामक संदेशो के साथ वाइरल किया जा रहा है, उक्त प्रकरण में वास्तविक तथ्य निम्नवत् हैं- pic.twitter.com/pc3zYsKxvw— SSP Dehradun (@DehradunSsp) September 2, 2018
मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के खिलाफ प्रचार करने के लिए कुछ लोगों द्वारा झूठी कहानी बनायी गयी. 2018 में इसे सांप्रदायिक दावों के साथ शेयर किया गया और एक बार फिर 2020 में इस वीडियो को ऐसे ही दावों के साथ दोबारा शेयर होता देखा जा रहा है.
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