सोशल मीडिया यूज़र्स एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं. इसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील की जा रही है कि इलाके में खाने-पीने की चीज़ों में केमिकल मिलाकर बेचें ताकि हिन्दू समुदाय के लोग बीमार पड़ जायें. आखिरी लाइन में लिखा है कि ये फ़रमान ‘मदरसा दारुल उलम देवबंद’ ने जारी किया है.
Posted by ऊधम सिंह चौधरी on Wednesday, 16 February 2022
फ़ेसबुक पर ये स्क्रीनशॉट काफी शेयर किया जा रहा है. इसमें ये भी लिखा है, “सभी हिन्दुभाइओ से अपील है, कीसी मुस्लिमसे कोई भी चीज न खरीदे, अपने बच्चोको भी सावधान करें.”
फ़ेसबुक यूज़र ‘हिन्दू राष्ट्र संघ‘ ने 4 मार्च 2020 को ये स्क्रीनशॉट पोस्ट किया था जिसे 800 से ज़्यादा लोगों ने शेयर किया.
इसी तरह कई फ़ेसबुक यूज़र्स ने ये स्क्रीनशॉट 2021 में शेयर किया.
फ़र्ज़ी अकाउंट से किया गया भड़काऊ पोस्ट
हमने ट्विटर पर ये अकाउंट सर्च किया लेकिन अब अकाउंट ही डिलीट किया जा चुका है. हालांकि हमें web.archive.org पर इसका आर्काइव वर्ज़न मिला जहां इस अकाउंट के दर्जनों ट्वीट आर्काइव किये गए हैं. इस स्क्रीनशॉट में लिखे मेसेज में व्याकरण की बहुत सारी ग़लतियां हैं जो इसके फ़र्ज़ी होने का हिंट है. इसके आखिर में लिखा है – ‘मदरसा दारुल उलम देवबंद’. यूपी में स्थित इस यूनिवर्सिटी का सही नाम है-दारुल उलूम देवबंद. इस अकाउंट के आर्काइव पर दिख रहे बायो में भी बहुत सारी ग़लतियां हैं.
ऑल्ट न्यूज़ ने मदरसे के मीडिया इन-चार्ज अशरफ़ उस्मानी से संपर्क किया और इस वायरल दावे की सच्चाई के बारे में पूछा. उन्होंने कहा, “ये फ़र्ज़ी पोस्ट पहले भी कई बार वायरल हो चुका है. मैं पहले भी कई बार इसे ख़ारिज कर चुका हूं कि और बता चुका हूं कि ये सच नहीं है. हमने ऐसा कोई फ़रमान जारी नहीं किया.”
आर्काइव चेक करने पर हमें मालूम पड़ा कि इस अकाउंट का यूज़र नेम @gayur_sheikh से पहले @sekh_gayor हुआ करता था. बता दें कि यूज़र नेम बदल देने के बावजूद अगर किसी के पुराने ट्वीट पर किये रिप्लाई देखते हैं तो अकाउंट का पुराना यूज़र नेम दिखता है, जैसा कि इस पोस्ट में दिख रहा है.
एक और ट्वीट में इस अकाउंट को एक ट्विटर यूज़र फ़र्ज़ी बता रहा है और कह रहा है कि ये अकाउंट दंगा भड़काने की कोशिश में है. बता दें कि इस फ़र्ज़ी अकाउंट ‘मौलाना गयूर शेख’ से किये गए ट्वीट्स ऐंटी-सीएए और एनआरसी विरोध प्रदर्शनों के समय के हैं.
एक फ़र्ज़ी मेसेज, जिसमें मदरसा दारुल उलूम देवबंद के नाम पर फ़तवा जारी किया जा रहा है, लोग सच मानते हुए शेयर कर रहे हैं. ये ट्विटर अकाउंट, जिसे अब डिलीट किया जा चुका है, साम्प्रदायिकता भड़काने के लिए झूठे दावे वाले ट्वीट्स करता था.
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