नेटवर्क 18 से जुड़े पत्रकार राहुल शिवशंकर ने हाल ही में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िले के पुत्तूर में एक घटना पर आक्रोश जताया. उनके ट्वीट के मुताबिक, संतोष नामक एक हिंदू कार्यकर्ता को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले अक्षत (हिंदू धर्म में पूजा के दौरान देवता को चढ़ाए जाने वाले अखंड और बिना पके चावल के दाने) बांटने के लिए कथित तौर पर पीटा गया था. राहुल शिवशंकर ने ट्विटर पर इस घटना की निंदा की. उन्होंने पूछा, “क्या हिंदुमेसिया को व्यापक स्थान मिल रहा है क्योंकि इस पर रोक लगाने की इच्छाशक्ति, तुष्टीकरण की राजनीति के सामने नरम हो गई है?” ‘हिंदूमेसिया’ एक मान्य शब्द नहीं है, शायद राहुल ‘हिंदूमिशिया’ शब्द का इस्तेमाल करना चाहते थे जिसे कभी-कभी ‘हिंदूफ़ोबिया’ शब्द के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. (आर्काइव लिंक)

वेरीफ़ाइड हैंडल @Hateडिटेक्टर्स और @indiaglobaltalk जैसे अन्य यूज़र्स ने भी इस घटना के बारे में ट्वीट किया. @indiaglobaltalk ने लिखा, “ये कौन सी मानसिकता के लोग हैं, ये भयानक है.”

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फ़ैक्ट-चेक

हमें ऐसी कई स्थानीय रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें दक्षिण कन्नड़ SP रश्यंत ने उन दावों को ग़लत बताया था कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले अक्षत बांटने की वजह से संतोष पर हमला किया गया था. एक प्रेस रिलीज में, SP रश्यंत ने कहा कि पड़ोसियों के बीच लड़ाई असल में एक विवाद के कारण हुई थी. मामले में एक शिकायत और एक जवाबी शिकायत दर्ज की गई थी. SP ने जनता से झूठी खबरों या भ्रामक मैसेज के झांसे में न आने का आग्रह किया.

हमने दोनों पक्षों द्वारा दर्ज की गई FIR को देखा. पुलिस को दी गई शिकायत में संतोष ने कहा कि मंत्रोक्षेत (अनाज की रस्म) से संबंधित एक बैठक से लौटने के बाद, वो अपना स्कूटर अपने बगीचे के पास खड़ा किया था और घर की तरफ चलके जा रहा था. उस वक्त आरोपियों ने उसे रोका और उसके साथ मारपीट की. शोर सुनकर बाहर आईं संतोष की मां सविता के साथ भी मारपीट की गई. अपनी शिकायत में संतोष ने आरोप लगाया कि आरोपी उससे जलते थे क्योंकि उन्हें अक्षत बांटने का विशेषाधिकार मिला था. इसलिए उन्होंने उस पर हमला कर दिया. उसकी शिकायत के मुताबिक, हमलावरों ने संतोष का फ़ोन और 25 हज़ार रुपये नकद वाला बटुआ छीन लिया. साथ ही शिकायत में केशव, जगदीश और धनंजय को आरोपी बनाया गया है.

केशव नाइक द्वारा दायर जवाबी शिकायत में संतोष, उसकी पत्नी और संदीप नाम के तीसरे व्यक्ति पर बगीचे के चारों ओर लगाए गए तार की बाड़ को गिराने का आरोप लगाया. केशव द्वारा पूछे जाने पर आरोपी ने उसके साथ गाली-गलौज की और जान से मारने की धमकी दी. संतोष के माता-पिता, कोरगप्पा नायक और सविता ने भी कथित तौर पर शिकायतकर्ता के साथ गाली-गलोज किया. जब केशव अपनी संपत्ति में तोड़फोड़ के खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराने के लिए चचेरे भाई धनंजय के साथ पुलिस स्टेशन जा रहा था, तो संतोष और कोरगप्पा नायक ने कथित तौर पर उनके सिर पर हमला किया. हंगामा सुनकर मौके पर आईं केशव की मां के साथ भी कथित तौर पर मारपीट की गई. शिकायत में संतोष (32 साल), उसके पिता कोरगप्पा नाइक, मां सविता और दो अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है.

संतोष ने अपने परिवार के साथ 17 जनवरी को पुत्तूर प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उसके मुताबिक, दोनों परिवारों में सालों से अनबन चल रही है. उसने राम मंदिर का अक्षत बांटने को लेकर दूसरे गुट पर उनसे खुन्नस रखने का आरोप लगाया. संतोष सहित लोगों के एक समूह को दक्षिण कन्नड़ ज़िले के पुत्तूर तालुक के मुंडूर गांव में घरों में अक्षत बांटने करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी. इस बीच, आरोपी तिकड़ी ने कथित तौर पर मुंडूर मंदिर से अक्षत ले लिया और इसे बांट दिया. तिकड़ी एक अन्य हिंदुत्व संगठन पुथिला परिवार से संबंधित है. उसने अक्षत पात्र खाली करके मंदिर में रख दिया. अगले दिन संतोष के ग्रुप ने उस बर्तन को एक स्थानीय व्यक्ति के घर पर रख दिया. उन्होंने इसी सिलसिले में संतोष पर हमला करने का आरोप धनंजय, केशव और जगदीश पर लगाया, जब वो अक्षत बांटने से संबंधित बैठक से लौट रहे थे. उन्होंने हमले का आरोप पुथिला परिवार के अरुण पुथिला पर लगाया. संतोष ने अपने घर तक पहुंचने के रास्ते को रोकने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में, संतोष के परिवार ने अरुण पुथिला पर मौखिक रूप से हमला करते हुए कहा, “क्या! क्या हम मुसलमान हैं? क्या हम हिंदू नहीं हैं?”

पुथिला परिवार 2023 में हिंदुत्व कार्यकर्ता अरुण कुमार पुथिला के नेतृत्व में एक स्थानीय राजनीतिक संगठन है. उन्होंने पुत्तूर निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार अशोक कुमार राय से विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी का गठन किया था.

ये स्पष्ट है कि झगड़े में शामिल दोनों पक्ष हिंदुत्व संगठनों से थे और उनमें से कोई भी ‘हिंदुमेशिया’ की वजह से अक्षत के बांटने की प्रथा को रोकना नहीं चाहता था. पत्रकार राहुल शिवशंकर और कई अन्य यूज़र्स ने इस घटना को इस तरह पेश किया कि अक्षत वितरण को रोकने के कोशिश में संतोष पर हमला किया गया था. असल में घटना में शामिल दो परिवार के बीच सालों से विवाद चल रहा है, और प्रेस कॉन्फ्रेंस में संतोष की गवाही के मुताबिक, अक्षत को कौन बांटेगा, इस पर विवाद था.

घायल व्यक्तियों की पहचान एक ग्रुप से केशव नाइक (35 साल) और उसकी मां जयंती (55 साल) और प्रतिद्वंद्वी ग्रुप से संतोष बीके (29 साल) और उसकी मां सविता (50 साल) के रूप में की गई. उन्हें पुत्तूर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

इस घटना के फ़ैक्ट्स की पुष्टि कई स्थानीय मीडिया आउटलेट्स द्वारा की गई. इनमें वर्था भारती, हेडलाइन कर्नाटक और दाइजी वर्ल्ड की रिपोर्ट्स शामिल हैं. भाजपा के पूर्व विधायक संजीव मथांदुर ने भी अस्पताल में संतोष से मुलाकात की. बाद में इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि ये राजनीति से प्रेरित हमला था और उन्होंने सरकार और पुलिस विभाग से अपराधियों को तुरंत गिरफ़्तार करने का आग्रह किया.

भ्रामक रिपोर्ट

इस घटना को कई मीडिया आउटलेट्स ने सनसनीखेज सुर्खियों और अधूरे फ़ैक्ट्स के साथ रिपोर्ट किया था. उदाहरण के लिए, टाइम्स नाउ ने एक रिपोर्ट पब्लिश की जिसके टाइटल का हिंदी अनुवाद है, “पुत्तूर में राम मंदिर में अक्षत बांटते समय हिंदू संगठन के कार्यकर्ता पर हमला, बीजेपी ने इसे ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’ बताया.” इस रिपोर्ट में संतोष के हवाले से कहा गया है, ”…चूंकि मैंने अक्षत बांटने की ज़िम्मेदारी ली, वे मेरे खिलाफ हैं. इसलिए वे मुझे टारगेट कर रहे थे. मैं पिछले दो सप्ताह से अक्षत बांट रहा हूं, लेकिन वे ऐसा नहीं चाहते थे. जब मैं मोबाइल टॉर्च की रोशनी में घर लौट रहा था तो धनंजय, केशव और जगदीश ने मुझ पर हमला किया. रिपोर्ट में कहीं भी ये ज़िक्र नहीं किया गया है कि संतोष और आरोपी तिकड़ी के परिवार में सालों से संघर्ष चल रहा है. यहां रिपोर्ट का एक आर्काइव है.

इसी तरह, इंडिया टुडे ने भी ऐसी ही एक रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें बताया गया कि संतोष पर हमला कथित तौर पर उसके पड़ोसियों ने किया था, जिन्होंने संतोष द्वारा अक्षत बांटने का विरोध किया था. रिपब्लिक वर्ल्ड ने ‘कर्नाटक के पुत्तूर में राम मंदिर के उद्घाटन से पहले अक्षत बांट रहे कार्यकर्ता पर हमला’ शीर्षक से एक रिपोर्ट पब्लिश की और बताया कि संतोष पर आरोपी धनंजय ने हमला किया था, जिसने ‘अक्षत’ बांटने का विरोध किया था. मीडिया आउटलेट फ्री प्रेस जर्नल ने भी इसी तरह की एक रिपोर्ट पब्लिश की थी जिसमें दावा किया गया था कि ‘अक्षत’ बांटने के लिए संतोष पर हमला किया गया था.

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Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.