कुछ हफ्ते पहले, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें फ्रांस के एनेसी में एक प्लेग्राउंड में एक व्यक्ति कुछ लोगों को चाकू मार रहा है. पीड़ित लोगों में बच्चे और एक बुज़ुर्ग व्यक्ति भी शामिल हैं. हमलावर व्यक्ति की पहचान ईसाई सीरियन रिफ्यूजी अब्देलमसिह हनौन (31 साल) के रूप में की गई थी. वीडियो में अब्देलमसिह हनौन कथित तौर पर घटना को अंज़ाम देते वक़्त “ईशु मसीह का नाम लेकर” चिल्लाता है. बीबीसी ने रिपोर्ट किया कि संदिग्ध ने अपनी पहचान सीरियन ईसाई के रूप में की. बाद में इस व्यक्ति को हत्या की कोशिश के आरोप में फ्रांसीसी पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया. प्रॉसिक्यूशन ने कहा कि उसकी हरकतें आतंकवाद से जुड़ी हुई नहीं लगती. लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया यूज़र्स के एक ग्रुप ने दावा किया है कि वो व्यक्ति असल में मुस्लिम है और उसका असली नाम सेलवान माद है.

‘जिहाद वॉच’ के डॉयरेक्टर और एक अमेरिकी फ़ार-राईट विंग एंटी-मुस्लिम कॉन्सपिरेसी ब्लॉगर, रॉबर्ट स्पेंसर ने आरोपी की एक तस्वीर को “एन एट्रोसिटी इन एनेसी” कैप्शन के साथ ट्वीट किया और 12 जून को इसी टाइटल से एक आर्टिकल इस ट्वीट थ्रेड में एड किया. ये रिपोर्ट ज़्यादातर इस धारणा को लेकर है कि शायद हमलावर मुस्लिम है और मीडिया में जानबूझकर उसे ईसाई के रूप में दिखाया गया है. (आर्काइव लिंक)

13 जून को जिहाद वॉच ने एक और आर्टिकल पब्लिश किया जिसका टाइटल है: “फ्रांस: ‘ईसाई’ जिसने खेल के मैदान में बच्चों को चाकू मारा, वो सेलवान माजद नामक एक मुस्लिम निकला.” ये रिपोर्ट असल में रजिस्टेंस रिपब्लिकेन नामक एक फ्रांसीसी वेबसाइट की एक रिपोर्ट का अंग्रेजी अनुवाद था. ये एक दक्षिणपंथी वेबसाइट है जो इस्लामोफ़ोबिक कंटेंट शेयर करने के लिए जानी जाती है. रॉबर्ट स्पेंसर ने इस आर्टिकल का लिंक ट्वीट किया. आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 40 लाख से ज़्यादा बार देखा गया और 24 हज़ार से ज़्यादा बार इसे रीट्वीट किया गया. (आर्काइव)

रिपोर्ट में कहा गया है, “शुरू से ही हमने कहा था कि ये ईसाई नहीं हो सकता… और ये संकेत है ये किसी मुस्लिम ने किया होगा…” इसमें ये भी ज़िक्र किया गया है कि अब्देलमसिह हनौन असल में सेलवान माजद है और उसने ईसाई के रूप में दिखाए जाने वाले फर्ज़ी कागज़ात लेकर तुर्की की यात्रा की थी. फर्ज़ी ईसाई नाम के साथ उसने स्वीडन में शादी कर ली. हालांकि, रिपोर्ट में इस जानकारी के लिए कोई सोर्स का हवाला नहीं दिया गया है.

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भारतीय ट्विटर हैंडल ने भी जिहाद वॉच की रिपोर्ट का लिंक/स्क्रीनशॉट ट्वीट किये हैं. इस लिस्ट में @JIX5A, @MeghUpdates, @RituRathaur, @AmitLeliSlayer शामिल हैं. कुछ और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ट्विटर हैंडल्स ने भी ये ट्वीट की है जिनमें ब्रिटेन फ़र्स्ट, फ़ार राईट विंग ब्रिटिश राजनीतिक पार्टी, @AzzatAlsaalem, @EvaVlaar, @ElijahSchaffer शामिल हैं.

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एसोसिएशन डी’एंट्रेड ऑक्स माइनोरिटेस डी’ओरिएंट नामक एक गैर सरकारी संगठन के राष्ट्रीय महासचिव एलिश याको ने इस मामले पर ट्वीट्स की एक सीरीज़ शेयर की. इसमें दावा किया गया कि कथित एनेसी स्टैबर असल में एक मुस्लिम था. – इसकी वेबसाइट के मुताबिक, एनजीओ पूर्वी अल्पसंख्यक, ज्यादातर ईसाइयों को सहायता प्रदान करता है. (आर्काइव्स लिंक 1, लिंक 2, लिंक 3)

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अपने दावे का समर्थन करने के लि, याको ने ज़िक्र किया कि वो सीरिया से उस व्यक्ति का बपतिस्मा या ब्रह्मचर्य प्रमाण पत्र नहीं मिल सका और अपने विवाह प्रमाण पत्र में उसने अपने माता-पिता की जन्मतिथि और जन्म स्थान और पहचान वाले बक्से खाली छोड़ दिए थे.

फ़ैक्ट-चेक

रेसिस्टेंस रिपब्लिकेन की रिपोर्ट में ज़िक्र किया गया है कि अब्देलमसिह हनौन ने फर्ज़ी ईसाई नाम से स्वीडन में अपने एक्स पार्टनर से मुलाकात की और फिर शादी की थी. लेकिन उसे स्वीडिश नागरिकता नहीं दी गई क्योंकि देश के अधिकारियों को उस पर शक था. इस दावे की जांच करने के लिए हमने सबंधित की-वर्ड्स सर्च किया. हमें कई न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें मामले के बारे में डिटेल में बताया गया था.

फ्रांसीसी डेली आफ्टरनून न्यूज़पेपर, ले मोंडे की एक न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी की मां ने ये जानकारी दी कि उसका जन्म 1991 में सीरिया में हुआ था और उसने सीरियाई सेना में सर्विस की थी. 2011 में जब गृहयुद्ध हुआ तब उसने देश छोड़ दिया और तुर्की चला गया. वहां उसकी मुलाकात उसकी होने वाली पत्नी से हुई जो सीरियाई थी. ये दोनों 2013 में स्वीडन चले गए. वहां शादी कर ली और उनका एक बच्चा भी है जो अब तीन साल का है. उसके बाद जब अब्देलमसिह हनौन को स्वीडिश नागरिकता नहीं मिल पाई तो उन दोनों का तलाक हो गया. फिर वो फ्रांस चला गया और नवंबर 2022 में पहली बार उसने वहां की नागरिकता के लिए आवेदन किया.

एक और रिपोर्ट में ले मोंडे ने ये ज़िक्र किया कि अब्देलमसिह हनौन की पूर्व पत्नी को स्थायी निवास परमिट दिए जाने के 6 साल बाद जून 2021 में स्वीडिश राष्ट्रीयता मिली. नवंबर 2013 में अब्देलमसिह हनौन को स्वीडन में स्थायी निवास परमिट मिला. राष्ट्रीयता के लिए उसका पहला आवेदन अक्टूबर 2017 में पेश किया गया था जिसे तुरंत खारिज कर दिया गया. क्यूंकी इसके लिए स्वीडन में कम से कम पांच साल रहने की ज़रूरत होती है. उन्होंने अगस्त 2018 में फिर कोशिश की. लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. उन्होंने 2021 में फिर से अपील की. ​​आखिरकार, 11 फ़रवरी, 2022 को स्वीडिश माइग्रेशन एजेंसी ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया.

ले मोंडे ने स्वीडिश माइग्रेशन एजेंसी से संपर्क किया, जहां स्वीडिश अधिकारियों ने आवेदन खारिज किए जाने को लेकर ये कहा कि अब्देलमसिह हनौन ने अपने आवेदन में ज़िक्र किया था कि उसने 2011 और 2012 में सीरियाई सेना में सर्विस दी थी. 2004 के सरकारी फैसले के बाद, नेचुरलाईज़ेशन के लिए कोई भी आवेदक” जो किसी ऐसे संगठन में सक्रिय रहा हो या उस पर निर्णायक प्रभाव रहा हो, माना जाता हो कि इसमें यातना, हत्या और न्यायेतर फांसी जैसे व्यवस्थित, व्यापक और प्रमुख दुर्व्यवहार जैसी गतिविधियां शामिल हैं, उसे स्वीडिश नागरिकता तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि निर्दिष्ट अवधि खत्म न हो जाए.” ये अवधि 25 साल तक निर्धारित की गई है. कई मानवाधिकार संगठन सीरियाई सेना को युद्ध अपराध करने और मानवाधिकारों के उल्लंघन का दोषी मानते हैं.

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यानी, ये दावा बिल्कुल झूठा है कि स्वीडिश अधिकारियों को शक था कि आरोपी ने ईसाई होने का नाटक किया और इसलिए उसके नागरिकता आवेदन को खारिज कर दिया गया था. साथ ही ये दावा भी झूठा है कि वो पहली बार स्वीडन में अपने पूर्व पत्नी से मिला था. वो दोनों तुर्की में मिले और फिर बाद में स्वीडन चले गए थे.

हमें लिबरेशन नामक एक फ्रांसीसी फ़ैक्ट-चेकिंग आर्गेनाईज़ेशन की एक रिपोर्ट भी मिली. इस रिपोर्ट में भी इस दावे को ग़लत बताया गया है कि हमलावर मुस्लिम था और उसका असली नाम सेलवान माजद था. आर्टिकल में रेसिस्टेंस रिपब्लिकेन ने ये भी ज़िक्र किया है कि उनके दावे की पुष्टि ज़ल्द ही अलेक्जेंड्रिया के फ़ादर बौलाड के रिश्तेदारों द्वारा भी की जाएगी. फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि फ़ादर बौलाड का हाल ही में निधन हो गया था और ये अपने इस्लामोफ़ोबिया के लिए जाने जाते थे.

हमें एक फ्रांसीसी न्यूज़ चैनल BFM टीवी का 8 जून का एक ट्वीट भी मिला. अब्देलमसिह हनौन की पूर्व पत्नी ने इंटरव्यू ले रहे व्यक्ति को बताया कि वो अपने पूर्व पति से तुर्की में मिली थी और वो एक ईसाई है. उन्होंने ये भी कहा कि वो सीरिया के अल हसाका शहर का है. जब उसकी पत्नी से पूछा गया कि क्या अब्देलमसिह हनौन इतना हिंसक व्यक्ति था, तो उसने कहा कि वो ऐसा कभी नहीं था और वो अपने बच्चे के लिए एक अच्छा पिता है.

हमारी अब तक की जांच के अनुसार, ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे ये साबित हो कि एनेसी में चाकू मारने वाला आरोपी सेलवान माजद नामक एक मुस्लिम व्यक्ति है. जिस आरोपी को फ्रांसीसी अधिकारियों ने गिरफ़्तार किया था उसका नाम अब्देलमसिह हनौन है जो एक सीरियन ईसाई है.

पहले भी जिहाद वॉच ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर भ्रामक रिपोर्ट शेयर की थी. रॉबर्ट स्पेंसर के एक ट्वीट में उन्होंने इस अपराध को ‘जिहाद’ या आतंकवाद से संबंधित बताते हुए एक भ्रामक रिपोर्ट शेयर की थी. इस पोस्ट पर ट्विटर के मालिक एलन मस्क ने एक कमेंट किया. एलन मस्क का एक-अक्षर वाला कमेंट (सिर्फ एक विस्मयादिबोधक चिह्न) इस भ्रामक ट्वीट की पहुंच में भारी इजाफ़ा करने के लिए काफी था. ट्वीट को 32 लाख बार देखा गया और 10 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया. फ़िलहाल ये एक ‘कम्युनिटी नोट‘ के साथ दिखता है जिसमें रॉबर्ट स्पेंसर के दावे का खंडन किया गया है. (आर्काइव लिंक)

 

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