अभिनेता और FTII के पूर्व अध्यक्ष गजेन्द्र चौहान ने 2 मार्च को एक ब्लैक ऐंड व्हाइट तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “ये 31 वर्ष पुरानी दुर्लभ तस्वीर है, जब नरेंद्र मोदी बाड़मेर में पाकिस्तान से विस्थापित हिंदुओं से मिलने उनके कैम्प में पहुँचे थे. तब वो ना गुजरात के मुख्यमंत्री थे और ना ही देश के प्रधानमंत्री थे. दुख, मुशीबत मे लोगों के साथ खड़ा होना मोदी जी की फितरत में शामिल है.” आर्टिकल लिखे जाने तक उनका ट्वीट 700 से ज़्यादा लोग रीट्वीट कर चुके हैं.
ये 31 वर्ष पुरानी दुर्लभ तस्वीर है,
जब नरेंद्र मोदी बाड़मेर में पाकिस्तान से विस्थापित हिंदुओं से मिलने उनके कैम्प में पहुँचे थे.
तब वो ना गुजरात के मुख्यमंत्री थे और ना ही देश के प्रधानमंत्री थे.
दुख, मुशीबत मे लोगों के साथ खड़ा होना मोदी जी की फितरत में शामिल है। pic.twitter.com/jh5Shc81Jq— Gajendra Chauhan (@Gajjusay) March 2, 2021
इसके बाद कई अन्य यूज़र्स ने इसी कैप्शन के साथ ये तस्वीर शेयर की. यूज़र प्रभाकर सिंह परिहार का ट्वीट भी 200 से ज़्यादा लोगों शेयर किया.
ट्विटर के साथ ही ये तस्वीर फ़ेसबुक पर भी वायरल है.
ग़लत दावा
इस तस्वीर का रिवर्स इमेज हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वेबसाइट narendramodi.in पर ले जाता है. वेबसाइट की गैलरी में यही तस्वीर है. लेकिन जो बात गजेन्द्र चौहान ने लिखी, इसका उससे कोई वास्ता नहीं है. तस्वीर में प्रधानमंत्री मोदी ही हैं, लेकिन बाड़मेर में नहीं बल्कि गुजरात में. नरेंद्र मोदी की वेबसाइट पर मई 2014 में ये तस्वीर पब्लिश गयी थी.
इस तस्वीर के नीचे कैप्शन में लिखा है- गुजरात के एक गांव में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi in a village of Gujarat). गैलरी के इस सेक्शन में नरेंद्र मोदी की कई तस्वीरें हैं और उनके बारे में जानकारी दी गयी है. इस तस्वीर के बारे में लिखा गया है, “उसी समय (जनता पार्टी की सरकार बनने के वक़्त), बीते वर्षों में उनकी सक्रियता और अच्छे संगठनात्मक काम की को देखते हुए नरेन्द्र मोदी को ‘संभाग प्रचारक’ (एक क्षेत्रीय आयोजक के बराबर का पद) बनाया गया था. उन्हें दक्षिण और मध्य गुजरात का प्रभार दिया गया था.”
इसमें आगे लिखा है, “…गुजरात में उनकी यात्राएं जारी रहीं तथा 1980 के दशक के प्रारंभ में काफी बढ़ गईं। इस दौरान उन्हें राज्य के हर तालुके तथा लगभग हर गांव का दौरा करने का अवसर मिला। यह अनुभव एक आयोजक तथा एक मुख्यमंत्री, दोनों के रूप में उनके लिए बहुत काम आया.”
यहां कहीं भी बाड़मेर के बारे में चर्चा नहीं की गयी है और न ही पाकिस्तान से विस्थापित हुए हिन्दुओं की.
इसके अलावा, गजेन्द्र चौहान के मुताबिक ये तस्वीर 31 वर्ष पुरानी है, यानी 1990 के आस-पास की. लेकिन तस्वीर के साथ दी जानकारी में बताया गया है कि ये 1980 के आस-पास की है जब मोदी गुजरात में पार्टी की तरफ़ से लोगों तक पहुंच रहे थे.
क्या मोदी की बाड़मेर के विस्थापित हिन्दुओं के साथ कोई तस्वीर है?
ऑल्ट न्यूज़ को ऐसी कोई पुरानी तस्वीर नहीं मिली जिसमें वो पाकिस्तान से विस्थापित हुए हिन्दुओं के साथ नज़र आ रहे हों. हालांकि बाड़मेर की उनकी हालिया कुछ वर्षों की तस्वीरें ज़रूर हैं जब वो 2018 में बाड़मेर रिफ़ाइनरी का उद्घाटन करने पहुंचे थे. उन्होंने 2019 में चुनावी रैली के दौरान भी बाड़मेर की जनता को संबोधित किया था.
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