इंडिया टीवी के प्रमुख संपादक रजत शर्मा का उनके प्राइम टाइम न्यूज़ शो का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया में व्यापक रूप से शेयर हुआ है। दो मिनट 20 सेकेंड लंबे इस वीडियो क्लिप में शर्मा और अवकाश प्राप्त भारतीय सेना अधिकारी व टीवी पैनलिस्ट मेजर जनरल जीडी बक्शी हैं। पुडुचेरी की उप राज्यपाल किरण बेदी उन लोगों में से हैं जिन्होंने शर्मा के कार्यक्रम का यह सार शेयर किया है। उनके ट्वीट को अब तक 13,100 से अधिक बार रिट्वीट किया जा चुका है।
Listen to this please. pic.twitter.com/iC8Djq1a7B
— Kiran Bedi (@thekiranbedi) February 17, 2019
रजत शर्मा जीडी बक्शी से पूछते हैं कि विस्फोटक से लदी एसयूवी, जिसने पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले को टक्कर मारी, जांच से कैसे बची रही। इस पर बक्शी एक घटना सुनाते हैं और जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर इस परिस्थिति के लिए आरोप लगाते हैं। शर्मा और बक्शी की बातचीत इस प्रकार है :
रजत शर्मा : बक्शी साहब, सब लोग पूछ रहे हैं कि 2500 से ज्यादा जवानों का कारवां था, फिर भी आतंकवादियों की हिम्मत हो गई हमला करने की?
मेजर जनरल जीडी बक्शी : रजत जी, एक बहुत महत्वपूर्ण चीज तथ्य समझना ज़रूरी है भारत की जनता को: हर सुबह, जब convoys(काफिला) जाती है, रोड ओपनिंग पार्टीज वो रोड क्लियरैंस करती हैं। अगर कोई माइन-साइन रोड पर लगाया गया, कोई आईडी लगायी गई, उसको डिटेक्ट करती है। ये आईडी जमीं पर नहीं लगायी गई एक कार में वो लेकर आये, वो कार की चेकिंग क्यों नहीं हुयी इसके पीछे भी एक कहानी है।
महबूबा मुफ्ती के राज्य-काल में श्रीनगर के बाहर तीन चेक पोस्ट लगे थे आर्मी के। एक कश्मीरी सज्जन आये बड़ा गुस्सा उनको आया, कि मुझको रोका, चेक क्यों किया जा रहा है? वो पहले बेरियर से क्रेश करते हुए गए दूसरे बेरियर को क्रेश किया, तीसरे बेरियर पर हताश होके बोलने के बाद भी जब नहीं रोका तो सिपाही ने फायर खोला, और वो मारे गए। बवाल खड़ा हो गया साहब भारत की जालिम फ़ौज, ये फ़ौज क्यों तंग कर रही है लोगों को? और वहां पर महबूबा मुफ्ती ने ensure किया कि वो जो बेचारा जवान जिसने फायर खोला था आज वो तिहाड़ जेल में है। जो आर्मी कमांडर थे उस वख्त के जनरल हुड्डा साहब, उनको बुलाकर पब्लिक apology देनी पड़ी और वो बैरियर-सेरियर वह से हटा दिए। आज अगर यह गाड़ी क्लियर निकल जाती है, तो कौन जिम्मेदार है? क्या महबूबा मुफ्ती जवाब देगी? आज उन 30 लाशों को, उन 30 परिवारों को?
रजत शर्मा : महबूबा जी तो आज कह रही थी कि जवानो की शहादत से उन्हें दुःख पहुंचा है और कोई रास्ता निकलना चाहिए।
जनरल बक्शी : अरे साहब, यह तो हमारे जख्मों पे नमक छिड़कने की बात है। आप उन्हें मरवा डाले, आप एक निज़ाम खड़ा करें कि कोई गाड़ी चलती चेक नहीं हो सकती। जबकि, दिल्ली में आप और मैं रोड बैरियर पे लांघ नहीं सकते बगैर चेकिंग करवाए। वो वहा श्रीनगर जैसे संगीन स्थान में आप चेकिंग बंद करवा दो, आप एक जवान को तिहाड़ जेल पहुँचवा दो। कौन अगला जवान चेकिंग करेगा? आज कौन जिम्मेदार है?
फेसबुक पर यह वीडियो क्लिप एक पेज Presstitutes द्वारा इस कैप्शन के साथ शेयर किया गया है — “जनरल जीडी बक्शी कारण बताते हैं कि 350 किग्रा विस्फोटक लादे एसयूवी जिसने काफिले को टक्कर मारी, उसकी जांच क्यों नहीं हुई”। इस वीडियो को अब तक 7,36,000 से ज्यादा बार देखा और 15,000 से ज्यादा बार शेयर किया गया है।
Gen G D Bakshi gives the reason why SUV carrying 350kg explosives that hit the convoy was not checked
Posted by Presstitutes on Sunday, 17 February 2019
कई फेसबुक यूजर्स ने भी ट्विटर यूजर्स की तरह इस वीडियो को शेयर किया है।
ऐसा ही दावा करके इस घटना की ओर इशारा करने वालों में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और गौरव आर्य रहे हैं। स्वामी के ट्वीट को लगभग 9,000 बार रिट्वीट किया गया। यह ध्यान देने योग्य है कि स्वामी और आर्य ने अपने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया है।
Who authorised the prosecution of our army jawans who in 2014 shot at a Maruti car which smashed through three check points without stopping? That person is responsible for this latest SUV to get near the convoy killing 37 CRPF jawans. The army jawans are still in jail
— Subramanian Swamy (@Swamy39) February 16, 2019
क्या महबूबा मुफ्ती की सरकार ने चेकपोस्टों पर कारों को नहीं रोकने के आदेश जारी किए? किस घटना का जीडी बक्शी संदर्भ दे रहे थे?
कितना सही है जीडी बक्शी का दावा?
मेजर जनरल जीडी बक्शी ने जिस घटना का संदर्भ दिया है, वह नवंबर 2014 में घटित हुई थी। बडगाम जिले के चितरगाम गांव में 3 नवंबर 2014 को दो युवकों को सेना के जवानों द्वारा, जब वे दो मोबाइल चेकपोस्ट लांघ गए थे, गोली मार दी गई थी। इस घटना के बाद घाटी में विरोध प्रदर्शन के साथ जबरदस्त हंगामा हुआ था। सेना ने इसे गलत पहचान के मामले के रूप में स्वीकार किया था और पेशेगत नियमों का उल्लंघन माना था।
सार रूप में, जनरल बक्शी दो दावे करते हैं :
- जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री के तौर पर महबूबा मुफ्ती ने चेकपोस्टों पर गाड़ियों की जांच पर प्रतिबंध का आदेश दिया था।
- सेना का जवान जिसने युवक पर गोली चलाई, तिहाड़ जेल में कैद है।
उमर अब्दुल्ला थे मुख्यमंत्री, ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ
बडगाम घटना के समय महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री नहीं थीं। नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे, जो 2009 से सत्ता में थे। अब्दुल्ला ने जनवरी 2009 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उन्होंने बडगाम घटना को इसके होने के अगले दिन ट्विटर पर स्वीकार किया था।
Have spoken to Union Defence Minister @arunjaitley reg. yesterday’s incident where army firing resulted in 2 avoidable deaths 1/n
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 4, 2014
महबूबा मुफ्ती इसके बहुत बाद, अपने पिता मुफ़्ती मोहम्मद सईद की मृत्यु के बाद, अप्रैल 2016 में जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री बनी थीं।
The Budgam incident in the Kashmir Valley is highly regrettable. A fair enquiry will be held and action taken against those found guilty.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) November 3, 2014
इस घटना के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने इसे “बेहद खेदजनक” कहते हुए ट्वीट किया था और निष्पक्ष जांच व दोषी के विरुद्ध कार्रवाई का आश्वासन दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2014 की एक रैली में श्रीनगर में यह उल्लेख करते हुए कि भारतीय सेना ने इसे हुई गलती माना था, इस घटना का ज़िक्र किया था। पीएम मोदी ने आगे कहा था कि आरोपी के विरूद्ध मामला दर्ज कर लिया गया था। इस हिस्से को नीचे दिए गए वीडियो में 39:25वें मिनट पर सुना जा सकता है।
जहां तक इस दावे का सवाल है, कि महबूबा मुफ्ती ने चेकपोस्टों पर गाड़ियों को नहीं रोकने का आदेश दिया था, द क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार, “बडगाम की घटना के बाद (लेफ्टिनेंट जनरल डीएस) हूडा ने यह भी कहा था कि “चेक पॉइंट्स पर गाड़ियों को रोकने” जैसा कभी किसी सरकार का कोई आदेश नहीं था, जैसा (सुब्रमण्यम) स्वामी और दूसरे ट्विटर यूजर द्वारा दावा किया गया – (अनुवादित)”। जनरल हूडा तब उत्तरी क्षेत्र के सेना कमांडर थे।
बडगाम घटना को लेकर कोई कैद नहीं
बक्शी का दूसरा दावा अर्थात, युवक पर गोली चलाने वाला जवान तिहाड़ जेल में बंद है, गलत है। द क्विंट से बात करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूडा ने पुष्टि की कि सेनाकर्मी के बारे में कोर्ट मार्शल होने या कैद में होने का दावा गलत है। उन्होंने कहा, “यह सब झूठी खबरें हैं। एक जांच थी, जो पूरी हुई, लेकिन उसमें कोई कोर्ट मार्शल नहीं हुआ। हमने अपनी जांच पूरी कर ली थी, लेकिन पुलिस की जांच चल रही थी। हम पुलिस की जांच पूरी होने तक रुकना चाहते थे, ताकि हम दोनों को साथ रख सकें और कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी और पुलिस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करें। लेकिन कोई कोर्ट मार्शल नहीं हुआ है – (अनुवादित)।”
भारतीय सेना के उत्तरी कमांड के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से जुलाई 2016 में इसकी पुष्टि करते हुए कि किसी सैन्यकर्मी को जेल या कोर्ट मार्शल नहीं हुआ, इसे दोहराया गया था।
No army soldier , officer court martialed / imprisoned in the Budgam incident of Nov14 @capt_amarinder @adgpi
— NorthernComd.IA (@NorthernComd_IA) July 23, 2016
निष्कर्ष यह है कि सेना की संचालन प्रक्रिया को कमजोर करने में महबूबा मुफ्ती की कथित भूमिका के बारे में मेजर जनरल जीडी बक्शी का दावा गलत है। मुफ़्ती तब मुख्यमंत्री भी नहीं थीं जब फायरिंग की घटना हुई थी। उस घटना के बाद किसी सैन्यकर्मी को जेल या कोर्ट मार्शल नहीं हुआ है। इसके अलावा, महबूबा मुफ़्ती ने गाड़ियों को बिना जांच के जाने देने का कोई आदेश जारी नहीं किया गया था।
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