प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 नवंबर को दिल्ली में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 3024 नवनिर्मित घरों का उद्घाटन किया, ताकि झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास कार्यक्रम के तहत झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों का पुनर्वास किया जा सके. कई प्रमुख भाजपा नेताओं ने ट्विटर पर इसकी घोषणा की और इस कार्यक्रम का एक पोस्टर शेयर किया.
पोस्टर में गौर करने वाली 3 बातें हैं – 1) ऊंची इमारत की एक तस्वीर, 2) परिवार की एक तस्वीर और 3) हिंदी में एक टेक्स्ट जिसमें लिखा है: ‘अब झुग्गी की जगह मिलेगा पक्का मकान.. केंद्र सरकार ने दी दिल्लीवासियों को बड़ी सौगात. पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी 3024 नवनिर्मित ईडब्ल्यूएस फ्लैटों का उद्घाटन करेंगे और लाभार्थियों को फ्लैटों की चाबियां सौपेंगे.’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ये पोस्टर शेयर करते हुए लिखा, ‘सिर्फ घोषणाएं नहीं बल्कि जनता से किए अपने वादों को पूरा करती है मोदी सरकार. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी आज दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को देंगे उनकी खुशियों की चाबी. मोदी जी द्वारा दिल्ली में 3024 ईडब्ल्यूएस फ्लैट लोगों को दिए जाएंगे.’
बीजेपी दिल्ली के ऑफ़िशियल अकाउंट ने भी एक ट्वीट में ये पोस्टर शेयर करते हुए लिखा, ‘दिल्ली के भूमिहीन कैंप में झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले हजारों गरीबों को मिल रहा पक्के घर का उपहार. आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 3024 EWS फ्लैट्स की चाबी लाभार्थियों को देकर करेंगे उनका सपना साकार.’
दिल्ली के भूमिहीन कैंप में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले हजारों गरीबों को मिल रहा पक्के घर का उपहार।
आज प्रधानमंत्री श्री @narendramodi 3024 EWS फ्लैट्स की चाबी लाभार्थियों को देकर करेंगे उनका सपना साकार। pic.twitter.com/nDNmKWdLZz
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) November 2, 2022
सांसद हरद्वार दुबे, भाजपा राजस्थान प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रकांत मेघवाल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने ट्वीट में अमित शाह के ट्वीट को पोस्ट किया. नीचे पोस्टर वाले ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट दिए गए हैं.
फ़ैक्ट-चेक
पोस्टर से सिर्फ परिवार की तस्वीर को क्रॉप कर इसका गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर पता चला कि ये तस्वीर दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की नहीं, बल्कि सरू ब्रायर्ली और उनके परिवार की है. सरू का जन्म मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था. पांच साल की उम्र में वो अपने परिवार से बिछड़ गए थे और उन्हें एक ऑस्ट्रेलियाई परिवार ने गोद ले लिया. 25 साल होबार्ट में बिताने के बाद गूगल मैप्स का इस्तेमाल करके वो अपने जन्मस्थान का पता लगाकर भारत की यात्रा की. 2012 में वो अपनी मां से मिले.
हमें लाइवमिंट की एक रिपोर्ट मिली जिसमें पोस्टर में दिख रहे परिवार की तस्वीर थी. तस्वीर का क्रेडिट ‘पेंगुइन बुक्स इंडिया’ को दिया गया था.
देव पटेल अभिनीत एक ऑस्ट्रेलियाई फ़िल्म, ‘लायन‘ के बाद सरू ब्रायर्ली की कहानी दुनिया भर में जानी गई. उनकी एक ऑटोबायोग्राफ़ी ‘ए लॉन्ग वे होम’ सहित सरू पर कई कहानिययां सालों से लिखी गई हैं. [1, 2, 3, 4, 5]
1986 में एक दिन 5 साल के सरू खंडवा रेलवे स्टेशन पर अपने भाई गुड्डू का इंतज़ार कर रहे थे. काफी देर तक जब उनका भाई वापस नहीं आया तो सरू एक ट्रेन में चढ़ गए और पश्चिम बंगाल के हावड़ा स्टेशन पर पहुंच गए. कलकत्ता की सड़कों पर तीन सप्ताह बिताने के बाद, उन्हें गोद लिए जाने वाले एक केंद्र में ले जाया गया. और एक ऑस्ट्रेलियाई परिवार ने उन्हें गोद ले लिया. दो दशक से ज़्यादा समय के बाद, 2012 में गूगल मैप्स का इस्तेमाल करके सरू ने उस रेलवे स्टेशन और अंततः अपने जन्मस्थान खंडवा को ट्रैक किया. फिर वो अपने बिछड़े हुए परिवार की तलाश में भारत आए और उनसे मिले. पोस्टर में दिखने वाली तस्वीर उनके बायोलॉजिकल परिवार से मिलने के बाद क्लिक की गई थी. तस्वीर में सरू अपनी मां कमला, भाई कल्लू के परिवार, अपनी बहन शकीला और उसके बेटे के साथ नज़र आ रहे हैं.
तस्वीर को इसी नाम के एक पैरोडी अकाउंट से भी शेयर किया गया था.
Words can not describe how happy I am today. So many sleepless nights lost in thought. I’ve finally found my purpose, my life have been fulfilled. pic.twitter.com/jqQuAX11EQ
— Saroo Brierley (@saroobrierley5) April 16, 2019
पत्रकार, और ट्विटर यूज़र प्रदीप पांडे ने ट्विटर पर इस बात की ओर सबसे पहले ध्यान दिलाया कि पोस्टर में सरू और उनके परिवार की तस्वीर का ग़लत इस्तेमाल किया गया है.
कुल मिलाकर, ये कहा जा सकता है कि दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के लिए आवास परियोजना के पोस्टर में सरू ब्रायर्ली और उनके बायोलॉजिकल परिवार की तस्वीर का ग़लत इस्तेमाल किया गया. बाद में अमित शाह ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया.
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