27 नवंबर को एक 26 वर्षीय पशु चिकित्सक हैदराबाद से लापता हो गयी थी। उसके एक दिन बाद चटनपल्ली गांव के राष्ट्रिय हाईवे के अंडरपास के पास महिला चिकित्सक का जला हुआ शव मिला। महिला को चार लोगों ने बलात्कार कर बेरहमी से जलाकर मार डाला था। पुलिस ने इस मामले के आरोपी मोहम्मद पाशा, नवीन, केशवुलु और शिवा की पहचान एक टोल प्लाज़ा के पास लगे सीसीटीवी फुटेज से की है, जहां पीड़िता ने अपना स्कूटी पार्क किया था।

एक प्रेस वार्ता में, हैदराबाद पुलिस ने कहा कि 26 वर्षीय पाशा ट्रक चालक है, 20 वर्षीय नवीन और शिवा ट्रक साफ करने वाले हैं और 20 वर्षीय केशवुलु ट्रक चालक है। पाशा ने दूसरों के साथ मिलकर शमशाबाद में एक टोल प्लाज़ा पर अपनी ट्रक खड़ी कर दी जब उसने पीड़िता को अपना वाहन वहा खड़े करते हुए देखा। वह करीब 9 बजे अपने वाहन को लेने के लिए वापस टोल प्लाज़ा आयी। पुलिस ने कहा, “इस दौरान आरोपीयों ने शराब पी थी और प्लान बना लिया था कि महिला को अपने जाल में कैसे फ़साना है।” (अनुवाद) नवीन ने उसके दोपहिया के पिछले टायर की हवा निकाल दी। मदद करने के बहाने से शिवा वाहन को नज़दीक के एक वाहन रिपेयरिंग की दुकान पर ले गया और अन्य लोग पीड़िता को ज़बरदस्ती एक मैदान में ले गए और बलात्कार किया। शिवा बाद में शामिल हुआ। पुलिस ने आगे बताते हुए कहा, “जब सभी आरोपी यह जघन्य कृत्य कर रहे थे तब उन्होंने पीड़िता का नाक और मुँह बंद कर दिया, ताकि वह उसी वक़्त मर जाए। इन लोगों ने तुरंत शव को केबिन में डाल कर वाहन को वापस घुमाया। उन्होंने पेट्रोल ख़रीदा और अपने वाहन से डीज़ल लिया और चटनपल्ली गांव में शव को जला दिया।” (अनुवाद)

पुलिस द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ में भी यह समान बात बताई गयी है कि एक के बाद एक आरोपी ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया और मोहम्मद पाशा ने पीड़िता को मौत के घाट उतार दिया।

द हिन्दू की एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि  ने आरोपियों ने अपना ज़ूर्म कबूल कर लिया है।

बलात्कार को सांप्रदायिक बनाया गया

पुलिस प्रेस वार्ता के कुछ घंटो पहले ही चारों आरोपी के नाम को जारी कर दिया गया था। हालांकि, बलात्कार की घटना को भाजपा के सदस्यों, पार्टी के समर्थक और मीडिया ने सांप्रदायिक रंग दिया।

भाजपा सदस्य

भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने केवल मुस्लिम समुदाय से आने वाले आरोपी का नाम हाईलाइट किया।

ऐसा ही कुछ, ओडिशा के राज्य संयुक्त महासचिव (संगठन) अमितव चक्रवर्ती और बीजेपी आईटी, सोशल मीडिया कैंपेन कमेटी के खेमचंद शर्मा ने भी किया।

भाजपा समर्थक

आईएएस अधिकारी संजय दीक्षित, जिन्हें अक्सर गलत सूचना साझा करते हुए देखा जाता है, एक खबर साझा की जिसमें चारों आरोपियों के नाम लिखे थे। हालांकि, दीक्षित ने अपने ट्वीट में सिर्फ मोहम्मद का नाम ही साझा किया था।

इस बलात्कार और हत्या की खबर प्रकाश में आने के बाद, ट्विटर पर टॉप ट्रेंड था – #Balatkari_Mohammed_Nikala.

भ्रामक सूचनाओं में सबसे लोकप्रिय नाम – प्रशांत पटेल उमराव ने ट्वीट करते हुए लिखा, “मोह्हमद पाशा ने अपने साथियों के साथ हैदराबाद में एक डॉक्टर का बलात्कार कर जला दिया। वे मानवता के लिए खतरा है और उनके निशाने पर हिन्दू महिला है।” (अनुवाद)

उन्होंने ANI के रिपोर्ट को रीट्वीट करते यह भी लिखा कि, “मोहम्मद पाशा का नाम लेने में आपको शर्म क्यों आ रही है।” (अनुवाद)

अन्य कुछ लोग, जिन्होंने इस बलात्कार की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है, वो लोग हैं-  ऋषि बागड़ी, महेश विक्रम हेगड़े, पायल रोहतगी, कोएना मित्रा और मधु किश्वर

मीडिया

सुदर्शन न्यूज़ की हैडलाइन के मुताबिक, “हैवान मोहम्मद पाशा ने दोस्तों के साथ प्लान बनाकर किया था डॉ. ***** का बलात्कार, फिर ह्त्या कर जला दिया था लाश को।

लेकिन चैनल के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ सुरेश चव्हाणके ने आग में घी डालने का काम एक वीडियो में यह कहकर किया कि, “हैदराबाद में  ***** की हत्या में जो दो हिन्दुओं को भी हैदराबाद पुलिस ने पकड़ा है। क्या यह ओवैसी भाइयों के दबाव के कारण बैलेन्स एक्सरसाइज तो नहीं है ना? मैं इसकी जांच करने की मांग करता हूँ। “

स्वराज्य और ओपइंडिया ने भी बलात्कार और हत्या को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की। दोनों मीडिया संगठन ने अपने लेख में सिर्फ मुस्लिम आरोपी के नाम को प्रकाशित किया है।

अन्य मीडिया संगठन, जिन्होंने गैर-ज़िम्मेदाराना रिपोर्टिंग की है, उनमें ETV आंध्र प्रदेश, TV9 तेलुगु, उड़ीसा पोस्ट और फ्री प्रेस जर्नल शामिल है।

यह ध्यान देने योग्य है कि आंध्रप्रदेश महिला कांग्रेस ने भी इस घटना को सांप्रदायिक रूप से पोस्ट किया था, हालांकि बाद में उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था।

आंध्र प्रदेश महिला कांग्रेस ने दावा किया कि, “एक कार्यकर्ता ने अपनी इच्छा से शरारत के तौर पर यह ट्वीट किया था…उस कार्यकर्ता को तुरंत कारवाही करते हुए हटा दिया गया है।” (अनुवाद)

यह एक बेहद विचलित करने वाली घटना देखने को मिली, जिसमें बलात्कार जैसे जघन्य घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। यह ना केवल सोशल मीडिया में देखने को मिला बल्कि सरकार और मीडिया संगठन के प्रमुख व्यक्तियों के तरफ से भी दिखाई दिया, जो लोगों के विचार निर्मित करने में सक्षम है। जबसे यह दुखद घटना प्रकाश में आई है, पुलिस ने चार आरोपियों की पहचान की है। मगर सोशल मीडिया में सिर्फ एक आरोपी का नाम साझा कर इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। गैर ज़िम्मेदार मीडिया रिपोर्ट भीध्यान खींचने वाले शीर्षक के साथ भ्रामक सूचनाएं प्रकाशित की।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.