”एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत है। यह हमारे पर्यावरण के लिए मेरे #GreenDiwali अभियान के लिए एक बड़ा समर्थन है।”(अनुवाद). पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बैन लगाने की बात सुनकर यह ट्वीट किया था। ये मंत्री हरित दिवाली का काफ़ी लंबे समय से समर्थन कर रहे हैं। इसी वर्ष अगस्त में “हरित दिवाली,स्वस्थ दिवाली” अभियान को लॉन्च करते हुए उन्होंने ट्वीट किया था ”एक डॉक्टर के रूप में, खास तौर पर ईएनटी सर्जन के तौर पर, मैंने देखा है कि दिवाली वाली रात को लोग जलने, आंख या कान में चोट लगने, अस्थमा की वजह से बड़ी संख्या में अस्पताल आते हैं।” वह पटाखों के विरुद्ध अपनी चिंताएँ लगातार जाहिर करते रहे हैं और वर्ष 2014 में भी उन्होंने ट्वीट किया था कि ”आपकी खुशी दूसरे लोगों की मुसीबत नहीं बननी चाहिए। आइए ध्वनि प्रदूषण से लड़ें।” ट्विटर पर हुई लगातार ट्रोलिंग ने अब उन्हें अपने उस ट्वीट को हटाने पर मजबूर कर दिया जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने के निर्णय पर खुशी जताई थी।
मंत्री जी द्वारा अपना ट्वीट डिलीट करने के बाद, दक्षिणपंथी खेमे के कई लोगों ने इसे एक उपलब्धि मानते हुए खुशी जाहिर की।
What the…! Dr Harshvardhan deleted his tweet cheering SC order? Matlab kuchh hope hai, that backlash is working!
— हम भारत के लोग (@India_Policy) October 9, 2017
We will take care of all those street naxalites but what about those we voted? After outrage @drharshvardhan deleted his pro ban tweets. pic.twitter.com/GJ4Xx5WXHe
— Kailash Wagh 🇮🇳 (@kailashwg) October 9, 2017
यह उन ट्वीट्स की सूची है जिन्हें डॉ. हर्षवर्धन ने अब चुपचाप डिलीट कर दिया है।
यह काफी हैरान करने वाली बात है कि पटाखों पर अस्थायी रूप से बैन लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत आवेदन पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समर्थन व्यक्त करने के बावजूद, मंत्री जी ने अपना ट्वीट डिलीट करने का विकल्प चुना जबकि वह खुद सरकार के हरित दिवाली अभियान का नेतृत्व करते रहे हैं।
हरित दिवाली अभियान
इसी वर्ष अगस्त महीने में पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री ने काफ़ी जोर-शोर के साथ ”हरित दिवाली, स्वस्थ दिवाली” अभियान को लॉन्च किया था। पीआईबी द्वारा इस संबंध में जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति से बड़े पैमाने पर आयोजित इस कार्यक्रम के बारे में पता चलता है। लगभग 800 स्कूली बच्चों के समूह को संबोधित करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने दिवाली पर खतरनाक पटाखे न जलाकर प्रदूषण कम करने के उनके योगदान के महत्व के बारे में उन्हें अच्छे से समझाया। उन्होंने उपस्थित छात्रों को ‘हरित व स्वस्थ दिवाली के लिए एक संकल्प’ भी दिलवाया। योजना यह थी कि ”यह संकल्प स्कूलों /कॉलेजों और अन्य शैक्षिक संस्थानों में व्यापक रूप से भेजा जाएगा और स्कूल प्रशासन से अनुरोध किया जाएगा कि वे दिवाली तक होने वाली अपनी स्कूल असेंबली में यह संकल्प सभी विद्यार्थियों को दिलवाएँ।” अब जबकि दिवाली आने में एक सप्ताह बचा है, हम यह मानकर चलते हैं कि एनसीआर के सभी स्कूलों द्वारा यह काम अब तक पूरा किया जा चुका होगा।
A week back we kicked off the Harit Diwali campaign, joined in by around 800 school kids,their teachers, principals- with lots of enthusiasm pic.twitter.com/qmszg8TczI
— Dr. Harsh Vardhan (@drharshvardhan) August 24, 2017
Happy to know that participants also took a Harit-Diwali Swasth Diwali Pledge for school children, teachers and principal #SwachhataHiSeva pic.twitter.com/L7Wxm8JcPJ
— Dr. Harsh Vardhan (@drharshvardhan) September 29, 2017
इस मुद्दे पर माननीय मंत्री जी का पक्ष इस प्रेस विज्ञप्ति द्वारा आधिकारिक रूप से भी दर्ज है:
दिवाली हमारी समृद्ध परंपरा का अटूट हिस्सा है और एक ऐसा पर्व है जिसमें आनंद और खुशियाँ समाहित होती हैं। अभी के समय में, खुशियाँ मनाने के तरीके में थोड़ी तब्दीलियाँ आई है और यह त्यौहार बहुत अधिक पटाखे जलाने के साथ जुड़ गया है जिससे वायु और ध्वनि प्रदूषण में बेहद वृद्धि होती है। इसका नतीजा यह है कि पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर इसका काफ़ी प्रभाव पड़ता है।
जैसा कि पिछले कुछ वर्षों का मेरा अनुभव रहा है, हवा में होने वाला प्रदूषण कई शहरों में सर्दियों के दौरान सुरक्षित सीमा से ऊपर चला जाता है। दिवाली के दौरान बहुत ज़्यादा मात्रा में पटाखे जलाने से यह समस्या कई गुना बढ़ जाती है। पिछले वर्ष, खास तौर पर दिवाली के बाद दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया कि सरकार को एक आपातकालीन स्थिति घोषित करनी पड़ी थी, जिसके सामाजिक-आर्थिक दुष्परिणाम झेलने पड़े जैसे कि स्कूलों, निर्माण स्थलों और पावर स्टेशनों का बंद होना।
विज्ञान व प्रौद्योगिकी, भूविज्ञान व पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने 17 अगस्त, 2017 को नई दिल्ली में हरित दिवाली, स्वस्थ दिवाली अभियान लॉन्च किया। (साभार: पीआईबी)
पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव, श्री अजय नारायण झा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित हैं।
मंत्रालय ने फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप के संबंध में भी प्रदूषण के मुद्दे को रेखांकित किया। ”यह एक महत्वपूर्ण अवसर है और भारत के लिए गर्व का विषय है। हमारे लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस आयोजन के संचालन में कोई असुविधा न हो और हमारी राष्ट्रीय छवि सुरक्षित रहे और बेहतर बने।”
स्कूली बच्चों के बीच हरित दिवाली अभियान को प्रचारित करने के लिए बहुत सारी गतिविधियाँ और प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई थीं। इनमें स्टीकर/लोगो वितरित करना, पोस्टर प्रतियोगिता कराना, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में विज्ञापन देना, रेडियो/एफ़एम का उपयोग कर सार्वजनिक अपील करना शामिल है जिसमें उद्योग संघों और अन्य संबंधित पक्षों की भागीदारी भी तय की गई। ‘प्रदूषण मुक्त दिवाली’ के विषय पर एक ऑनलाइन प्रतियोगिता करने की भी योजना थी। यह योजना थी कि पूरे देश में इस विषय को प्रचारित करने के लिए इन गतिविधियों/प्रतियोगिताओं की बेहतरीन क्लिप का आधिकारिक रूप से उपयोग किया जाएगा। मंत्रालय द्वारा इसकी वेबसाइट पर पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी।
संभावना है कि यह अभियान प्रत्येक स्कूल तक पहुंचाया जाएगा।
We shall reach out to each and every school in the town so as to get the school kids to inspire all for a successful #GreenDiwali campaign. pic.twitter.com/vz9qvacaAS
— Dr. Harsh Vardhan (@drharshvardhan) August 24, 2017
मंत्री जी ने ट्वीट में पटाखों से पर्यावरण और लोगों की सेहत पर पड़ने वाले ख़राब असर को भी रेखांकित किया।
Crackers contribute significantly to air & noise pollution. As a result, there's been significant impact on environment & health of the ppl. pic.twitter.com/10pCe9jmTE
— Dr. Harsh Vardhan (@drharshvardhan) August 17, 2017
Keeping all these in mind, I believe we must change the way we celebrate Diwali ; help reduce air and noise pollution and other ill effects. pic.twitter.com/q2CZgGCI4W
— Dr. Harsh Vardhan (@drharshvardhan) August 17, 2017
पटाखों और प्रदूषण पर अपने व्यापक रूप से दर्ज और बार-बार दोहराये गये विचारों के बावजूद, डॉ हर्षवर्धन ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बैन लगाने के बाद के अपने हालिया ट्वीट को ट्रोल्स के गुस्से का शिकार बनने के डर से हटा दिया। मंत्रालय के हरित दिवाली अभियान के पहल के माध्यम से केंद्र सरकार का पक्ष स्पष्ट है। इस अस्थायी बैन को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समर्थन देना भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के पक्ष को साफ़ करता है। तो आखिर क्या वजह है कि इस मुद्दे पर बहस गर्माने के बाद मंत्री और सरकार को अपने कदम वापस खींचने पड़े? अपनी सरकार के ‘हरित दिवाली, स्वस्थ दिवाली” अभियान का समर्थन करने वाले सरकार के वरिष्ठ नेता अपनी आवाज़ क्यों नहीं उठा रहे? क्या यह सही समय नहीं है कि ”शहर के हर स्कूल तक” को इस अभियान से जोड़ने वाले नेता सोशल मीडिया पर अपने समर्थकों को शांत करने के लिए उनसे संपर्क करने का भी प्रयास करें या फिर क्या इस सरकार की नीतियों का निर्णय ट्रोल्स करेंगे? डॉ. हर्षवर्धन ने अपने ट्वीटस हटा करके एक ऐसे अभियान से अपने कदम हटा लिये जिसे वे कई महीनों से चलाते आ रहे हैं।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.