”मुझे भी दु:ख है तू जीवित है” यह उन कई संदेशों में से एक संदेश है जो एक व्हाट्सऐप ग्रुप पर एनडीटीवी इंडिया के एंकर रवीश कुमार के लिए लिखा गया। 22 सितंबर को रवीश कुमार ने अपने फ़ेसबुक पेज पर कई स्क्रीनशॉट्स के साथ एक पोस्ट लिखी और बताया कि कुछ लोग उन्‍हें बार-बार किसी खास व्हाट्सऐप ग्रुप से जोड़ देते हैं जिसका एकमात्र मकसद उन्हें गाली देना होता है। ये स्क्रीनशॉट “ऊँ धर्म रक्षति रक्षित:” नामक व्हाट्सऐप ग्रुप से लिये गये थे। रवीश कुमार ने अपनी पोस्‍ट में लिखा कि अगर वह ग्रुप से निकल जाते हैं तो भी किसी राजनीतिक घटना के बाद उन्हें फिर से ग्रुप में जोड़ लिया जाता है और उन्‍हें निशाना बनाते हुए गाली-गलौज वाली भाषा का इस्तेमाल किया जाता है

रवीश द्वारा डाले गए स्क्रीनशॉट के आधार पर, उन्‍हें निशाना बनाने वाले लोगों का पता लगाने की हमने कोशिश की और हमारी पड़ताल में यह निकलकर सामने आया।

Niraj Dave abusing Ravish

उपरोक्त स्क्रीनशॉट रवीश की पोस्ट से लिया गया है जिसमें “7575826300” नंबर वाला व्यक्ति यह कहते हुए दिखाई देता है “मुझे भी दुःख है तू जीवित है”। इस फ़ोन नंबर के बारे में थोड़ी खोजबीन करने पर हमने पाया कि इस नंबर को अंजनी एक्सपोर्ट नामक एक्सपोर्ट एजेंसी द्वारा कई बार प्रचारित किया गया है।

anjaney exports

यह मानते हुए कि यह कोई एक्सपोर्ट एजेंसी है, हमने इंडियामार्ट.कॉम पर अंजनी एक्सपोर्ट नाम की कंपनी की खोज की और यह जानकारी देखी।

जैसा कि ऊपर तस्वीर में देखा जा सकता है, व्हाट्सऐप एकाउंट का नंबर “7575826300” उन ट्विट्स से मिलता है जिन्‍हें पहले अंजनी एक्सपोर्ट के एकाउंट से किया गया है और साथ ही यह इंडियामार्ट की इस एंट्री के विवरणों से भी मेल खाता है। इंडियामार्ट पर फ़ोन नंबरों को ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) से सत्‍यापित किया जाता है। उस व्‍यावसायिक निकाय द्वारा नाम और पता स्‍वयं डालना होता है जो इंडियामार्ट पर प्रमुखता से प्रदर्शित होना चाहता है। इससे पता चलता है कि अंजनी एक्सपोर्ट की एंट्री के साथ फ़ोन नंबर और पता स्‍वयं उस व्‍यक्ति ने डाला था जो एकाउंट को नियंत्रित कर रहा था और यहाँ पर यह व्‍यक्ति नीरज दवे होगा जिसका नाम मैनेजिंग पार्टनर के तौर पर दिया गया है।

इंडियामार्ट की एंट्री में एक और फ़ोन नंबर मौजूद है और हमने इसे ट्रूकॉलर पर देखा। जबकि इस पोस्‍ट में पहले फ़ोन नंबर को छिपाया नहीं गया है क्योंकि यह पहले से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है लेकिन संबंधित व्‍यक्ति की निजता बनाए रखने के लिए हमने दूसरे फ़ोन नंबर को छिपा दिया है।

Niraj D Twitter account

इस ट्रूकॉलर एंट्री से यह भी दिखता है कि इस व्‍यक्ति का ट्विटर हैंडल “Nir_27” है। साथ ही यह भी बता दें कि यह सत्‍यापित ट्रूकॉलर प्रोफ़ाइल है जैसा कि नीले रंग के सही के निशान से पता चलता है। इसके अलावा, Nir_27 एकाउंट से किए गए एक ट्वीट से इस बात की पुष्टि होती है कि अंजनी एक्‍सपोर्ट की देखरेख करने वाला नीरज दवे वही नीरज दवे है जो Nir_27 ट्विटर एकाउंट को हैंडल कर रहा है।

Niraj Dave

हमने Nir_27 का ट्विटर प्रोफ़ाइल देखा और पाया कि उसे कोई और नहीं, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री स्‍वयं फ़ॉलो कर रहे हैं।

Niraj Dave Twitter profile

वर्ष 2012 के ये ट्वीट बताते हैं कि नीरज दवे दूसरे बीजेपी नेताओं जैसे सुब्रमण्यम स्‍वामी के भी करीब है।

Niraj Dave subramanian swamy

इस ग्रुप पर नीरज दवे द्वारा भेजे गए अन्‍य संदेश नीचे देखे जा सकते हैं।

 

नीरज दवे के अलावा, हमने इस व्हाट्सऐप ग्रुप के एडमिन में शामिल एक और व्‍यक्ति के बारे में छानबीन की जो अपना नाम आकाश सोनी लिखता है।

Akash SOni

व्हाट्सऐप प्रोफ़ाइल इमेज में निर्मला सीतारमण के साथ उसकी फ़ोटो लगी हुई है।

akash-soni-with-nirmala-sitharaman

असल में, आकाश सोनी के फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल और व्यक्तिगत पेज पर कई भाजपा नेताओं के साथ उसकी कई फ़ोटो मौजूद हैं।

akash-soni-with-anurag-thakur-manoj-tiwari-jp-nadda

आकाश सोनी ने कई पत्रकारों जैसे बरखा दत्त, रवीश कुमार, राजदीप सरदेसाई और अभिसार शर्मा के प्राइवेट फ़ोन नंबर भी अपनी फ़ेसबुक टाइमलाइन पर सार्वजनिक रूप से पोस्‍ट किये हैं।

Ashok Soni Facebook TImeline

इस व्हाट्सऐप ग्रुप में वह निखिल दधीच भी शामिल है जिसे प्रधानमंत्री मोदी जी फ़ॉलो करते हैं और जिसने यह ट्वीट करते हुए गौरी लंकेश की हत्‍या पर खुशी मनाई थी – ”एक कुतिया जो कुत्ते की मौत मरी”।

Nikhil Dadhich in WhatsApp Group

ऑल्ट न्यूज़ की एक रिपोर्ट ने हाल ही में यह उजागर किया था कि कैसे बीजेपी के नेशनल आईटी सेल हेड अमित मालवीय रवीश कुमार को बदनाम करने के लिए उनके भाषण की संपादित वीडियो क्लिप डाली थी। इससे पहले, एक महिला जिनका रवीश कुमार से कोई संबंध नहीं था, को उनकी ऐसी बहन के तौर पर दिखाया गया जिसपर भ्रष्‍टाचार के मामले में केस दायर हुआ है। यह बात साफ़ है कि स्‍वतंत्र पत्रकारिता का डर सत्ता में बैठे लोगों और उनके समर्थकों को लगातार सता रहा है।

इस लेख के लिए नीलेश पुरोहित और प्रतीक सिन्हा द्वारा संयुक्‍त रूप से खोजबीन की गई।
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